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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सरदार सरोवर बांध और नर्मदा बचाओ आंदोलन

  • 18 Sep 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्म-दिवस पर सरदार सरोवर बांध का उदघाटन किया। उनके उदघाटन करते ही मेधा पाटकर के नेतृत्व में 40 हज़ार परिवारों के हक की लड़ाई लड़ रहे नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्त्ताओं ने तीन दिनों से चले आ रहे जल सत्याग्रह को स्थगित कर दिया। 

इस बांध के फायदे 

  • प्रधानमंत्री ने नर्मदा नदी पर बनने वाली सरदार सरोवर नर्मदा बांध का लोकार्पण करते हुए कहा की यह महत्त्वाकांक्षी परियोजना नए भारत के निर्माण में करोड़ों भारतीयों के लिये प्रेरणा का काम करेगी। 
  • यह बांध आधुनिक इंजीनियरिंग विशेषज्ञों के लिये एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण विषय होगा, साथ ही यह देश की ताकत का प्रतीक भी बनेगा। 
  • इस बांध परियोजना से मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के करोड़ों किसानों का भाग्य बदलेगा  और कृषि और सिंचाई के लिये वरदान साबित होगा।  
  • इस बांध की ऊँचाई को 138.68 मीटर तक बढ़ाया गया है ताकि बिजली उत्पन्न की जा सके। 
  • इस बांध परियोजना से पानी और यहाँ उत्पादित होने वाली बिजली से चार राज्यों- गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान को लाभ मिलेगा। 
  • गुजरात क्षेत्र में सिंचाई और जल संकट को देखते हुए नर्मदा पर बांध की परिकल्पना की गई थी।

बांध के विरोध का कारण 

  • भारत के चार राज्यों के लिये महत्त्वपूर्ण सरदार सरोवर परियोजना का नर्मदा बचाओ आंदोलन वर्ष 1985 से विरोध कर रहा है। आर्थिक और राजनीतिक विषयों के अलावा इस मुद्दे की कई परतें हैं, जिनमें इस क्षेत्र के गरीबों और आदिवासियों के पुनर्वास और वन भूमि का विषय सबसे महत्त्वपूर्ण है।
  • नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा इस बांध के विरोध का प्रमुख कारण इसकी ऊँचाई है, जिससे इस क्षेत्र के हज़ारों हेक्टेयर वन भूमि के जलमग्न होने का खतरा है।  
  • बताया जाता है कि जब भी इस बांध की ऊँचाई बढ़ाई गई है, तब हज़ारों लोगों को इसके आस-पास से विस्थापित होना पड़ा है तथा उनकी भूमि और आजीविका भी छिनी है।     
  • इस बांध की ऊँचाई बढ़ाए जाने से मध्य प्रदेश के 192 गाँव और एक नगर डूब क्षेत्र में आ रहे हैं। इसके चलते 40 हज़ार परिवारों को अपने घर, गाँव छोड़ने पड़ेंगे। 
  • इस आंदोलन की नेता मेधा पाटकर का आरोप है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद भी बांध प्रभावितों को न तो मुआवज़ा दिया गया है और न ही उनका बेहतर पुनर्वास किया गया है। उसके बावजूद बांध का जलस्तर बढ़ाया गया। 
  • नर्मदा बचाओ आंदोलनकारियों की मांग थी कि जलस्तर को बढ़ने से रोका जाए तथा पहले पुनर्वास हो फिर उसके बाद विस्थापन।
  • आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार इस बांध के बनने से मध्य प्रदेश के चार ज़िलों के 23,614 परिवार प्रभावित हुए थे। 

चित्र : जल सत्याग्रह करते नर्मदा बचाओ आंदोलनकारी

आगे की राह

  • आंदोलनकारियों की मांग है कि पुनर्वास पूरा होने तक सरदार सरोवर बांध में पानी का भराव रोका जाना चाहिये। यह भराव गुजरात के चुनाव में लाभ पाने के लिये मध्य प्रदेश के हज़ारों परिवारों की जिंदगी दांव पर लगाकर किया जा रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
  • वे 40000 परिवारों के पुनर्वास की माँग कर रहे हैं।  

कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • इस बांध की नीव 5 अप्रैल, 1961 को जवाहरलाल नेहरु ने रखी थी। 
  • इसकी ऊँचाई 138.68 मीटर, लंबाई 1200 मीटर और गहराई 163 मीटर है।
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