प्रीलिम्स फैक्ट्स : 13 मार्च, 2018
                    
                    
                    
                     
                    
                    कमान क्षेत्र के विकास पर एक दिवसीय सम्मेलन
आयोजन जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा 13 मार्च, 2018 को नई दिल्ली स्थित सीएसएमआरएस सभागार में कमान क्षेत्र के विकास पर एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
- इस सम्मेलन के आयोजन का मुख्य उद्देश्य उन 18 प्रतिभागी राज्यों में कमान क्षेत्र विकास एवं जल प्रबंधन (सीएडीडब्ल्यूएम) के बारे में जागरूकता बढ़ाना है जहाँ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) से जुड़ी परियोजनाएँ क्रियान्वित की जा रही हैं।
 
- इसके अंतर्गत केंद्र एवं राज्य सरकारों की संबंधित एजेंसियों के साथ-साथ इस क्षेत्र में सक्रिय गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) भी शामिल हैं।
 
- इस सम्मेलन के दौरान विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा जिनमें सीएडीडब्ल्यूएम के क्रियान्वयन में नई पहल, सीएडीडब्ल्यूएम कार्यक्रम का लक्ष्य एवं वर्तमान समय की चुनौतियाँ, पीएमकेएसवाई के तहत सीएडीडब्ल्यूएम क्रियान्वयन और सहभागितापूर्ण सिंचाई प्रबंधन शामिल हैं।
 
मॉडल कमान क्षेत्र के अंतर्गत निम्नलिखित क्रियाकलापों को प्रस्तावित किया गया है:
- जल संरक्षण करना।
 
- नहर के ऊपर एवं तटों पर वाष्पीकरण को कम करने के लिये सौर ऊर्जा पैनलों को स्थापित करना तथा जहाँ कहीं उपयोगी हो, वहाँ किसानों के उपयोग हेतु सौर ऊर्जा के उत्पादन में वृद्धि करना।
 
- समुदाय आधारित जल उपयोग निगरानी।
 
- सिंचाई के लिये प्राथमिक रूप से शोधित जल का उपयोग करना।
 
- जहाँ कहीं उपयोगी हो वहाँ सूक्ष्म सिंचाई (टपक एवं छिड़काव सिंचाई) और पाइप सिंचाई को प्रोत्साहन प्रदान करना।
 
- वाटरशेड प्रबंधन और भूजल का सतत् उपयोग सुनिश्चित करना।
 
- भूजल का कृत्रिम पुनर्भरण करना।
 
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 15 नए ग्रहों की खोज 
हाल ही में जापान के वैज्ञानिकों द्वारा 15 नए ग्रहों की खोज की गई है। इनमें से एक सुपर अर्थ पर पानी के मौजूद होने की भी संभावना व्यक्त की गई है। 
प्रमुख बिंदु 
- जापान स्थित टोक्यो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों द्वारा इस शोध के लिये नासा के केपलर अंतरिक्ष यान के दूसरे मिशन 'K2', हवाई स्थित सुबारु टेलीस्कोप और स्पेन स्थित नॉरडिक ऑप्टिकल टेलीस्कोप से जुटाए गए आँकड़ों का अध्ययन किया गया।
 
- सौर मंडल के बाहर खोजे गए ये एक्सोप्लैनेट लाल रंग के बौने तारों का चक्कर लगाते हुए पाए गए। लाल तारे आकार में अपेक्षाकृत छोटे और ठंडे होते हैं।
 
- इस शोध में तीन ऐसे ग्रह खोजे गए जिन्हें सुपर अर्थ का नाम दिया।
 
- ये ग्रह पृथ्वी से 200 प्रकाश वर्ष दूर स्थित K2-155 तारे का चक्कर लगाते हुए पाए गए। ये तीनों ग्रह आकार में पृथ्वी से बड़े हैं।
 
- वैज्ञानिकों द्वारा इस तारे का चक्कर लगा रहे सबसे बाहरी ग्रह K2-155डी पर पानी के मौजूद होने की संभावना व्यक्त की गई है। 
 
 
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 भारत-रूस :  S-400 डिफेंस सिस्टम डील 
- भारत लगभग 39000 करोड़ रुपए की लागत वाली पाँच S-400 Triumf नामक एयर डिफेंस मिसाइल प्रणालियों को खरीदने की योजना बना रहा है।
 
