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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सुंदरबन के लिये रामसर टैग मिलने की संभावना

  • 28 Apr 2018
  • 11 min read

चर्चा में क्यों?
हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सुंदरबन संरक्षित वन क्षेत्र को रामसर कन्वेंशन के तहत मान्यता हेतु आवेदन करने के लिये राज्य वन विभाग को मंज़ूरी प्रदान की गई। रामसर साइट का दर्जा मिलने के बाद सुंदरबन संरक्षित वन क्षेत्र को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वेटलैंड के रूप में पहचान प्राप्त होगी।

सुंदरबन की भौगोलिक स्थिति

  • सुंदरबन पश्चिम बंगाल के उत्तर और दक्षिण 24 परगना ज़िले के 19 विकासखण्डों में फैला हुआ है। 
  • यह भारत और बांग्लादेश दोनों में फैला हुआ दलदलीय वन क्षेत्र है। यह यहाँ पाए जाने वाले सुन्दरी नामक वृक्षों के कारण प्रसिद्ध है।
  • यह 9,630 वर्ग किलोमीटर में फैला गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा का हिस्सा है। इस क्षेत्र में 104 द्वीप हैं।  यहाँ जीव-जंतुओं की लगभग 2,487 प्रजातियाँ हैं।
  • भारतीय क्षेत्र में स्थित सुंदरबन यूनेस्को (UNESCO) के विश्व धरोहर स्थल (World Heritage site) का हिस्सा है। 
  • वर्ष 1973 में इसे टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया तथा वर्ष 1984 में इसे सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया। 
  • सुंदरबन संरक्षित वन क्षेत्र के 2000 वर्ग किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्र में मैंग्रोव वन तथा संकरी खाड़ियाँ पाई जाती हैं। जल्द ही इसे रामसर स्थल घोषित किये जाने की संभावना है।

वेटलैंड्स क्या हैं?

  • नमी या दलदली भूमि वाले क्षेत्र को आर्द्रभूमि या वेटलैंड (wetland) कहा जाता है। दरअसल वेटलैंड्स वैसे क्षेत्र हैं जहाँ भरपूर नमी पाई जाती है और इसके कई लाभ भी हैं। आर्द्रभूमि जल को प्रदूषण से मुक्त बनाती है।
  • आर्द्रभूमि वह क्षेत्र है जो वर्ष भर आंशिक  रूप से या पूर्णतः जल से भरा रहता है। भारत में आर्द्रभूमि ठंडे और शुष्क इलाकों से होकर मध्य भारत के कटिबंधीय मानसूनी इलाकों और दक्षिण के नमी वाले इलाकों तक फैली हुई है।

रामसर कन्वेंशन 

  • रामसर (ईरान) में 1971 में हस्ताक्षरित वेटलैंड्स सम्मेलन एक अंतर-सरकारी संधि है, जो वेटलैंड्स और उनके संसाधनों के संरक्षण और बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग के लिये राष्ट्रीय कार्य और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का ढाँचा उपलब्ध कराती है।
  • वर्तमान में इस सम्मेलन में 158 करार करने वाले दल हैं और 1758 वेटलैंड्स स्थल हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल 161 मिलियन हेक्टेयर है, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की वेटलैंड्स की रामसर सूची में शामिल किया गया है। 
  • रामसर सम्मेलन विशेष पारिस्थितिकी तंत्र के साथ काम करने वाली पहली वैश्विक पर्यावरण संधि है।
  • रामसर वेटलैंड्स सम्मेलन को विलुप्त हो रहे वेटलैंड्स प्राकृतिक आवासों पर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान दिये जाने का आह्वान करने के उद्देश्य से विकसित किया गया था। क्योंकि इन वेटलैंड्स के महत्त्वपूर्ण कार्यों, मूल्यों, वस्तुओं और सेवाओं के बारे में समझ का अभाव देखा गया है।
  • इस सम्मेलन में शामिल होने वाली सरकारें वेटलैंड्स को पहुँची क्षति और उनके स्तर में आई गिरावट को दूर करने के लिये सहायता प्रदान करने हेतु प्रतिबद्ध हैं।
  • इसके अलावा, अनेक वेटलैंड्स अंतर्राष्ट्रीय प्रणालियाँ हैं, जो दो या अधिक देशों की सीमाओं पर स्थित हैं या एक से अधिक देशों की नदियों की घाटियों का हिस्सा हैं। इन वेटलैंड्स की स्थिति नदियों, धाराओं, झीलों या भूमिगत जल-भंडारों से प्राप्त होने वाले पानी की गुणवत्ता और मात्रा पर निर्भर करती है।
  • रामसर सम्मेलन की मुख्य विशेषताओं में जैव विविधता और मानवीय प्रभाव की निगरानी करना, वेटलैंड्स के संरक्षण के लिये कानून बनाने में सुधार, प्राकृतिक प्रबंधन में जैव विविधता संरक्षण के लिये आर्थिक तंत्र का विस्तार, कमचटका क्षेत्र में नए संरक्षित क्षेत्रों (रामसर स्थलों) का संगठन, स्थानीय जनता के साथ कार्य करना और धन के स्रोतों की खोज करने जैसी सिफारिशें शामिल हैं।

