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Rapid Fire करेंट अफेयर्स (18 October)

  • 18 Oct 2019
  • 6 min read

1. जम्मू-कश्मीर में विधान परिषद का समापन

  • इस महीने के अंत में जम्‍मू-कश्‍मीर राज्‍य को विभाजित कर दो केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने से राज्‍य की 62 वर्ष पुरानी विधान परिषद का 17 अक्तूबर को समापन हो गया।
  • राज्‍य प्रशासन ने परिषद को भंग करने और इसके 116 कर्मचारियों को सामान्‍य प्रशासन विभाग में रिपोर्ट करने के आदेश जारी किये हैं।
  • यह आदेश 31 अक्‍तूबर की आधी रात को राज्‍य को लद्दाख और जम्‍मू-कश्‍मीर नाम के दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किये जाने के करीब दो सप्‍ताह पहले आया है।
  • विदित हो कि केंद्रसरकार ने 5 अगस्‍त को संविधान के अनुच्‍छेद 370 के उन प्रावधानों को निरस्‍त कर दिया था जिनके तहत जम्‍मू-कश्‍मीर को विशेष राज्‍य का दर्जा मिला हुआ था।
  • 36 सदस्‍यों वाली जम्‍मू-कश्‍मीर विधान परिषद की स्‍थापना वर्ष 1957 में भारतीय संसद द्वारा अधिनियम पारित किये जाने के बाद की गई थी।
  • यह परिषद 87 सदस्‍यों वाली विधानसभा के ऊपरी सदन के तौर पर कार्य करती थी।
  • अब परिषद सचिवालय से संबंधित तमाम दस्‍तावेज़ वि‍धि, न्याय और संसदीय कार्य मंत्रालय को हस्‍तांतरित कर दिये जाएंगे।
  • जम्‍मू-कश्‍मीर प्रशासन ने लद्दाख से जुड़े सभी विभाग लेह स्‍थानांतरित कर दिया है।

2. निजी शिक्षण संस्‍थानों की शिक्षिकाओं को भी मिलेगा मातृत्‍व अवकाश

  • केरल में अब मातृत्‍व अवकाश का लाभ निजी शिक्षण संस्‍थानों की शिक्षिकाओं और अन्‍य कर्मचारियों को भी दिया जाएगा।
  • केंद्र सरकार ने राज्य के निजी शिक्षण संस्थानों के कर्मचारियों के लिये इस अधिनियम के लाभों को विस्तारित करने के लिये अधिसूचना जारी करने के आग्रह को मंजूरी दे दी है।
  • केरल राज्य मंत्रिमंडल ने 29 अगस्त की बैठक में निजी शिक्षण संस्थानों के कर्मचारियों को यह लाभ देने की अधिसूचना जारी करने के लिये केंद्र सरकार की अनुमति लेने का फैसला किया था।
  • इसके लिये मातृत्‍व लाभ कानून में संशोधन के बाद यह सुविधा प्रदान करने वाला केरल देश का पहला राज्‍य हो जाएगा ।
  • इसके तहत महिला कर्मचारियों को पूर्ण वेतन के साथ 26 सप्ताह का मातृत्‍व अवकाश मिलेगा। इसके अतिरिक्‍त नियोक्‍ता को चिकित्‍सा भत्‍ते के रूप में एक हजार रुपए भी देने होंगे।
  • इसके अलावा केरल सरकार अनुदानिक शैक्षणिक संस्थानों के कर्मचारियों के लिये न्यूनतम वेतनमान निर्धारित करने की दिशा में भी कदम उठा रही है।
  • केरल सरकार श्रमिकों के मौजूदा निर्धारित वेतन भत्ते को प्रतिदिन 150 रुपए से बढ़ाकर 600 रुपए करने की भी मांग कर रही है।

मातृत्‍व लाभ कानून, 1961

  • फिलहाल मातृत्‍व लाभ कानून, 1961 प्रसव के पहले और बाद में कुछ अवधि के लिये कुछ प्रतिष्‍ठानों में महिलाओं की नियुक्ति को विनियमित करता है और मातृत्‍व एवं अन्‍य लाभों की व्‍यवस्‍था करता है।
  • ऐसे लाभों का उद्देश्‍य महिलाओं और उनके बच्‍चों का जब वह कार्यरत नहीं रहती हैं, पूर्ण रूप से स्‍वास्‍थ्‍य रखरखाव की व्‍यवस्‍था करने के द्वारा मातृत्‍व की प्रतिष्‍ठा की रक्षा करता है।

मातृत्‍व लाभ (संशोधन) विधेयक, 2016

  • इसके लिये मातृत्‍व लाभ (संशोधन) विधेयक, 2016 लाया गया, जिसमें इन सभी खामियों को दूर किया गया है।
  • संसद द्वारा पारित हो चुका यह कानून सभी महिलाओं के लिये 26 सप्ताह के मातृत्व अवकाश का प्रावधान करता है।
  • संशोधित कानून में 50 या 50 से अधिक कर्मचारियों वाले प्रत्येक प्रतिष्ठान से अपेक्षा की गई है कि वह एक निर्धारित दूरी के अंदर क्रेश की सुविधाएँ प्रदान करेगा। महिला कर्मचारियों को क्रेश में चार बार जाने की अनुमति दी जाएगी।
  • अगर किसी महिला को सौंपे गए काम की प्रकृति ऐसी है कि वह घर से भी किया जा सकता है, तो नियोक्ता उसे घर से काम करने की अनुमति दे सकता है। यह नियोक्ता और महिला कर्मचारी द्वारा परस्पर सहमति से तय किया जा सकता है।
  • इस कानून के दायरे में 10 या 10 से अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठान और अन्य अधिसूचित प्रतिष्ठान आते हैं।
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