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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ओपन स्काई संधि से अलग हुआ रूस

  • 19 Jan 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

अमेरिका के ‘ओपन स्काई संधि’ (OST) से अलग होने की घोषणा के बाद रूस ने भी इस संधि से वापसी की घोषणा की है।

  • रूस के अनुसार, यह संधि सदस्य देशों की सीमाओं में सैन्य गतिविधियों की जाँच के लिये गैर-हथियार वाले निगरानी विमानों की उड़ान की अनुमति देती है और इस संधि से अमेरिका की वापसी के कारण रूस के सामरिक हितों पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
  • ज्ञात हो कि बीते वर्ष नवंबर माह में अमेरिका ने यह कहते हुए ‘ओपन स्काई संधि’ (OST) से स्वयं को अलग कर लिया था कि रूस द्वारा इस संधि का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन किया जा रहा है।

नोट

  • ‘ओपन स्काई संधि’, ‘ओपन स्काई समझौते’ से अलग है। ओपन स्काई समझौता एक द्विपक्षीय समझौता है, जो दो देशों की एयरलाइंस को अंतर्राष्ट्रीय यात्री एवं कार्गो सेवाओं को उपलब्ध कराने हेतु अधिकार प्रदान करता है। इससे अंतर्राष्ट्रीय यात्री और कार्गो उड़ानों की पहुँच में विस्तार होता है। हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने भारत के साथ एक ‘ओपन स्काई समझौता’ करने के प्रति रुचि व्यक्त की है।

प्रमुख बिंदु

संधि से अमेरिका की वापसी का कारण

  • रूस का निरंतर गैर-अनुपालन: अमेरिका बीते लगभग एक एक दशक से रूस पर ‘ओपन स्काई संधि प्रोटोकॉल’ का पालन न करने का आरोप लगाता रहा है। अमेरिका का आरोप है कि एक ओर रूस अमेरिका की निगरानी कार्यों में बाधा उत्पन्न करता है, वहीं दूसरी और वह अपने मिशन के माध्यम से अमेरिका की सैन्य गतिविधियों के बारे में महत्त्वपूर्ण सूचना एकत्रित कर रहा है।
  • यूक्रेनी क्षेत्र पर दावे के लिये संधि का दुरुपयोग: अमेरिका ने आरोप लगाया है कि रूस ने अतिक्रमण द्वारा क्रीमियन प्रायद्वीप में एक हवाई क्षेत्र को ओपन स्काई रीफ्यूलिंग क्षेत्र के रूप में मान्यता देकर अवैध रूप से यूक्रेनी क्षेत्र पर अपने दावे को और मज़बूत करने का कार्य किया।
  • महत्त्वपूर्ण अवसंरचना संबंधी जोखिम: अमेरिका का आरोप है कि रूस युद्ध के दौरान संभावित हमले के लिये अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों की महत्त्वपूर्ण अवसंरचना की पहचान कर रहा है।

संधि से रूस की वापसी का कारण

  • अमेरिका द्वारा उल्लंघन: अमेरिका और कुछ अन्य देशों को कालिलिनग्राद (पूर्वी यूरोप में रूसी एन्क्लेव जो कि नाटो सहयोगी लिथुआनिया और पोलैंड के बीच स्थित है) में विमानों की उड़ानों की अनुमति नहीं देने के कदम का समर्थन करते हुए रूस ने अमेरिका द्वारा अलास्का के ऊपर उड़ानों पर समान प्रतिबंध लगाने का उदाहरण दिया। 
  • नाटो देशों से आश्वासन का अभाव: ‘ओपन स्काई संधि’ से अमेरिका की वापसी के बाद रूस को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सदस्य देशों से इस संबंध में कोई अपेक्षित आश्वासन नहीं मिला, कि वे संधि के माध्यम से रूस से एकत्र किये गए डेटा को अमेरिका को हस्तांतरित नहीं करेंगे।

निहितार्थ

  • यूरोपीय नाटो सदस्य देशों के लिये 
    • संधि से रूस की वापसी के कारण अमेरिका के यूरोपीय सहयोगियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जो कि बाल्टिक क्षेत्र में रूसी सैन्य गतिविधियों को ट्रैक करने के लिये ‘ओपन स्काई संधि’ के डेटा पर निर्भर हैं।
  • अन्य संधियों पर प्रभाव
    • ‘ओपन स्काई संधि’ की विफलता के साथ ही एक और महत्त्वपूर्ण हथियार नियंत्रण संधि का महत्त्व समाप्त हो गया है, जबकि इससे पूर्व वर्ष 2019 में अमेरिका और रूस दोनों ने ‘मध्यम दूरी परमाणु बल संधि’ से स्वयं को अलग कर लिया था। इस संधि का उद्देश्य परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम इंटरमीडिएट रेंज और शाॅर्ट-रेंज मिसाइलों के अपने स्टॉक को नष्ट करना था।
    • ‘ओपन स्काई संधि’ से अमेरिका और रूस की वापसी के कारण फरवरी 2021 में समाप्त होने वाली ‘नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि’ {New Strategic Arms Reduction Treaty-(START)} के पुनः नवीनीकरण पर संदेह गहरा गया है।
  • भारत के लिये 
    • वैश्विक शक्तियों के बीच बढ़ते अविश्वास के कारण भारत के लिये भविष्य में अमेरिका और रूस के साथ अपने संबंधों को बनाए रखना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।

ओपन स्काई संधि (OST)

पृष्ठभूमि

  • इस संधि की अवधारणा शीत युद्ध के शुरुआती वर्षों के दौरान अमेरिका द्वारा तनाव को कम करने के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई थी।
  • सोवियत संघ के विघटन के बाद नाटो सदस्यों और पूर्ववर्ती वारसा संधि में शामिल देशों के बीच मार्च 1992 में फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी (Helsinki) में इस संधि पर हस्ताक्षर किये गए थे।
    • पश्चिम जर्मनी के नाटो में शामिल होने के बाद सोवियत संघ और उसके सहयोगी राष्ट्रों के बीच वारसा संधि (1955) पर हस्ताक्षर किये गए थे।
    • यह एक पारस्परिक रक्षा समझौता था, जिसे पश्चिमी देशों ने पश्चिम जर्मनी के नाटो की सदस्यता के खिलाफ एक प्रतिक्रिया के रूप में माना।

लक्ष्य

  • आत्मविश्वास में बढ़ोतरी: इस संधि का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच विश्वास को बढ़ाना और परस्पर सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय स्थिरता को मज़बूती प्रदान करना है। 

प्रावधान

  • निगरानी: इस संधि में 34 हस्ताक्षरकर्त्ता देशों (अमेरिका और रूस सहित) को संधि में शामिल अन्य देशों की सीमाओं में सैन्य गतिविधियों की जाँच के लिये गैर-हथियार वाले निगरानी विमानों की उड़ान की अनुमति है।
    • इस निगरानी के दौरान केवल इमेजिंग उपकरणों की ही अनुमति दी जाती है।
    • इस निगरानी के दौरान उस देश के सदस्य भी निगरानी प्रकिया में हिस्सा ले सकते हैं, जिसकी निगरानी की जा रही है।
  • रणनीतिक सूचना साझा करना: सैन्य गतिविधियों, सैन्य अभ्यास और मिसाइल तैनाती आदि पर एकत्रित जानकारी को सभी सदस्य देशों के साथ साझा किया जाता है।
  • अमेरिका और रूस दोनों इस संधि से अलग हो गए हैं।
  • भारत इस संधि में शामिल नहीं है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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