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भारतीय अर्थव्यवस्था

सी-प्लेन सर्विस

  • 26 Oct 2020
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

स्टेच्यू ऑफ यूनिटी, सी- प्लेन 

मेन्स के लिये

सी-प्लेन का आर्थिक महत्त्व

चर्चा में क्यों?

देश में पहली बार एक विशेष सेवा के रूप में 19 सीटर सी-प्लेन (Seaplane) जिसे गुजरात में साबरमती रिवरफ्रंट (Sabarmati Riverfront) और सरदार वल्लभभाई पटेल की ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) के बीच उड़ानों के लिये इस्तेमाल किया जाएगा, रविवार को मालदीव से भारत पहुँचा।

Seaplane

प्रमुख बिंदु:

  • समुद्र में संचालन योग्य यह विमान अहमदाबाद जाने के रास्ते में कोच्चि पहुँचा और वेंदुरुथी चैनल (Venduruthy Channel) में सुरक्षित उतरा, जहाँ नर्मदा ज़िले में साबरमती रिवरफ्रंट और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बीच देश की पहली सी-प्लेन सेवा शुरू की जाएगी। 
  • केंद्रीय शिपिंग राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया के अनुसार, यदि सब सुचारु रूप से रहा तो सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर 31 अक्तूबर, 2020 से यह सेवा शुरू होने की संभावना है।  
  • स्पाइसजेट कंपनी ने ट्विन ओटर (Twin Otter) 300 सी-प्लेन को किराए पर लिया है, जिसमें एक बार में 12 यात्री उड़ान भर सकेंगे। 

भारत की पहली सी-प्लेन परियोजना:

  • देश का पहला सी-प्लेन प्रोजेक्ट केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक निर्देश का हिस्सा है। 
  • इस निर्देश के अनुसार, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (Airports Authority of India- AAI) ने गुजरात, असम, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की राज्य सरकारों तथा अंडमान एवं निकोबार के प्रशासन से पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये पानी के एयरोड्रोम स्थापित करने हेतु संभावित स्थानों का प्रस्ताव प्रस्तुत करने का अनुरोध किया गया है।

सी-प्लेन सर्विस का पर्यावरण पर प्रभाव:

  • पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2006 और इसके संशोधनों की अनुसूची में जल एयरोड्रम एक सूचीबद्ध परियोजना/गतिविधि नहीं है।
  • हालाँकि एक विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति की राय यह थी कि वाटर एयरोड्रम परियोजना के तहत प्रस्तावित गतिविधियों के एक हवाई अड्डे के समान प्रभाव हो सकते हैं।
  • नर्मदा में शूलपाणेश्वर वन्यजीव अभयारण्य प्रस्तावित परियोजना स्थल से दक्षिण-पश्चिम दिशा में 2.1 किमी की अनुमानित हवाई दूरी पर स्थित है, जबकि निकटतम आरक्षित वन पूर्व दिशा में 4.7 मीटर की दूरी पर स्थित है, जो स्थानीय संवेदनशील पशु वर्ग प्रजातियों के संरक्षण के लिये जाना जाता है। 

शूलपाणेश्वर वन्यजीव अभयारण्य

(Shoolpaneshwar Wildlife Sanctuary):

  • शूलपाणेश्वर वन्यजीव अभयारण्य गुजरात राज्य के नर्मदा ज़िले में स्थित है। इसमें पुष्पीय पौधों की लगभग 575 प्रजातियाँ मौजूद हैं। इसमें पतझड़ वन के साथ-साथ अर्द्ध-सदाबहारीय पेड़ों की बहुतायत है। इसमें बाँस के पेड़ भी बड़ी संख्या में हैं। यह अभयारण्य 607.70 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें रीसस स्लॉथ बियर, तेंदुआ, मकाक, चौसिंघा , बार्किंग डीयर, छिपकली और हर्पेटो जीव जैसी प्रजातियों की व्यापक किस्में मौजूद हैं।
  • इस अभयारण्य को वर्ष 1982 में 150.87 वर्ग किमी. के क्षेत्र में बनाया गया था। इसके बाद वर्ष 1987 और 1989 में अभयारण्य का क्षेत्रफल 607.70 वर्ग किमी. तक विस्तारित कर दिया गया। 

Shoolpaneshwar

  • भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (Inland Waterways Authority of India- IWAI) द्वारा डाइक-3 को अंतिम रूप देने से पहले बाथिमेट्रिक (Bathymetric) और हाइड्रोग्राफिक (Hydrographic) सर्वेक्षण किया गया जहाँ एक चट्टानयुक्त तालाब पाया गया जिसे लोकप्रिय रूप से ‘मगर तालाब’ (Magar Talav) कहा जाता है क्योंकि यह मगरमच्छों से प्रभावित है।
  • जनवरी 2019 से इस तालाब से मगरमच्छों को निकालने का काम जारी है, जिसके बाद मगरमच्छों का डाइक 1 और 2 से फिर से प्रवेश रोकने के लिये सीमा की फेंसिंग कार्य को भी पूरा किया गया।

सी-प्लेन:

  • सी-प्लेन एक निश्चित पंख वाला हवाई जहाज़ है जो पानी पर उतरने और उड़ने के लिये बनाया गया है। 
  • यह एक नाव की उपयोगिता के साथ एक हवाई जहाज़ की गति प्रदान करता है।
  • सी-प्लेन मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-
  1. फ्लाइंग बोट (Flying Boats)
  2. फ्लोटप्लेन (Floatplanes)

टर्मिनल के लिये साइट को अंतिम रूप दे दिया गया है क्योंकि इसके आयाम सी-प्लेन को उतारने की आवश्यकताओं के अनुरूप हैं, जिसके लिये कम-से-कम छह फीट की गहराई के साथ एक जल निकाय में न्यूनतम 900 मीटर की चौड़ाई की आवश्यकता होती है।

स्रोत-इंडियन एक्सप्रेस

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