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समुद्री परिवहन 2023 की समीक्षा: UNCTAD

  • 04 Oct 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

समुद्री परिवहन 2023 की समीक्षा, व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD), कोविड-19, ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन

मेन्स के लिये:

समुद्री परिवहन 2023 की समीक्षा: UNCTAD

स्रोत : डाउन टू अर्थ 

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) ने समुद्री परिवहन 2023 की समीक्षा की है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय नौपरिवहन से ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन के मुद्दों और डी-कार्बोनाइज़ेशन में चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है।

प्रमुख बिंदु

  • अंतर्राष्ट्रीय नौपरिवहन से उत्सर्जन:
    • अंतर्राष्ट्रीय नौपरिवहन से GHG उत्सर्जन एक दशक पहले की तुलना में वर्ष 2023 में 20% अधिक दर्ज़ किया गया।
    • नौपरिवहन उद्योग वैश्विक व्यापार में 80% से अधिक एवं वैश्विक GHG उत्सर्जन में लगभग 3% का योगदान करता है।

  • नौपरिवहन में वृद्धि:
    • कोविड-19 के कारण वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में व्यवधान के कारण वर्ष 2022 में वैश्विक समुद्री नौपरिवहन मात्रा में 0.4% की गिरावट देखी गई।
    • हालाँकि वर्ष 2023 में इसके 2.4% बढ़ने का अनुमान है।
    • कंटेनरीकृत व्यापार वर्ष 2023 में 1.2% और वर्ष 2024-2028 के बीच 3% बढ़ने की उम्मीद है।
      • वर्ष 2022 में तेल और गैस व्यापार में मज़बूत वृद्धि दर्ज़ की गई। 
  • वैकल्पिक ईंधन की अनुपलब्धता:
    • जनवरी 2023 की शुरुआत में वाणिज्यिक जहाज़ औसतन 22.2 वर्ष पुराने थे और विश्व के आधे से अधिक बेड़े/जहाज़ 15 वर्ष से अधिक पुराने थे। 
    • जैसे-जैसे विश्व बेड़े की औसत आयु में वृद्धि हो रही है, तो यह बात चिंता का विषय बन गई है कि वैकल्पिक ईंधन अभी भी बड़े पैमाने पर उपलब्ध नहीं हैं और अधिक महंगे हैं, इसके अतिरिक्त जिन जहाज़ों में उनका उपयोग किया जा सकता है वे भी पारंपरिक जहाज़ों की तुलना में अधिक महंगे हैं।
  • वैकल्पिक ईंधन में परिवर्तन:
    • प्रौद्योगिकी और नियामक व्यवस्थाओं पर स्पष्टता के बिना जहाज़ मालिकों के लिये अपने बेड़े को नवीनीकृत करना बहुत मुश्किल है तथा बंदरगाह टर्मिनलों को भी ऐसी ही चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, विशेषकर निवेश निर्णयों के संबंध में।
    • वैश्विक बेड़े का 98.8% भारी ईंधन तेल, हल्के ईंधन तेल और डीज़ल/गैस तेल जैसे पारंपरिक ईंधनों का उपयोग करता है।
    • केवल 1.2% वैकल्पिक ईंधन, मुख्य रूप से LNG, LPG, मेथेनॉल और कुछ हद तक बैटरी/हाइब्रिड का उपयोग कर रहे हैं।
      • हालाँकि प्रगति जारी है क्योंकि वर्तमान में ऑर्डर पर मौज़ूद 21% जहाज़ वैकल्पिक ईंधन, विशेष रूप से LNG, LPG, बैटरी/हाइब्रिड और मेथेनॉल पर परिचालन के लिये डिज़ाइन किये गए हैं।
  • लागत अनुमान और परिवर्तन चुनौतियाँ:
    • वर्ष 2050 तक वैश्विक बेड़े को डीकार्बोनाइज़ करने के लिये 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से लेकर 90 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक के वार्षिक निवेश की आवश्यकता हो सकती है।
    • पूर्ण डीकार्बोनाइज़ेशन से वार्षिक ईंधन लागत दोगुनी हो सकती है, जिससे इस क्षेत्र में उचित परिवर्तन की आवश्यकता होगी।
      • अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (International Maritime Organization- IMO) ने लगभग वर्ष 2050 तक शुद्ध-शून्य GHG उत्सर्जन प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।
      • वर्ष 2023 IMO GHG रणनीति का लक्ष्य वर्ष 2030 तक शून्य या लगभग-शून्य GHG ईंधन का उपयोग कम से कम 5-10% किया जाना है।

