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भारतीय अर्थव्यवस्था

आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की

  • 19 Jul 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

क्रिप्टोकरेंसी, बिटकॉइन, ब्लॉकचेन

मेन्स के लिये:

क्रिप्टोकरेंसी और संबंधित मुद्दे, सरकारी नीतियांँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने देश के मौद्रिक और राजकोषीय स्वास्थ्य के लिये 'अस्थिर प्रभावों' का हवाला देते हुए क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है।

क्रिप्टो की वर्तमान स्थिति:

  • फिलहाल भारत में क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने वाला कोई केंद्रीय प्राधिकरण नहीं है। भारत में क्रिप्टोकरेंसी रखना अभी भी अवैध नहीं है। वर्ष 2020 में सर्वोच्च न्यायालय ने भारत में क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार पर प्रतिबंध लगाने का सख्त आदेश दिया था, जो भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा लगाया गया था।
  • सेंट्रल बैंक वर्ष 2013 से ही लोगों को वर्चुअल करेंसी के इस्तेमाल के प्रति आगाह कर रहा है।
  • अप्रैल 2018 में आरबीआई ने विनियमित संस्थाओं को आभासी मुद्राओं में काम करने या किसी व्यक्ति या संस्था को उनके साथ व्यवहार करने या उन्हें निपटाने में सुविधा प्रदान करने के लिये सेवाएंँ प्रदान करने से प्रतिबंधित कर दिया था। मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश को रद्द कर दिया था।
  • इसके बाद मई 2021 में केंद्रीय बैंक ने अपनी विनियमित संस्थाओं को सलाह दी कि वे अपने ग्राहक को जानें (KYC), एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग, धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002 आदि के तहत आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के मानक दायित्व और विदेशी प्रेषण के विनियमन के लिये विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) मानदंडों को नियंत्रित करने वाले नियमों के अनुरूप, ऐसी विनिमयन प्रक्रियाओं को ग्राहकों के लिये जारी रखें।
  • केंद्रीय बजट 2022-2023 में आने वाले वित्तीय वर्ष में एक डिजिटल मुद्रा पेश करने का भी प्रस्ताव है।

आरबीआई की चिंताएँ:

  • नॉन-फिए मुद्रा:
    • क्रिप्टोकरेंसी एक मुद्रा नहीं है क्योंकि हर आधुनिक मुद्रा को केंद्रीय बैंक या सरकार द्वारा जारी करने की आवश्यकता होती है।
  • काल्पनिक और अस्थिर:
    • फिएट मुद्राओका मूल्य मौद्रिक नीति और कानूनी निविदा के रूप में उनकी स्थिति से संबंधित होता है, हालाँकि क्रिप्टोकरेंसी का मूल्य पूरी तरह से उच्च रिटर्न के अनुमानों और अपेक्षाओं पर निर्भर करता है, जो स्थिर नहीं होता है, इसलिये किसी देश की स्थिरता पर इसका मौद्रिक एवं राजकोषीय रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।

 क्रिप्टोकरेंसी:

  • परिचय:
    • क्रिप्टोकरेंसी, जिसे कभी-कभी क्रिप्टो-मुद्रा या क्रिप्टो कहा जाता है, मुद्रा का एक ऐसा रूप है जो डिजिटल या वस्तुतः मौजूद है और लेन-देन को सुरक्षित करने के लिये क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करती है।
    • क्रिप्टोकरेंसी में मुद्रा जारी करने या विनियमित करने वाला कोई केंद्रीय प्राधिकरण नहीं है। यह लेन-देन को रिकॉर्ड करने और नई इकाइयों को जारी करने के लिये विकेंद्रीकृत प्रणाली का उपयोग करती है।
      • इसका संचालन एक विकेंद्रीकृत पीयर-टू-पीयर नेटवर्क द्वारा होता है जिसे ब्लॉकचेन कहा जाता है।
  • लाभ:
    • तीव्र एवं किफायती लेन-देन: क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन के लिये बैंक या किसी अन्य मध्यस्थ की भूमिका की आवश्यकता नहीं होती है, अतः इस माध्यम से बहुत ही कम खर्च में लेन-देन किया जा सकता है।
    • निवेश गंतव्य: क्रिप्टोकरेंसी की आपूर्ति सीमित है। इसके अलावा पिछले कुछ वर्षों में अन्य वित्तीय साधनों की तुलना में क्रिप्टोकरेंसी की कीमत तेज़ी से बढ़ी है।
      • इसके कारण क्रिप्टोकरेंसी एक पसंदीदा निवेश गंतव्य बन सकता है।
    • मुद्रास्फीति रोधी मुद्रा (Anti-Inflationary Currency): क्रिप्टोकरेंसी की उच्च मांग के कारण इसकी कीमतें काफी हद तक बढ़ती प्रक्षेपवक्र पर बनी हुई हैं। इस परिदृश्य में लोग इसे खर्च करने की तुलना में अधिक क्रिप्टोकरेंसी रखते हैं।
      • इससे मुद्रा पर अपस्फीतिकारी प्रभाव पड़ेगा।

