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भूगोल

ग्रीष्म संक्रांति: 21 जून

  • 22 Jun 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये

ग्रीष्म संक्रांति, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, 

मेन्स के लिये 

महत्त्वपूर्ण नहीं

चर्चा में क्यों?

21 जून उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे लंबा दिन होता है, तकनीकी रूप से इस दिन को ग्रीष्म अयनांत या संक्रांति (Summer Solstice) कहा जाता है। दिल्ली में यह दिन लगभग 14 घंटे का होता है। 

  • ग्रीष्म संक्रांति के दौरान उत्तरी गोलार्द्ध में एक विशिष्ट क्षेत्र द्वारा प्राप्त प्रकाश की मात्रा उस स्थान के अक्षांशीय स्थान पर निर्भर करती है।
  • 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

प्रमुख बिंदु

'संक्रांति' शब्द का अर्थ:

  • यह एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है “Stalled Sun” यानी “ठहरा हुआ सूर्य”। यह एक प्राकृतिक घटना है जो पृथ्वी के प्रत्येक गोलार्द्ध में वर्ष में दो बार होती है, एक बार ग्रीष्म ऋतु में और एक बार शीत ऋतु में।

Summer-Solstice

ग्रीष्म संक्रांति के बारे में:

  • यह उत्तरी गोलार्द्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन और सबसे छोटी रात होती है।
  • इस दौरान उत्तरी गोलार्द्ध के देश सूर्य के सबसे निकट होते हैं और सूर्य कर्क रेखा (23.5° उत्तर) पर ऊपर की ओर चमकता है।
    • 23.5° के अक्षांशों पर कर्क और मकर रेखाएँ भूमध्य रेखा के उत्तर और दक्षिण में स्थित हैं।
    • 66.5° पर उत्तर और दक्षिण में आर्कटिक और अंटार्कटिक वृत्त हैं।
    • अक्षांश भूमध्य रेखा से किसी स्थान की दूरी का माप है।
  • संक्रांति के दौरान पृथ्वी की धुरी जिसके चारों ओर ग्रह एक चक्कर पूरा करता है।
  • आमतौर पर यह काल्पनिक धुरी ऊपर से नीचे तक पृथ्वी के मध्य से होकर गुज़रती है और हमेशा सूर्य के संबंध में 23.5 डिग्री झुकी होती है।
  • आर्कटिक सर्कल में संक्रांति के दौरान सूर्य कभी अस्त नहीं होता है।

ऊर्जा की अधिक मात्रा:

  • इस दिन सूर्य से प्राप्त ऊर्जा की अधिक मात्रा इसकी विशेषता है। नासा (राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन) के अनुसार, इस दिन पृथ्वी को सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा की मात्रा भूमध्य रेखा की तुलना में उत्तरी ध्रुव पर 30% अधिक होती है।
  • इस समय के दौरान उत्तरी गोलार्द्ध द्वारा सूर्य के प्रकाश की अधिकतम मात्रा आमतौर पर 20, 21 या 22 जून को प्राप्त होती है। इसके विपरीत दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे अधिक धूप 21, 22 या 23 दिसंबर को प्राप्त होती है, जब उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे लंबी रातें या शीतकालीन संक्रांति होती है।

भौगोलिक कारण:

  • दिनों की बदलती लंबाई के पीछे का कारण पृथ्वी का झुकाव है।
  • पृथ्वी का घूर्णन अक्ष अपने कक्षीय तल से 23.5° के कोण पर झुका हुआ है। यह झुकाव पृथ्वी की परिक्रमा और कक्षा जैसे कारकों के साथ सूर्य के प्रकाश की अवधि में भिन्नता को दर्शाता है, जिसके कारण ग्रह के किसी भी स्थान पर दिनों की लंबाई अलग-अलग होती है।
    • उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की दिशा में झुका हुआ आधा वर्ष बिताता है, लंबे गर्मी के दिनों में सीधी धूप प्राप्त करता है।
  • झुकाव पृथ्वी पर विभिन्न मौसमों के लिये भी ज़िम्मेदार है। इस घटना के कारण सूर्य की गति उत्तरी से दक्षिणी गोलार्द्ध की ओर होती है और इसके विपरीत यह वर्ष में मौसमी परिवर्तन लाता है।

विषुव 

  • वर्ष में दो बार विषुव ("बराबर रातें") के दौरान पृथ्वी की धुरी हमारे सूर्य की ओर नहीं होती है, बल्कि आने वाली किरणों के लंबवत होती है।
  • इसका परिणाम सभी अक्षांशों पर "लगभग" समान मात्रा में दिन के उजाले और अंधेरे में होता है।
  • वसंत विषुव (Spring Equinox) उत्तरी गोलार्द्ध में 20 या 21 मार्च को होता है। 22 या 23 सितंबर को उत्तरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु या पतझड़ विषुव होता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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