आर्थिक प्रोत्साहन हेतु UNCTAD की सिफारिशें:

  • नवीकरणीय अमोनिया और मेथेनॉल ईंधन को दोहरे-ईंधन इंजन वाले नए जहाज़ों के लिये अधिक उपयुक्त माना जाता है।
  • सतत् समुद्री परिवहन ईंधन को जीवन-चक्र 'वेल-टू-वेक' आधार पर शून्य या लगभग शून्य कार्बन डाइ-ऑक्साइड समकक्ष उत्सर्जन प्राप्त करना चाहिये।
  • UNCTAD सिस्टम-व्यापी सहयोग, त्वरित नियामक हस्तक्षेप और हरित प्रौद्योगिकियों तथा बेड़े में मज़बूत निवेश का समर्थन करता है।
  • आर्थिक प्रोत्साहन, जैसे लेवी या नौपरिवहन उत्सर्जन से संबंधित योगदान, वैकल्पिक ईंधन की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा दे सकते हैं और जलवायु के अनुरूप लचीले बुनियादी ढाँचे में निवेश का समर्थन कर सकते हैं।  
  • पर्यावरणीय लक्ष्यों को आर्थिक आवश्यकताओं के साथ संतुलित करने की आवश्यकता है, लेकिन यह रेखांकित करता है कि निष्क्रियता की लागत आवश्यक निवेश से कहीं अधिक है।
  • स्वच्छ ईंधन के अतिरिक्त, नौपरिवहन उद्योग में दक्षता के साथ-साथ संधारणीयता में सुधार लाने के लिये AI और ब्लॉकचेन जैसे डिजिटल समाधानों को तेज़ी से अपनाने की आवश्यकता है।

अंतर्राष्ट्रीय नौपरिवहन को डीकार्बोनाइज़ करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय निकायों द्वारा की गई पहलें: 

  • ऊर्जा दक्षता मौज़ूदा जहाज़ सूचकांक (Energy Efficiency Existing Ship Index- EEXI):
    • कार्बन तीव्रता संकेतक (Carbon Intensity Indicator- CII), जो जहाज़ों को वार्षिक रूप से कितने ईंधन की खपत करते हैं, के आधार पर A से E के बीच एक परिचालन कार्बन तीव्रता ग्रेड प्रदान करता है, और EEXI- यह जहाज़ के आकार और जहाज़ के प्रकार के आधार पर जहाज़ द्वारा उत्सर्जित करने के लिये डिज़ाइन की गई कार्बन डाइ-ऑक्साइड की मात्रा को सीमित करके जहाज़ की तकनीकी कार्बन तीव्रता को सीमित करता है। इन दोनों  कारकों को ध्यान में रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) जहाज़ों के लिये अपने मौज़ूदा कार्बन तीव्रता नियमों में बदलाव करने जा रहा है।
  • IMO का मध्यावधि मूल्यांकन उपाय:
    • इसके अतिरिक्त, IMO मध्यावधि मूल्यांकन उपाय नामक नए नियम विकसित कर रहा है, जिसमें तकनीकी दृष्टि से ग्रीनहाउस गैस ईंधन मानक (GFS) और आर्थिक दृष्टि से कार्बन लेवी, शुल्क प्रणाली अथवा कैप-एंड-ट्रेड शामिल होंगे।
    • IMO का लक्ष्य वर्ष 2025 तक इन उपायों पर सहमति बनाना और वर्ष 2027 में इन्हें लागू करना है।
  • द ग्रीन वॉयेज़ 2050 प्रोजेक्ट:
    • यह नॉर्वे सरकार और IMO के बीच मई 2019 में शुरू की गई एक साझेदारी परियोजना है, जिसका लक्ष्य नौपरिवहन उद्योग को निम्न कार्बन उत्सर्जन वाले उद्योग में बदलना है।
  • जहाज़ों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिये अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय (MARPOL Convention):
    • MARPOL अभिसमय परिचालन अथवा आकस्मिक कारणों से जहाज़ों द्वारा समुद्री पर्यावरण के प्रदूषण की रोकथाम को कवर करने वाला मुख्य अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय है।
    • इसे 2 नवंबर 1973 को IMO द्वारा अंगीकृत किया गया था।
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