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स्कूली शिक्षा के लिये प्री-ड्राफ्ट राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा

  • 11 Apr 2023
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, मॉड्यूलर बोर्ड परीक्षा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020।

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की विशेषताएँ, भारत में शिक्षा क्षेत्र से संबंधित प्रमुख मुद्दे, शैक्षिक सुधारों से संबंधित सरकार की पहल

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा का प्री-ड्राफ्ट संस्करण जारी किया और विभिन्न हितधारकों से प्रतिक्रिया की मांग की है।

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा:

  • परिचय: 
    • NCF, नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के प्रमुख घटकों में से एक है, यह NEP 2020 के निहित उद्देश्यों, सिद्धांतों और दृष्टिकोण की सहायता से इस परिवर्तन को सक्षम बनाता है और इसे सक्रिय करता है।
    • NCF में पूर्व में वर्ष 1975, 1988, 2000 और 2005 में संशोधन हुए हैं, यदि प्रस्तावित संशोधन को कार्यान्वित कर दिया जाता है तो यह इसका पाँचवाँ संस्करण होगा।
  • NCF के चार खंड: 
    • स्कूली शिक्षा के लिये NCF  
    • बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा के लिये NCF (आधारभूत चरण)
    • अध्यापक शिक्षण के लिये NCF 
    • प्रौढ़ शिक्षा के लिये NCF 
  • उद्देश्य: 
    • इसका उद्देश्य भारत की स्कूली शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करना है, जैसा कि NEP 2020 में शिक्षाशास्त्र सहित पाठ्यक्रम में सकारात्मक बदलावों की परिकल्पना की गई थी।
    • साथ ही भारत के संविधान द्वारा परिकल्पित एक समान, समावेशी और बहुल समाज को साकार करने के उद्देश्य के अनुरूप सभी बच्चों हेतु उच्चतम गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना है।

स्कूली शिक्षा हेतु NCF:

  • परिचय: 
    • स्कूल शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढाँचा (NCF-SE) NEP 2020 के दृष्टिकोण पर आधारित तथा इसके कार्यान्वयन को सक्षम बनाने हेतु विकसित किया गया है।
    • NCF-SE का निर्माण NCERT द्वारा किया जाएगा। प्रमुख पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए अब से NCF-SE दस्तावेज़ पर दोबारा गौर किया जाएगा तथा इसे प्रत्येक 5-10 वर्ष में अद्यतन किया जाएगा।
  • उद्देश्य: 
    • NCFSE भारत में पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों एवं शिक्षण प्रथाओं को विकसित करने के लिये एक दिशानिर्देश के रूप में कार्य करता है।  
    • इसके उद्देश्यों में रटने (पुनरावृत्ति द्वारा याद रखना) को सीखने से स्थानांतरित करना, शिक्षा को वास्तविक जीवन की स्थितियों से जोड़ना, परीक्षाओं को अधिक लचीला बनाना तथा पाठ्यपुस्तकों से परे पाठ्यक्रम को समृद्ध करना शामिल है।  
    • NCFSE का उद्देश्य सीखने को सुखद, बाल-केंद्रित एवं आत्मनिर्भर बनाना और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देना है। यह माध्यमिक विद्यालय के छात्रों को परामर्श देने हेतु दिशा-निर्देश प्रदान करता है तथा सभी आयु-समूहों हेतु अनिवार्य है। 

स्कूली शिक्षा हेतु प्री-ड्राफ्ट राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा:

