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राज्‍य ऊर्जा दक्षता सूचकांक 2019

  • 11 Jan 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

राज्‍य ऊर्जा दक्षता सूचकांक 2019, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो, संबंधित मंत्रालय

मेन्स के लिये:

ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में राज्‍यों द्वारा की गई प्रगति और एनर्जी फुट प्रिंट के प्रबंधन की निगरानी में सूचकांक का महत्त्व, सूचकांक की उपयोगिता

चर्चा में क्यों?

10 जनवरी, 2020 को ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of Power) ने राज्‍य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (State Energy Efficiency Index) 2019 जारी किया।

प्रमुख बिंदु

  • यह सूचकांक 97 महत्त्वपूर्ण संकेतकों के आधार पर 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (29 राज्य और 7 केंद्रशासित प्रदेश) में ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency-EE) पहल की प्रगति के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

Note: यद्यपि वर्तमान में 28 राज्य और 9 केंद्रशासित प्रदेश हैं लेकिन राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक 2019 में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को सामूहिक रूप से शामिल किया गया है।

state energy

  • इस सूचकांक को ऊर्जा दक्ष अर्थव्यवस्था हेतु गठबंधन (Alliance for an Energy Efficient Economy-AEEE) तथा ऊर्जा दक्षता ब्‍यूरो (Bureau of Energy Efficiency-BEE) द्वारा मिलकर विकसित किया गया है।
  • इस वर्ष नीति और विनियमन, वित्तपोषण तंत्र, संस्थागत क्षमता, ऊर्जा दक्षता उपायों को अपनाने तथा ऊर्जा बचत के प्रयासों एवं उपलब्धियों के आधार पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का आकलन किया गया है।
  • ‘राज्‍य ऊर्जा दक्षता तैयारी सूचकांक’ (State Energy Efficiency Preparedness Index) इस क्रम में पहला सूचकांक था जिसे अगस्‍त 2018 में जारी किया गया था। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए अब राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक 2019 जारी किया गया है जिसमें गुणात्मक, मात्रात्मक और परिणाम आधारित संकेतकों के माध्‍यम से पाँच अलग-अलग क्षेत्रों- भवन निर्माण उद्योग, नगर पालिका, परिवहन, कृषि, MSME क्‍लस्‍टरों और वितरण कंपनियों (Distribution Companies-DISCOM) में ऊर्जा दक्षता हेतु की गई पहलों, कार्यक्रमों और परिणामों का आकलन किया गया है।
  • इस वर्ष के लिये नए संकेतकों में ऊर्जा संरक्षण भवन कोड (Energy Conservation Building Code-ECBC) 2017 को अपनाना, MSME समूहों में ऊर्जा दक्षता आदि शामिल हैं।

राज्यों के बीच तर्कसंगत तुलना

India

  • तर्कसंगत तुलना के लिये राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कुल प्राथमिक ऊर्जा आपूर्ति (Total Primary Energy Supply-TPES) पर आधारित चार समूहों- फ्रंट रनर (Front Runner), अचीवर (Achiever), कंटेंडर (Contender) और एस्पिरेंट (Aspirant) में बांटा गया है।
    • ‘फ्रंट रनर’ समूह में किसी भी राज्य को स्थान नहीं मिला है।
    • हरियाणा, केरल और कर्नाटक वर्ष 2019 के लिये 'अचीवर' समूह में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं।
    • मणिपुर, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और राजस्थान ‘एस्पिरेंट’ समूह में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं।
  • TPES ग्रुपिंग राज्यों को प्रदर्शन की तुलना करने और अपने सहकर्मी समूह के भीतर सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में मदद करेगा।

राज्‍यों द्वारा की गई प्रमुख पहलें

  • राज्‍य ऊर्जा दक्षता सूचकांक 2019 दर्शाता है कि राज्यों द्वारा की गई अधिकांश पहलें नीतियों और विनियम से संबंधित हैं। BEE द्वारा मानकों और लेबलिंग (Standards & Labelling- S&L), ECBC, परफॉर्म अचीव एंड ट्रेड (Perform Achieve & Trade- PAT) आदि कार्यक्रमों के तहत तैयार की गई पहली-पीढ़ी की ऊर्जा दक्षता नीतियों में से अधिकांश को राज्‍यों ने अच्‍छी तरह से अपनाया है और अगले चरण में उन्हें ऊर्जा बजट पर अधिक ध्‍यान केंद्रित करने की आवश्‍यकता है।
  • इस वर्ष राज्यों द्वारा भेजी गई प्रतिक्रियाओं के विश्लेषण के आधार पर राज्य की एजेसिंयों के लिये तीन-बिंदुओं वाले एजेंडे का सुझाव दिया गया है:
    • नीति निर्माण और कार्यान्वयन में राज्यों की सक्रिय भूमिका: नीतियों के निर्माण से ज़्यादा नीतियों के कार्यान्‍वयन पर ध्‍यान केंद्रित करने पर ज़ोर।
    • डेटा संकलन तथा सार्वजनिक रूप से उसकी उपलब्‍धता की व्‍यवस्‍था को मज़बूत बनाना: इस वर्ष का सूचकांक तैयार करते समय राज्‍य एजेसियों ने विभिन्‍न विभागों से डेटा प्राप्‍त करने में सक्रियता दिखाई। हालाँकि उन्‍हें इस दिशा में और बेहतर तरीके से काम करने के लिये विभिन्‍न विभागों और निजी क्षेत्रों के साथ बेहतर तालमेल स्थापित करना होगा।
    • ऊर्जा दक्षता कार्यक्रमों की विश्‍वसनीयता में वृद्धि करना: ऊर्जा दक्षता बाज़ार में बदलाव लाने के लिये आम उपभोक्ताओं के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क वाले कार्यक्रमों के महत्त्व को सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है। इसके लिये राज्‍यों को ऊर्जा बचत के उपायों के अनुपालन के साथ-साथ स्‍वतंत्र रूप से इन पर निगरानी रखने की भी व्‍यवस्‍था करनी होगी जो कि ऊर्जा दक्षता नीतियों और कार्यक्रमों का अहम हिस्‍सा हैं।

सूचकांक का महत्त्व:

  • यह राज्‍यों को ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु से संबधित लक्ष्‍यों को हासिल करने में मदद करेगा।
  • साथ ही यह ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में राज्‍यों द्वारा की गई प्रगति और राज्‍यों तथा देश के एनर्जी फुट प्रिंट के प्रबंधन की निगरानी में भी सहायक होगा।

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE)

  • भारत सरकार ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के उपबंधों के अंतर्गत 1 मार्च, 2002 को की।
  • ऊर्जा दक्षता ब्यूरो का मिशन, ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के समग्र ढाँचे के अंदर स्व-विनियम और बाज़ार सिद्धांतों पर महत्त्व देते हुए ऐसी नीतियों और रणनीतियों का विकास करने में सहायता प्रदान करना है जिनका प्रमुख उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था में ऊर्जा की गहनता को कम करना है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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