- भारत और रूस के बीच 2016 में इससे संबंधित करार हुआ था। भारत-रूस के बीच अब तक के सबसे बड़े रक्षा सौदों में से एक इस डील को 31 मार्च, 2018 तक अंतिम रूप दिया जा सकता है।
 
 
प्रमुख बिंदु  
- इस S-400 Triumf एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को दुनिया का सबसे सक्षम सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम माना जाता है। 
 
- सतह से हवा में प्रहार करने में सक्षम S-400 Triumf रूस की नई एयर डिफेंस मिसाइल प्रणाली का हिस्सा है जिसे 2007 में रूसी सेना में तैनात किया गया था।
 
- रूस ने इस प्रणाली को सीरिया में तैनात किया है।
 
- S-400 मिसाइल प्रणाली S-300 का उन्नत संस्करण है, जो इसके 400 किमी. की रेंज में आने वाली मिसाइलों एवं पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को नष्ट कर सकता है।
 
- इस प्रणाली में एक साथ तीन मिसाइलें दागी जा सकती हैं।
 
- इसमें अमेरिका के सबसे उन्नत फाइटर जेट F-35 को भी गिराने की क्षमता है।
 
- इस रक्षा प्रणाली से विमानों सहित क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों तथा ज़मीनी लक्ष्यों को भी निशाना बनाया जा सकता है।
 
 
महत्त्व 
- भारत के लिये S-400 की तैनाती का मतलब है कि जब पाकिस्तानी विमान अपने हवाई क्षेत्र में उड़ रहे होंगे तब भी उन्हें ट्रैक किया जा सकेगा।
 
- इसे भारतीय वायुसेना (IAF) द्वारा संचालित किया जाएगा तथा इससे भारत के हवाई क्षेत्र में सुरक्षा को सुदृढ़ किया जा सकेगा।
 
- इससे पहले चीन ने 2014 में छह S-400 प्रणालियों के लिये $3 बिलियन के सौदे पर हस्ताक्षर किये थे और चीन को अब इनकी आपूर्ति भी होने लगी है।
 
- दिसंबर 2017 में तुर्की ने ऐसी दो प्रणालियों के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
 
 
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 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) योजना  
प्रमुख बिंदु 
- आदिवासी मामलों के मंत्रालय ने अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के छात्रों के लिये एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय योजना शुरू की है जो दूरदराज़ के क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों को मध्यम और उच्च स्तरीय शिक्षा प्रदान करती है।
 
- एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय योजना वर्ष 1998 में शुरू की गई थी और इस तरह के प्रथम स्कूल का शुभारंभ वर्ष 2000 में महाराष्ट्र में हुआ था।
 
- वर्ष 2010 के मौजूदा EMRS दिशा-निर्देशों के मुताबिक, ऐसे प्रत्येक क्षेत्र में एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी (ITDA)/एकीकृत जनजातीय विकास परियोजना (ITDP) के तहत कम-से-कम एक EMR स्कूल खोला जाएगा, जहाँ अनुसूचित जनजाति के लोगों की आबादी 50 प्रतिशत है।
 
- राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में 480 छात्रों की क्षमता वाले EMRS की स्थापना भारतीय संविधान के अनुच्छेद-275 (1) के अंतर्गत अनुदान द्वारा विशेष क्षेत्र कार्यक्रम (SAP) के तहत की जा रही है।
 
- इसके अंतर्गत न केवल उन्हें उच्च एवं पेशेवर शैक्षिक पाठ्यक्रमों के माध्यम से सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों में रोज़गार हेतु सक्षम बनाने पर बल दिया जा रहा है, बल्कि गैर-अनुसूचित जनजाति की आबादी के समान शिक्षा के सर्वोत्तम अवसरों तक उनकी पहुँच सुनिश्चित करने के भी प्रयास किये जा रहे हैं।
 
- प्रत्येक राज्य सरकार/संघ-राज्य क्षेत्र प्रशासन पूरी तरह से EMRS के प्रबंधन और प्रभावी कार्यप्रणाली के लिये उत्तरदायी है और कर्मचारियों की नियुक्ति, कार्मिक संबंधी मामलों और स्कूलों के दिन-प्रतिदिन  के कामकाज के लिये राज्य सरकार/संघ-राज्य क्षेत्र प्रशासन द्वारा चुनी गई सोसायटी उत्तरदायी होगी।
 
 
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