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भारतीय अर्थव्यवस्था

छोटी बचत योजनाएँ

  • 05 May 2021
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने सभी छोटी बचत योजनाओं (Small Savings Scheme/Instrument) पर दरों को कम करने का अपना आदेश वापस ले लिया है।

प्रमुख बिंदु

छोटी बचत योजना के विषय में:

  • ये योजनाएँ व्यक्तियों को एक विशेष अवधि के दौरान अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती हैं।
  • ये भारत में घरेलू बचत के प्रमुख स्रोत हैं।
  • इसमें 12 योजनाएँ शामिल हैं।
  • ऐसी सभी योजनाओं के संग्रह को राष्ट्रीय लघु बचत कोष (National Small Savings Fund) में जमा किया जाता है।

वर्गीकरण: ऐसी योजनाओं को तीन प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • डाक जमा (बचत खाता, आवर्ती जमा, अलग-अलग परिपक्वता की सावधि जमा राशि और मासिक आय योजना)।
  • बचत प्रमाणपत्र: राष्ट्रीय लघु बचत प्रमाणपत्र (National Small Savings Certificate) और किसान विकास पत्र (Kisan Vikas Patra)।
  • सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ: सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Scheme), सार्वजनिक भविष्य निधि (Public Provident Fund) और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (Senior Citizens‘ Savings Scheme)।

छोटी बचत योजनाओं की दरें:

  • इन योजनाओं के लिये दरों की घोषणा प्रत्येक वर्ष के तिमाही में की जाती है।
  • इन योजनाओं की दरों में परिवर्तन सरकारी प्रतिभूतियों की उत्पादकता पर निर्भर करता है। राजनीतिक कारक भी दर परिवर्तन को प्रभावित करते हैं।
  • छोटी बचत योजना पर वर्ष 2010 में गठित श्यामला गोपीनाथ पैनल ने इनके लिये बाज़ार से जुड़ी ब्याज दर प्रणाली का सुझाव दिया था।

राष्ट्रीय लघु बचत कोष

स्थापना:

  • इस कोष की स्थापना वर्ष 1999 में की गई थी।

प्रशासन:

  • इस कोष को भारत सरकार, वित्त मंत्रालय (आर्थिक मामलों का विभाग) द्वारा राष्ट्रीय लघु बचत कोष (कस्टडी और निवेश) नियम, 2001 के तहत संविधान के अनुच्छेद 283 (1) के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा प्रशासित किया जाता है।
  • इसे वित्त मंत्रालय (आर्थिक मामलों का विभाग) राष्ट्रीय लघु बचत कोष (निगरानी और निवेश) नियम, 2001 के अंतर्गत प्रशासित करता है।

उद्देश्य:

  • इस कोष का उद्देश्य भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) से छोटी बचत लेन-देन को जोड़ना और पारदर्शी तथा आत्मनिर्भर तरीके से उनका संचालन सुनिश्चित करना है।
  • राष्ट्रीय लघु बचत कोष सार्वजनिक खाते के रूप में संचालित होता है, इसलिये इसका लेन-देन सीधे केंद्र के वित्तीय घाटे को प्रभावित नहीं करता है।

स्रोत: द हिंदू

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