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कार्योत्तर पर्यावरणीय मंज़ूरी

  • 08 Oct 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पर्यावरण प्रभाव आकलन, पर्यावरण मंज़ूरी।

मेन्स के लिये:

कार्योत्तर पर्यावरणीय मंज़ूरी और संबंधित चिंताएँ।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार कार्योत्तर (शुरू होने के बाद) पर्यावरण मंज़ूरी (Environmental Clearances-EC) स्वीकार्य है।

  • न्यायालय ने एक दावे के जवाब में निर्णय दिया है कि जैव-चिकित्सा उपचार सुविधा पर्यावरण मंज़ूरी के बिना स्थापित और चलाई गई थी तथा यह पर्यावरण में गिरावट पर चिंता पैदा करती है।

एक्स पोस्ट फैक्टो पर्यावरणीय मंज़ूरी (Ex Post Facto Environmental Clearance):

  • कार्योत्तर पर्यावरणीय मंज़ूरी का तात्पर्य किसी ऐसे उद्योग या परियोजना के कामकाज़ की अनुमति देना है, जिसने हरित मंज़ूरी प्राप्त किये बिना और परियोजना के संभावित पर्यावरणीय प्रभावों का खुलासा किये बिना काम करना शुरू कर दिया है।
  • सर्वोच्च न्यायालय की एक बेंच ने पाया कि पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986, एक्स पोस्ट फैक्टो पर्यावरणीय मंज़ूरी को पूरी तरह से प्रतिबंधित नहीं करता है।
    • इसे नियमित रूप से नहीं दिया जाना चाहिये, लेकिन असाधारण परिस्थितियों में सभी प्रासंगिक पर्यावरणीय कारकों को ध्यान में रखते हुए मंज़ूरी दी जा सकती है।

संबंधित चिंताएँ:

  • कार्योत्तर मूल्यांकन पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) के मूल उद्देश्य को विफल कर देता है क्योंकि संचालन शुरू होने के साथ ही पारिस्थितिक क्षति पहले ही हो चुकी होगी।
    • संयुक्त राष्ट्र का खाद्य और कृषि संगठन (FAO) EIA के उद्देश्य को निर्णय निर्माताओं, नियामक एजेंसियों एवं परियोजनाओं के पर्यावरणीय परिणामों के बारे में जनता को सचेत करने के रूप में परिभाषित करता है "ताकि उन परियोजनाओं को संशोधित किया जा सके, यदि आवश्यक हो तो पर्यावरणीय गिरावट, निर्माण त्रुटियों से बचने और नकारात्मक दुष्प्रभावों से होने वाले आर्थिक नुकसान को रोका जा सके।
  • उद्योगों को मंज़ूरी के बाधा रहित परिचालन के लिये प्रोत्साहित करने और अंततः जुर्माने की राशि का भुगतान करके विनियमित किये जाने से, इसके उल्लंघनों के बढ़ने एवं ऐसी स्थिति उत्पन्न होने की संभावना है, जहाँ पर्यावरण को होने वाली क्षति अपरिवर्तनीय होगी।

पर्यावरण प्रभाव आकलन:

  • इसे पर्यावरण पर प्रस्तावित गतिविधि/परियोजना के प्रभाव की भविष्यवाणी के लिये अध्ययन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
  • यह कुछ परियोजनाओं के लिये पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत वैधानिक है।
  • प्रक्रिया:
    • निवेश के पैमाने, विकास के प्रकार और विकास के स्थान के आधार पर स्क्रीनिंग यह देखने के लिये की जाती है कि किसी परियोजना को वैधानिक अधिसूचनाओं के अनुसार पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता है या नहीं।
    • स्कोपिंग EIA के संदर्भ की शर्तों (Terms of Reference -ToR) का विवरण देने की एक प्रक्रिया है, जो किसी परियोजना के विकास में मुख्य मुद्दे या समस्याएँ हैं।
    • संभावित प्रभाव में परियोजना के महत्त्वपूर्ण पहलुओं और इसके विकल्पों के पर्यावरणीय परिणामों का मानचित्रण शामिल है।
  • EIA रिपोर्ट के पूरा होने के बाद प्रस्तावित विकास पर जनता को अनिवार्य रूप से सूचित और परामर्श प्रदान करने की आवश्यकता है।

पर्यावरण मंज़ूरी प्रक्रिया:

  • किसी परियोजना के लिये पर्यावरण मंजूरी (EC) प्राप्त करने के लिये एक EIA रिपोर्ट तैयार की जाती है।
  • राज्य नियामकों द्वारा 'स्थापना के लिये सहमति (NOC)' जारी करने से पूर्व 'जन सुनवाई' की प्रक्रिया आयोजित की जाती है। प्रस्तावित परियोजना क्षेत्र में रहने वाले लोगों की चिंताओं पर विचार किया जाता है।
  • EIA रिपोर्ट के साथ एक आवेदन पत्र जन सुनवाई एवं NOC के विवरण के साथ पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के समक्ष पर्यावरण मंजूरी के लिये प्रस्तुत किया जाता है एवं यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई परियोजना परियोजना A श्रेणी अथवा राज्य सरकार के अंतर्गत आती है या वह परियोजना परियोजना B  श्रेणी के अंतर्गत आती है।
    • श्रेणी ए परियोजनाओं को अनिवार्य रूप से पर्यावरणीय मंज़ूरी की आवश्यकता होती है और इस प्रकार वे स्क्रीनिंग प्रक्रिया से नहीं गुज़रते हैं।
    • श्रेणी बी परियोजनाएँ एक स्क्रीनिंग प्रक्रिया से गुज़रती हैं और उन्हें दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है।
      • श्रेणी B1 परियोजनाएँ (EIA अनिवार्य रूप से आवश्यक).
      • श्रेणी B2 परियोजनाएँ ( EIAआवश्यक नहीं होता).
  • तत्पश्चात् प्रस्तुत दस्तावेजों का विश्लेषण मंत्रालय के अंतर्गत एक विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) द्वारा किया जाता है। समिति की सिफारिशों को अंतिम अनुमोदन या अस्वीकृति के लिये पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में प्रसंस्कृत किया जाता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (पीवाईक्यू)  

प्रिलिम्स

प्रश्न निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 भारत सरकार को यह अधिकार देता है कि
  2. पर्यावरण संरक्षण प्रक्रियाओं में जनभागीदारी की आवश्यकता और इसे प्राप्त करने की प्रक्रियाओं एवं विधियों का उल्लेख करना
  3. विभिन्न स्रोतों से पर्यावरण प्रदूषकों के उत्सर्जन या निर्वहन के लिये मानक निर्धारित करना

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो  1 और न ही 2

उत्तर: (b)


मेन्स:

सरकार द्वारा किसी परियोजना को मंज़ूरी दिये जाने से पूर्व पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन तेज़ी से किये जाते हैं। कोयला पिटहेड्स पर स्थित कोयले से चलने वाले थर्मल संयंत्रों के पर्यावरणीय प्रभावों पर चर्चा कीजिये। (2014)

प्रश्न. पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) अधिसूचना, 2020 का मसौदा मौजूदा  EIA अधिसूचना, 2006 से कैसे भिन्न है? (2020)

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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