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नगरीय-ग्रामीण अंतराल में कमी के लिये 'सिलेज' संबंधी विचार

  • 16 Apr 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

‘सिलेज' की अवधारणा

मेन्स के लिये:

ज्ञान आधारित तकनीक तथा नगरीय-ग्रामीण अंतर

चर्चा में क्यों?

COVID- 19 के प्रसार को रोकने के तहत लगाए गए लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में प्रवास की विपरीत धारा (Reverse Migration: सामान्य प्रवास के ठीक विपरीत स्थिति) देखने को मिली।

मुख्य बिंदु:

  • विपरीत प्रवास के दौरान जहाँ कई लोगों को अपना व्यवसाय छोड़ना पड़ा वहीं इसके विपरीत अनेक लोग ज्ञान-युग की तकनीकों (Knowledge-era Technologies) के माध्यम से घर से कार्य (Work From Home) जारी रखने में सक्षम हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों से नगरों में प्रवास को रोकने के लिये नगर तथा ग्रामों के बीच ‘ज्ञान आधारित सेतु’ (Knowledge Bridge) का निर्माण किया जाना चाहिये। 

नगरीय प्रवास का ग्रामीण क्षेत्रों पर प्रभाव:

  • बेहतर अवसरों का अभाव:
    • नगरीय क्षेत्रों में प्रवास, नगर में उपलब्ध बेहतर अवसरों का एक स्वाभाविक परिणाम है, परंतु इस प्रवास के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन में बहुत अधिक अस्थिरता उत्पन्न हो गई है। 
  • संसाधनों का केंद्रीकरण:
    संसाधनों के केंद्रीकरण के पीछे कई कारक हैं-
    • औद्योगिक युग की गतिशीलता, जिसने बड़े पैमाने पर उत्पादन को बढ़ावा देकर संसाधनों के संकेंद्रण को बढ़ाया है।
    • नगरीय क्षेत्रों में उच्च शिक्षा केंद्रों में लगातार वृद्धि होने कारण केवल नगरीय क्षेत्रों में ही अच्छी नौकरियों में वृद्धि हुई है।
  • जनसांख्यिकी लाभांश आधारित विकास: 
    • भारत में आर्थिक विकास मुख्यत: जनसांख्यिकीय लाभांश तथा भारतीय बाज़ार के बड़े आकार के कारण देखने को मिला है जबकि अनेक देशों में आर्थिक विकास मुख्यत: प्रौद्योगिकी के आधार पर हुआ है।
  • नीति निर्माण में ग्रामीण क्षेत्रों की अवहेलना:
    • दुग्ध उत्पादन की दिशा में आनंद डेयरी तथा चीनी सहकारी समितियों का निर्माण जैसे कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो आर्थिक विकास प्रक्रियाओं में हमेशा ग्रामीण क्षेत्रों  की अवहेलना की गई है।

ज्ञान आधारित तकनीक द्वारा नगरीय-ग्रामीण अंतर को कम करना:

  • वर्तमान में हम ज्ञान युग (Knowledge Era) में रह रहे हैं। ज्ञान-युग आधारित प्रौद्योगिकी, औद्योगिक-युग की प्रौद्योगिकी के विपरीत ‘लोकतंत्रीकरण’ (उदाहरण के लिये सोशल मीडिया) तथा ‘विकेंद्रीकरण’ (घर से कार्य करना) को बढ़ावा देती है।
  • इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स’, ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ जैसी तकनीकों में प्रशिक्षित लोग नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में किसी भी स्थान से इन क्षेत्रों के लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं।
  • ज्ञान युग आधारित तकनीकों का उपयोग ग्रामीण युवाओं की ‘क्षमता निर्माण’ में करना चाहिये। ग्रामीण क्षेत्रों में नगरीय क्षेत्रों की तुलना में अधिक अवसर उपलब्ध होने चाहिये क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र अर्थव्यवस्था के तीनों (कृषि, विनिर्माण और सेवाओं) क्षेत्रों से लाभ उठा सकते हैं।

'सिलेज' संबंधी विचार (The Idea of Cillage):  

  • सिलेज (Cillage) पद दो शब्दों नगर (City) तथा ग्राम (Village) से मिलकर बना है। अर्थात ‘नगरीय ग्राम क्षेत्र’। 
  • ज्ञान युग में समग्र शिक्षा, प्रौद्योगिकी तथा आजीविका के संदर्भ में ग्रामीण युवाओं की क्षमता निर्माण पर ज़ोर दिया जाता है।
  • इसके लिये नगर तथा ग्रामों के बीच ‘ज्ञान आधारित सेतु’ (Knowledge Bridge) का निर्माण किया जाना चाहिये तथा ऐसे वातावरण निर्माण किया जाना चाहिये जिसमें नगरों तथा ग्रामों के बीच समान संयोजन हो। इस अवधारणा को ही 'सिलेज' कहा जाता है।
  • नगर और ग्राम के बीच ज्ञान के अंतराल को कम करने से दोनों क्षेत्रों के मध्य आय के अंतर में भी कमी आएगी।   

सिलेज की प्राप्ति के लिये आवश्यक पहल:

  • 'सिलेज' के लिये आवश्यक पारिस्थितियों के निर्माण के लिये समग्र शिक्षा, अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास, प्रबंधन तथा ग्रामीण आजीविका में वृद्धि के लिये ‘एकीकृत दृष्टिकोण’ की आवश्यकता होगी।

COVID- 19 तथा 'सिलेज' की अवधरणा:

  • COVID- 19 महामारी के दौरान देखी गई प्रवास की विपरीत धाराओं को ग्रामीण अनुभव तथा कौशल के एक सेट के रूप में देखा जा सकता है।
  • इसे नगर और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच दो-तरफा पुल के रूप में देखा जा सकता हैं लेकिन इसके लिये अनेक प्रयास करने की आवश्यकता है।
  • इसके लिये निम्नलिखित पहल आवश्यक हैं;
    • नवीन कौशल आधारित प्रशिक्षण।   
    • नवीन उद्यम प्रारंभ करने के लिये प्रौद्योगिकी एवं सहायता प्रणाली की सुविधा प्रदान करना। 
    • आजीविका को समर्थन देने के लिये तात्कालिक उपाय करना।

निष्कर्ष:

  • COVID-19 संकट के कारण सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है तथा इसका सभी क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव पड़ा है। अत: सामान्य स्थिति में लौटने के लिये सभी को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू 

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