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डाक विभाग के ग्रामीण डाक सेवकों के वेतन भत्तों में होगा संशोधन

  • 07 Jun 2018
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डाक विभाग के ग्रामीण डाक सेवकों (Gramin Dak Sevaks - GDS) के वेतन भत्तों में संशोधन को मंज़ूरी दी है। वेतन भत्तों में संशोधन के लिये वर्ष 2018-19 के दौरान 1257.75 करोड़ रुपए का खर्च, इसमें 860.95 करोड़ रुपए का गैर-आवर्ती खर्च (Non-Recurring expenditure) और 396.80 करोड़ रुपए का आवर्ती खर्च (Recurring expenditure) होने का अनुमान है। 

  • वेतन भत्तों में इस संशोधन से 3.07 लाख ग्रामीण डाक सेवक लाभान्वित होंगे। 

प्रमुख बिंदु

  • समय से संबंधित नियमित्‍ता भत्ता (Time Related Continuity allowance –TRCA) ढाँचा और स्‍लैब को युक्ति संगत बनाया गया है।
  • कुल जीडीएस को इन दो श्रेणियों के तहत लाया गया है – ब्रांच पोस्‍ट मास्‍टर (Branch Postmasters-BPMs) और ब्रांच पोस्‍टर से इतर जैसे असिस्‍टेंट ब्रांच पोस्‍ट मास्‍टर (Assistant Branch Postmaster - ABPMs)।
  • मौजूदा 11 TRCA स्‍लैब को केवल तीन स्‍लैबों के तहत लाया गया है जिनमें बीपीएम एवं बीपीएम के इतर कर्मियों के लिये एक-एक स्‍तर होंगे।
  • समय से संबंधित नियमित्‍ता भत्ते (टीआरसीए) के रूपरेखा इस प्रकार होगी:
काम के घंटे/स्‍तर के अनुसार GDSs की प्रस्‍तावित दो श्रेणियों का न्‍यूनतम TRCA   
क्रम संख्‍या श्रेणी चार घंटे/स्‍तर 1 के लिये न्‍यूनतम TRCA  पाँच घंटे/स्‍तर 2 के लिये न्‍यूनतम TRCA 
1. BPM 12,000 रुपए 14,500 रुपए
2. ABPM/डाक सेवक  10,000  रुपए 12,000 रुपए
  • महंगाई भत्ते का भुगतान अलग से जारी रहेगा और केंद्रीय कर्मचारियों के लिये उसमें समय-समय पर बदलाव होता रहेगा।
  • नई योजना के तहत 7000 रुपए की सीमा तक TRCA + DA की गणना के साथ अनुग्रह बोनस (ex-gratia bonus) जारी रखने का निर्णय लिया गया है।
  • 1.1.2016 से संशोधित वेतनमान के लागू होने की तिथि तक की अवधि के लिये एरियर की गणना 2.57 गुणक के साथ बढ़े हुए बेसिक TRCA के अनुसार की जाएगी। एरियर का भुगतान एकमुश्‍त किया जाएगा।
  • वार्षिक बढ़ोतरी 3 फीसदी की दर से होगी और वह हर साल पहली जनवरी अथवा पहली जुलाई को दी जा सकती है जो जीडीएस के लिखित आग्रह पर आधारित होगी।
  • एक नया जोखिम एवं कठिनाई भत्ता को भी लागू किया गया है। अन्‍य भत्ते जैसे कार्यालय रख-रखाव भत्ता एकीकृत ड्यूटी भत्ता, नकदी लाने-ले जाने का शुल्‍क, साइकिल रख-रखाव भत्ता, नाव भत्ता और निर्धारित स्‍टेशनरी शुल्‍क में संशोधन किया गया है। 

कार्यान्‍वयन रणनीति एवं लक्ष्‍य

  • ग्रामीण डाक सेवकों के वेतन भत्तों में संशोधन किये जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में कुशल एवं सस्‍ती बुनियादी डाक सुविधाओं को बेहतर करने में मदद मिलेगी। प्रस्‍तावित वेतन वृद्धि से वे अपनी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने में समर्थ होंगे।

इसके क्या-क्या प्रभाव होंगे?