क्रिप्टोकरेंसी संबंधी चुनौतियाँ:

  • विज्ञापन की अत्यधिक्ता: क्रिप्टो बाज़ार को त्वरित लाभ कमाने के तरीके के रूप में देखा जाता है। इसके कारण लोगों को इस बाज़ार में सट्टा लगाने हेतु लुभाने के लिये ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के विज्ञापनों की लगातार वृद्धि हो रही है।
    • हालाँकि चिंता का कारण यह है कि "अति-वादा" और "गैर-पारदर्शी विज्ञापन" के माध्यम से युवाओं को गुमराह करने के प्रयास किया जा रहा है।
  • प्रतिकूल उपयोगिता: अनियमित क्रिप्टो बाज़ार मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक के वित्तपोषण का साधन बन सकते हैं।
  • क्रिप्टोकरेंसी की अस्थिरता: बिटकॉइन 40,000 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 65,000 अमेरिकी डॉलर (जनवरी से अप्रैल 2021 के बीच) के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुँच गया।
    • यह मई 2021 में गिर गया और पूरे जून माह में 30,000 अमेरिकी डॉलर से नीचे रहा।
  • मैक्रोइकोनॉमिक और वित्तीय स्थिरता हेतु जोखिम: इस अनियमित परिसंपत्ति वर्ग में भारतीय खुदरा निवेशकों के निवेश जोखिम की सीमा मैक्रोइकोनॉमिक और वित्तीय स्थिरता के लिये जोखिम है।
    • क्रिप्टो एक्सचेंजों के एक समूह के अनुसार, करोड़ों भारतीयों ने क्रिप्टो संपत्ति में 6,00,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है।
  • शेयर बाज़ार के मुद्दे: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इस मुद्दे को हरी झंडी दिखाई है कि क्रिप्टो मुद्राओं के "समाशोधन और निपटान" पर इसका कोई नियंत्रण नहीं है और यह प्रतिपक्ष गारंटी की पेशकश नहीं कर सकता जैसा कि शेयरों के लिये किया जा रहा है।
    • इसके अलावा क्या क्रिप्टोकरेंसी एक मुद्रा, वस्तु या सुरक्षा है, इसे परिभाषित नहीं किया गया है।

आगे की राह

  • भारत ने अभी तक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 के लिये क्रिप्टोकरेंसी और विनियमन को पेश नहीं किया है, जो "आधिकारिक डिजिटल मुद्रा" कि शुरुआत के लिये नियामक ढाँचा तैयार करेगा
    • इस प्रकार बिल को पारित करने में तेज़ी लाने और क्रिप्टोकरेंसी से निपटने के लिये एक नियामक ढाँचा तैयार करने की आवश्यकता है।
  • गंभीर समस्याओं को रोकने एवं यह सुनिश्चित करने के लिये कि क्रिप्टोकरेंसी का दुरुपयोग न हो, साथ ही निवेशकों को बाज़ार की अत्यधिक अस्थिरता और संभावित घोटालों से बचाने के लिये इसका विनियमन आवश्यक है।
  • क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित या प्रतिबंधित करने वाला कानून केवल तभी प्रभावी हो सकता है जब किसी प्रकार का अंतर्राष्ट्रीय समझौता हो।
    • क्रिप्टोकरेंसी के असीमित उपयोग को देखते हुए इसके लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है।
  • इसलिये विनियमन या प्रतिबंध के लिये कोई भी कानून इसके जोखिम और लाभों के मूल्यांकन एवं सामान्य वर्गीकरण तथा मानकों के विकास पर महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के बाद ही प्रभावी हो सकता है।

स्रोत: द हिंदू

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