  • परिचय: 
    • रूपरेखा में 3 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों हेतु पाठ्यक्रम ढाँचे को शामिल किया गया है तथा छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों, विशेषज्ञों, विद्वानों एवं पेशेवरों से प्रतिक्रिया मांगी गई है। 
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • 6 प्रमाणों के माध्यम से सीखना: 
      • प्रत्यक्ष, पाँच इंद्रियों के माध्यम से धारणा के रूप में व्याख्या की गई; 
      • अनुमान, जो नए निष्कर्षों पर पहुँचने हेतु अनुमानों का उपयोग करता है; 
      • उपमान, जो सादृश्य और तुलना के माध्यम से सीखना; 
      • अर्थोत्पत्ति, जिसमें परिस्थितिजन्य निहितार्थ के माध्यम से सीखना शामिल है, 
      • अनुपलब्धि, जिसमें गैर-अस्तित्त्व की धारणा शामिल है,  
      • शब्द, शब्द के माध्यम से एक व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से  सभी वास्तविकताओं के केवल एक अंश को जान सकता है"
    • नैतिक विकास हेतु पंचकोश विकास: 
      • भारतीय शिक्षा प्रणाली एक समग्र दृष्टिकोण पर ज़ोर देती है जो बच्चों में नैतिक विकास, सांस्कृतिक समझ और सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देती है।  
      • यह पाँच गुना विकास दृष्टिकोण के माध्यम से प्राप्त किया जाता है जिसमें योग, संतुलित आहार और सांस्कृतिक गतिविधियाँ जैसे पारंपरिक अभ्यास शामिल हैं।  
    • भारतीय इतिहास की शिक्षाएँ:  
      • भारतीय इतिहास शिक्षा, राष्ट्रीय अस्मिता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिये, गांधीवादी और सबाल्टर्न आंदोलनों के विशेष संदर्भ के साथ, ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के महत्त्वपूर्ण चरणों की पहचान और व्याख्या करती है। 
      • सांस्कृतिक विविधता और आपसी समझ को बढ़ावा देने के लिये बौद्ध धर्म, जैन धर्म और वैदिक दर्शन सहित विभिन्न धार्मिक तथा दार्शनिक परंपराओं की अवधारणाओं को समझना।
    • कक्षा 2 तक कोई परीक्षा नहीं: 
      • यह प्रस्तावित करता है कि स्पष्ट परीक्षण और परीक्षा कक्षा 2 तक के बच्चों के लिये  उपयुक्त मूल्यांकन उपकरण नहीं हैं और बच्चे पर अतिरिक्त बोझ डालने से बचने के लिये केवल कक्षा 3 से ही लिखित परीक्षा शुरू करने की सिफारिश करता है।  
    • माध्यमिक स्तर के लिये पाठ्यक्रम: 
      • कक्षा 10 के प्रमाणन के लिये, छात्रों को मानविकी, गणित और कंप्यूटिंग, व्यावसायिक शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, कला शिक्षा, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान और अंतःविषयक क्षेत्रों से दो आवश्यक पाठ्यक्रम लेने होंगे। 
      • कक्षा 11 और 12 में, छात्रों को अधिक दृढ़ रूप से जोड़ने के लिये समान विषयों में पसंद-आधारित पाठ्यक्रमों की पेशकश की जाएगी।
        • माध्यमिक चरण के इस चरण को सेमेस्टर में विभाजित किया जाएगा और प्रत्येक विकल्प आधारित पाठ्यक्रम एक सेमेस्टर का होगा।  
        • छात्रों को कक्षा 12 उत्तीर्ण करने के लिये 16 पसंद-आधारित पाठ्यक्रमों को पूरा करना होगा। 
      • वर्ष के अंत में एकल परीक्षा के विपरीत मॉड्यूलर बोर्ड परीक्षा की पेशकश की जाएगी, और परिणाम प्रत्येक परीक्षा के संचयी परिणाम पर आधारित होगा।
    • कला एवं अंतःविषयक क्षेत्र:
      • कला शिक्षा में संगीत, नृत्य, रंगमंच, मूर्तिकला, पेंटिंग, सेट डिज़ाइन और पटकथा लेखन शामिल होगा, जबकि अंतःविषयक क्षेत्रों में भारत का ज्ञान, परंपराओं तथा भारतीय ज्ञान प्रणालियों के अभ्यास शामिल होंगे।
  • महत्त्व : 
    • स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत में बच्चों की शिक्षा के लिये एक रोडमैप प्रदान करता है, जिसमें स्कूली शिक्षा के विभिन्न चरणों के साथ कई शिक्षाप्रद दृष्टिकोण और सीखने-सिखाने की सामग्री शामिल है।
    • यह संरचना सामग्री, भाषा सीखना, अकादमिक दृष्टिकोण, दार्शनिक आधार, उद्देश्य एवं महामारी दृष्टिकोण सहित भारतीय मूल्यों और उनके "सुदृढ़ता" को शामिल करने के महत्त्व पर जोर देता है।

शैक्षणिक सुधारों से संबंधित अन्य सरकारी पहलें

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

  • परिचय : 
    • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत में शिक्षा सुधार के लिये एक व्यापक रूपरेखा है जिसे वर्ष 2020 में अनुमोदित किया गया था, जिसका उद्देश्य शिक्षा के लिये एक समग्र एवं  बहु-विषयक दृष्टिकोण प्रदान करके भारत की शिक्षा प्रणाली में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन लाना है।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की विशेषताएँ :
    • स्कूल पूर्व से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा का सार्वभौमीकरण।
    • छात्रों के संज्ञानात्मक और सामाजिक-भावनात्मक विकास पर आधारित एक नई शैक्षणिक और पाठ्यचर्या संरचना का परिचय।
    • प्राथमिक शिक्षा में मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक कौशल के विकास पर जोर।
    • शिक्षा में अनुसंधान और विकास पर अधिक ध्यान।

Pedagogical-Structure

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के अनुसार, किसी राज्य में शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिये पात्र होने के लिये व्यक्ति के पास संबंधित राज्य अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता का होना आवश्यक है। 
  2. RTE अधिनियम के अनुसार प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षण हेतु किसी उम्मीदवार को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के दिशानिर्देशों के अनुसार आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है। 
  3. भारत में 90% से अधिक अध्यापक शिक्षा संस्थान प्रत्यक्ष रूप से राज्य सरकारों के अधीन हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 3 

उत्तर: (b) 


मेन्स

प्रश्न. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 सतत विकास लक्ष्य-4 (2030) के अनुरूप है। यह भारत में शिक्षा प्रणाली के पुनर्गठन और पुनर्स्थापन पर केंद्रित है। इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (2020) 

स्रोत:द हिंदू

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