  • डाकघरों की ग्रामीण शाखा गाँवों एवं दूरदराज के क्षेत्रों में संचार एवं वित्तीय सेवाओं का आधार है। ग्राहकों को भुगतान के लिये पोस्‍ट मास्‍टर को काफी रकम का हिसाब रखना पड़ता है और इसलिये उनके काम की ज़िम्‍मेदारी पहले से ही निर्धारित है।
  • इस वेतन वृद्धि से उनमें ज़िम्‍मेदारी का भाव और बढ़ेगा।
  • कुल मिलाकर ग्रामीण आबादी के बीच वित्तीय समावेशीकरण की प्रक्रिया में भारतीय डाक भुगतान बैंक (India Post Payment Bank - IPPB), सीडीएस नेटवर्क की अहम भूमिका होने की उम्‍मीद है।
  • वर्ष 2015-16 के दौरान वित्तीय समावेशन के रूप में आईपीपीबी की स्‍थापना बजटीय घोषणाओं का एक अंग था। डाक विभाग ने भारतीय डाक भुगतान बैंक की स्‍थापना के लिये सितंबर 2015 में भारतीय रिज़र्व बैंक की ‘सैद्धांतिक रूप में स्‍वीकृति’ प्राप्‍त की।
  • भारतीय डाक भुगतान बैंक से देशभर में उपभोक्‍ताओं के लिये आसान, कम कीमतों, गणवत्‍ता युक्‍त वित्तीय सेवाओं की आसानी से पहुँच के लिये विभाग के नेटवर्क और संसाधनों का लाभ मिलता है।

भुगतान बैंक के कार्य

  • भुगतान बैंक केवल भुगतान का दायित्व संभालते है।
  • भुगतान बैंक लोगों से जमा स्वीकार कर कैशलेस खरीदारी को बढ़ावा देते है। इसके ज़रिये आसानी से एक से दूसरी जगह पैसा भेजा जा सकता है।
  • ये बैंक किसी को कर्ज नहीं देते है।
  • शुरुआत में यहाँ ग्राहक एक लाख रुपए तक जमा कर सकते हैं।
  • भुगतान बैंक अपने ग्राहकों को एटीएम, डेबिट कार्ड जारी कर सकेंगे, लेकिन क्रेडिट कार्ड देने की अनुमति नहीं होगी।
  • भुगतान बैंक का लाइसेंस पाने वालों को परिचालन कार्य भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय 18 महीने की समयसीमा में शुरू करना होगा।
  • भुगतान बैंकों से उन लाखों लोगों को बैंकिंग सेवाओं के दायरे में लाने में मदद मिलेगी जो अब तक इनसे वंचित हैं।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा देश में भुगतान बैंकों के लिये लाइसेंस देने का रिज़र्व बैंक का निर्णय एक बड़ा कदम है, इससे बैंकिंग प्रणाली में और अधिक धन आएगा तथा ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सेवाओं का विस्तार होगा।

पृष्‍ठभूमि

  • भारतीय डाक विभाग में अतिरिक्‍त विभागीय व्‍यवस्‍था की स्‍थापना 150 वर्ष पहले उन ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी आर्थिक एवं कुशल डाक सेवा मुहैया कराने के लिये की गई थी जहाँ पूर्णकालिक कर्मचारियों को बहाल करने का कोई औचित्‍य नहीं था।
  • 1,29,346 अतिरिक्‍त विभागीय डाक शाखा का संचालन मुख्‍य तौर पर ग्रामीण डाक सेवक ब्रांच पोस्‍ट मास्‍टर के द्वारा किया जा रहा है।
  • साथ ही, ग्रामीण डाक सेवक ब्रांच पोस्‍ट मास्‍टर के अलावा शाखा, उप एवं मुख्य डाक घरों में भी काम करते हैं।
  • ग्रामीण डाक सेवकों को बहाल करने की मुख्य विशेषता यह है कि वे तीन से पाँच घंटे प्रतिदिन अंशकालिक कार्य करते हैं और इससे प्राप्‍त आय उनके मुख्‍य आय का पूरक है जो उनके लिये अपने परिवार का भरण पोषण करने का एक पर्याप्‍त साधन है। वे 65 वर्ष की आयु तक सेवा में बने रह सकेंगे।
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