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शासन व्यवस्था

सहकर्मियों का दबाव

  • 31 Aug 2022
  • 8 min read

मेन्स के लिये:

समाज के विभिन्न वर्गों पर सहकर्मियों के दबाव का प्रभाव

सहकर्मियों के दबाव का तात्पर्य:

  • परिचय:
    • सहकर्मी दबाव वह प्रक्रिया है जिसमें एक ही समूह के व्यक्ति, समूह में दूसरों को ऐसे व्यवहार या गतिविधि में शामिल होने के लिये प्रभावित करते हैं जिसमें वे अन्यथा संलग्न नहीं हो सकते हैं।
      • एक सहकर्मी कोई भी व्यक्ति हो सकता है जो आपके समान सामाजिक समूहों या मंडलियों से संबंधित हो और जिसका आप पर किसी प्रकार का प्रभाव हो।
    • सहकर्मी दबाव या प्रभाव तब होता है जब कोई व्यक्ति ऐसा कुछ करता है, जिसके माध्यम से वह अपने सहकर्मियों के मध्य या किसी समूह में अपनी प्रतिष्ठा अथवा स्वीकृति बढ़ाना चाहता है।
    • सहकर्मी प्रभाव सकारात्मक या नकारात्मक हो सकता है।
    • सहकर्मीयों के प्रभाव का अच्छी तरह से सामना करने का अर्थ है अपने होने और अपने समूह के साथ तालमेल बिठाने के बीच सही संतुलन बनाना।
  • प्रभाव:
    • सकारात्मक:
      • सकारात्मक सहकर्मी प्रभाव उन साथियों को संदर्भित कर सकते हैं जो रचनात्मक परिणामों को प्रेरित करते हैं, नैतिक समर्थन प्रदान करते हैं, हमें जीवन में अच्छा करने के लिये प्रेरित करते हैं, पढ़ने या पाठ्येतर गतिविधियों में रुचि को प्रोत्साहित करते हैं, हमेशा हमें कुछ नया सिखाते हैं और सबसे बढ़कर, हमारी सीमाओं का सम्मान करते हैं
    • नकारात्मक:
      • सहकर्मी दबाव के इस रूप में किसी की पसंद या मूल्यों का उपहास करना, उन्हें अपने सिद्धांतों के विरुद्ध काम करने के लिये मज़बूर करना, बुरी आदतों या यहाँ तक कि अप्रिय कृत्यों जैसे चोरी करना, धोखा देना, शराब और ड्रग्स में लिप्त होना, कक्षाएँ छोड़ना,अनुचित गतिविधियों के लिये इंटरनेट का उपयोग करना या अन्य जोखिम भरा व्यवहार शामिल हो सकता है। ।
  • कारण:
    • समूह में शामिल होने के लिये।
    • अस्वीकृति से बचने और सामाजिक स्वीकृति प्राप्त करने के लिये।
    • हार्मोनल विसंगतियाँ।
    • व्यक्तिगत/सामाजिक भ्रम और/अथवा चिंता।
    • पारिवारिक देखभाल में संरचनागत कमी।

सहकर्मी दबाव का युवाओं पर प्रभाव:

  • एक युवा व्यक्ति का अकादमिक प्रदर्शन, शैक्षिक विकल्प और कॅरियर (कोई अपने सपनों के कॅरियर को छोड़ सकता है और उसके दोस्त जो कर रहे हैं उसका अनुसरण कर सकता है), एकाग्रता का स्तर, और समग्र व्यक्तित्व और व्यवहार साथियों के दबाव के कारण बदल सकता है।
  • ये सभी नकारात्मक प्राथमिक (Peer) प्रभावों के संचयी प्रभाव के अलावा हैं।
  • विकासवादी सिद्धांतकार एरिक एरिकसन के अनुसार, "जब साथियों के बीच समानता होती है, तो यह हमें सुरक्षा की भावना प्रदान करता है," जो पहचान बनाम पहचान भ्रम के संकट (Crisis of Identity vs Identity Confusion) का कारण बनता है।
  • युवा अपने दोस्तों के लिये अपनी सोच, अभिवक्ति , ड्रेसिंग, व्यवहार और अन्य विकल्पों को संशोधित करते हैं। अपने व्यक्तित्त्व को बेहतर के बजाय, वे किसी और की तरह बनने की कोशिश करते हैं।
  • वे यह समझने में विफल रहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति अद्वितीय है और किसी और का अनुकरण करने का प्रयास कम आत्म-सम्मान प्रकट कर सकता है।