सुंदरबन

  • 2017 वन सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सुंदरबन संरक्षित वन क्षेत्र  के 2,114 वर्ग किलोमीटर में  मैंग्रोव वन फैले हुए हैं। यह देश में लगभग 43% मैंग्रोव कवर करता है।
  • जंगलों के अलावा लगभग 100 रॉयल बंगाल बाघों के अधिवास, सुंदरबन की खाड़ी और नदी प्रणाली भी आरक्षित वन के भाग हैं। रामसर स्थल के रूप में मान्यता मिलने के बाद यह देश में सबसे बड़ी संरक्षित आर्द्रभूमि होगी।
  • पश्चिम बंगाल में पूर्वी कोलकाता आर्द्रभूमि सहित वर्तमान में भारत में 26 स्थलों को अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के रामसर आर्द्रभूमि स्थलों के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • 1987 में एक अलग प्रकार की जैव विविधता के लिये सुंदरबन की पहचान यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल के रूप में की गई थी।
  • जैविक विविधता के संरक्षण के लिये कुल क्षेत्रफल का लगभग एक-तिहाई संरक्षित क्षेत्र के रूप में उपयोग किया जाता है।
  • यहाँ प्रचुर मात्रा में मछली और बायोमास संसाधन जैसे- लकड़ी, पल्पवुड, पत्तियाँ, घोंघा, केकड़े, शहद और मछलियाँ पाई जाती हैं जिनका स्थानीय समुदायों द्वारा व्यावसायिक उपयोग किया जाता है।
  • पोषक तत्त्व रीसाइक्लिंग और प्रदूषण में कमी के लिये सुंदरबन एक प्रमुख मार्ग है। सुंदरबन की जैव विविधता भी विविधता पूर्ण है।
  • यह डेल्टाई क्षेत्र 84 चिन्हित वनस्पतियों की प्रजातियों के साथ दुनिया के सबसे बड़े मैंग्रोव वन बेल्ट में शामिल है।
  • सुंदरबन में विशेष प्रजाति के बाघ पाए जाते हैं। इन्हें रॉयल बंगाल टाइगर के नाम से जाना जाता है। प्रसिद्ध बाघ (रॉयल बंगाल टाइगर) यहाँ के जलीय परिस्थितियों के अनुकूल हो गए हैं। वे तैर भी सकते हैं। 
  • यहाँ पाए जाने वाले कुछ जीवों में एशियाई छोटे पंख वाले ऊदबिलाव, गंगा की डॉल्फिन, भूरे और दलदली नेवले और जंगली रीसस बंदर प्रमुख हैं।

लाभ 

  • अंतर्राष्ट्रीय मान्यता के अलावा, रामसर टैग सुंदरबन को पर्यावरण-पर्यटन हॉटस्पॉट के रूप में बढ़ावा देने में मदद करेगा।
  • यह बेहतर संरक्षण सुनिश्चित करेगा क्योंकि पारिस्थितिकी तंत्र या उसके व्यवहार में परिवर्तन के लिये किसी भी खतरे का अर्थ अंतर्राष्ट्रीय शर्मिंदगी होगी।
  • अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के एक आर्द्रभूमि की स्थिति प्रदान करना सुंदरबन के लिये न केवल गर्व का विषय होगा, बल्कि यह क्षेत्र में बहुत से अंतर्राष्ट्रीय शोध एवं अध्ययन का भी विषय बन जाएगा।

वर्तमान स्थिति 

  • वर्तमान में पूर्वी कोलकाता क्षेत्र में आर्द्र्भूमियों पर बढ़ते अतिक्रमण के संबंध में पर्यावरण विशेषज्ञों द्वारा बहुत से सवाल उठाए गए हैं।
  • पिछले तीन दशकों में जल निकायों के आर्द्रभूमि क्षेत्र के 125 वर्ग किलोमीटर (12,500 हेक्टेयर) से अधिक विस्तार क्षेत्र में उल्लेखनीय कमी आई है। 
  • इसके संरक्षण के लिये केवल इतना काफी नहीं है कि इसे अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व का क्षेत्र घोषित किया जाए बल्कि ज़रुरी यह है कि इससे संबंधित प्राधिकरण द्वारा मौजूदा कानूनों और विनियमों के उचित कार्यान्वयन पर विशेष रूप से बल दिया जाना चाहिये।
  • जलवायु परिवर्तन, समुद्री जल स्तर की वृद्धि के अलावा व्यापक स्तर हो रहे विनिर्माण कार्य, मत्स्यपालन के लिये मैंग्रोव वनों के समाशोधन आदि का सुंदरबन क्षेत्र पर बहुत अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

मैंग्रोव वन

  • यह एक सदाबहार झाड़ीनुमा या छोटा पेड़ होता है, जो तटीय लवण जल या लवणीय जल में वृद्धि करता है।  इस शब्द का इस्तेमाल उष्णकटिबंधीय तटीय वनस्पतियों के लिये भी किया जाता है, जिसमें ऐसी ही प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • मैंग्रोव वन मुख्यतः 25 डिग्री उत्तर और 25 डिग्री दक्षिणी अक्षांशों के मध्य उष्ण एवं उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • यहाँ के मैंग्रोव वन भारत के लगभग 40 लाख और बांग्लादेश के 35 लाख लोगों को बंगाल की खाड़ी के साइक्लोनिक डिप्रेशन से उठने वाली लहरों के प्रभाव से बचाते हैं।
  • बड़ी हिमालयी नदियों द्वारा लाए गए ताज़े जल और उच्च लवणता वाला सुंदरबन का यह ‘संगम क्षेत्र’ (confluence zone) जैव विविधता का एक केंद्र बना हुआ है, जो लगभग 4.5 मिलियन भारतीय लोगों को सहायता प्रदान कर रहा है।
  • उल्लेखनीय है कि सुंदरी वन सहित मैंग्रोव पेड़ ऐतिहासिक रूप से नौकाओं और पुलों के निर्माण में स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं की मदद करते रहे हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र ने बड़ी संख्या में लोगों को यहाँ निवास करने के लिये आकर्षित किया है।
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