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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

त्‍वरित प्रतिक्रिया नियामक सक्षम तंत्र

  • 03 Jun 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

पुनरावर्ती डीएनए प्रौद्योगिकी 

मेन्स के लिये:

जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा COVID -19 महामारी के संदर्भ में जैव सुरक्षा नियामक को जारी सक्रिय दिशा-निर्देश 

चर्चा में क्यों:

हाल ही में ‘जैव प्रौद्योगिकी विभाग’ (Department of Biotechnology) द्वारा COVID -19 महामारी को ध्यान में रखते हुए जैव सुरक्षा नियामक को सरल एंव और अधिक कारगर बनाने के लिये तथा इस महामारी में संलग्न शोधकर्त्ताओं और उद्योगों को सुविधा प्रदान करने के लिये कई सक्रिय कदम उठाए गए हैं।

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प्रमुख बिंदु:

  • जैव सुरक्षा नियामक, जीवों से संबंधित पुनरावर्ती डीएनए प्रौद्योगिकी (Recombinant DNA Technology) तथा खतरनाक सूक्ष्मजीवों पर अनुसंधान और विकास में सक्रिय रूप से संलग्न हैं। 
  • जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा इस दिशा में निम्नलिखित कदम उठाए हैं- 

भारतीय जैव सुरक्षा ज्ञान पोर्टल का संचालन:

  • जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा इसे मई, 2019 में लॉन्च कर पूर्ण रूप से संचालित किया गया है। वर्तमान समय में यह केवल सभी नवीन आवदेनों को ऑनलाइन माध्यम से प्राप्त कर रहा है।
  • इससे पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और समयबद्धता आई है। 

अनुसंधान और विकास उद्देश्य के लिये आनुवांशिक रूप से रूपांतरित जीवों और उत्पाद के आयात, निर्यात और विनिमय पर संशोधित सरलीकृत दिशा निर्देशों की अधिसूचना:

  • जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा जनवरी, 2020 में संशोधित दिशा-निर्देश जारी किये गए। 
  • जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, संस्थागत जैव सुरक्षा समिति को आयात निर्यात के आवेदनों पर निर्णय लेने और जोखिम समूह-1 (Risk Group-1) और जोखिम समूह-2 (Risk Group-2) में शामिल मदों के लिये अनुसंधान और विकास उद्देश्य के लिये आनुवंशिक रूप से रूपांतरित जीवों और उत्पाद के आदान-प्रदान करने से संबंधित निर्णय करने का अधिकार दिया गया है।

COVID​​-19 पर अनुसंधान और विकास की सुविधा:

  • तेज़ी से फैलती COVID-19 महामारी के लिये अनुसंधान और विकास की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा COVID-19 पर शोध कर रहे शोधकर्त्ताओं और उद्योगों को शामिल करने के लिये अनेक कदम उठाए गए हैं।
  • इसके अलावा डीबीटी द्वारा COVID -19 पर निम्नलिखित दिशा-निर्देश, आदेश और जाँच सूची जारी की है, जो इस प्रकार है- 
    • 20 मार्च, 2020 को COVID-19 के लिये टीका, निदान, रोग निरोधी उपाय और रोग चिकित्‍सा विकसित करने के आवेदन के लिये त्‍वरित प्रतिक्रिया नियामक ढाँचा (रैपिड रिस्पांस रेगुलेटरी फ्रेमवर्क) अधिसूचित किया गया।
    • जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा 08 अप्रैल, 2020 को ‘इंटरेक्टिव गाइडेंस डॉक्यूमेंट ऑन लेबोरेटरी बायोसेफ्टी टू हैंडल COVID-19 स्पेसिमन्स’(Interim Guidance Document on Laboratory Biosafety to Handle COVID-19 Specimens) को अधिसूचित किया।
    • 30 जून, 2020 तक भारतीय बायोमेडिकल कौशल प्रमाणन (Indian Biomedical Skill Certification- IBSC) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपनी बैठक आयोजित करने की अनुमति दी गई है।

पुनरावर्ती डीएनए प्रौद्योगिकी (Recombinant DNA Technology):

  • इस तकनीकी में दो या दो से अधिक स्रोतों से DNA को संयोजित करके पुनरावर्ती DNA बनाया जाता है। 
  • इस प्रक्रिया में, अक्सर विभिन्न जीवों के DNA को जोड़ना पड़ता है।
  • यह प्रक्रिया DNA को काटने तथा पुन: जोड़ने की क्षमता पर निर्भर करती है।
  • जिस जीन को प्रवेश कराया जाता है उसको रेकॉम्बीनैंट जीन (Recombinant Gene)कहते है तथा इस पूरी तकनीक को रेकॉम्बीनैंट DNA टेक्नोलॉजी (Recombinant DNA Technology) कहा जाता है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology): 

  • वर्ष 1986 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत जैव प्रौद्योगिकी विभाग की स्थापना की गई। 
  • यह राष्‍ट्रीय अनुसंधान प्रयोगशालाओं, विश्‍वविद्यालयों और विभिन्‍न क्षेत्रों में अनुसंधान, जो जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित हैं, के लिये सहायता अनुदान की सहायता प्रदान करने के लिये एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्यरत है।

स्रोत: पीआईबी

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