आगे की राह

  • इस तथ्य को स्वीकार करना कि प्रत्येक बच्चा अद्वितीय है:
    • सबसे पहले हमें इस तथ्य को समझने की ज़रूरत है कि साथियों का दबाव बाहरी कारक नहीं है।
    • यह हमारे आत्म-सम्मान की कमी के कारण हमारे मस्तिष्क द्वारा निर्मित एक डर है, जिसे अगर महसूस किया जाए तो हमें यह सोचने की अनुमति नहीं होगी कि दूसरे हमारे बारे में क्या सोचेंगे।
    • माता-पिता को इस तथ्य को स्वीकार करने की आवश्यकता है कि प्रत्येक बच्चा अद्वितीय है और यहाँ वे उनकी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिये नहीं है।
      • उन्हें बच्चे के व्यक्तित्त्व का पोषण करने की आवश्यकता है। तभी आने वाली पीढ़ियाँ साथियों के दबाव से मुक्त होंगी।
  • गलत संगत से दूरी:
    • खतरनाक व्यवहार को प्रोत्साहित करने वाले साथियों से दूर रहना सबसे अच्छा है। इसके बजाय, उन बच्चों के साथ समय बिताना समझदारी है जो साथियों के दबाव का विरोध करते हैं या अवांछित गतिविधियों में लिप्त होने से इनकार करते हैं।
    • ऐसे मित्र खोजें जो एक-दूसरे की सीमाओं का सम्मान करते हों और उन मित्रों से दूर रहना अच्छा है जो एक बुरे प्रभाव वाले हैं।
  • दृढ़ बनना:
    • व्यक्ति को पता होना चाहिये कि जब कुछ अनुचित हो, या जब वह असहज या असुरक्षित महसूस करे तो 'नहीं' कैसे कहें।
    • बड़ों के साथ इस बारे में बात करना जिस पर माता-पिता शिक्षक या स्कूल काउंसलर की तरह भरोसा किया जा सकता है, मददगार हो सकता है।
    • इसलिये खुले और ईमानदार संचार को प्रोत्साहित करना अनिवार्य है।
      • इस तरह बच्चों को चर्चा करने और यह बताने में आसानी होगी कि चीजें बहुत दूर जाने से वे कैसा महसूस करते हैं।
    • साथ ही माता-पिता को अपने बच्चों को मुखर होना और किसी भी अनुचित परिस्थिति का विरोध करना सिखाना चाहिये।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. जीवन, कार्य, अन्य व्यक्तियों एवं समाज के प्रति हमारी अभिवृतियाँ आमतौर पर अनजाने में परिवार एवं उस सामाजिक परिवेश के द्वारा रुपित हो जाती हैं, जिसमें हम बड़े होते हैं। अनजाने में नागरिकों के लिये अवांछनीय होते हैं। (मेन्स-2016)

(a) आज के शिक्षित भारतीयों में विद्यमान ऐसे अवांछनीय मूल्यों की विवेचना कीजिये।
(b) ऐसी अवांछनीय अभिवृत्तियों को कैसे बदला जा सकता है तथा लोक सेवाओं के लिए आवश्यक समझे जाने वाले सामाजिक-नैतिक मूल्यों को आकांक्षी तथा कार्यरत लोक सेवकों में किस प्रकार संवर्धित किया जा सकता है?

स्रोत: द हिंदू

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