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शासन व्यवस्था

खानाबदोश जनजातियों को संवैधानिक संरक्षण प्रदान करने की कवायद

  • 12 May 2018
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?
हाल ही में खानाबदोश जनजातियों को संवैधानिक मान्यता देने के अपने प्रयास के तहत सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 22 मंत्रालयों, आयोगों और सरकार के थिंक-टैंक से डीनोटिफाइड नोमेडिक और सेमी- नोमेडिक ट्राइब्स(denotified nomadic and semi-nomadic tribes- DNT/ NT/ SNT) पर बनी राष्ट्रीय आयोग की सिफारिशों पर टिप्पणियाँ आमंत्रित की हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु 

  • मंत्रालय अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिये बनी अनुसूची के बाद एक अलग तीसरी अनुसूची के तहत इन समुदायों को संवैधानिक संरक्षण प्रदान करने की दिशा में प्रयासरत है।
  • यह तीसरी अनुसूची उन्हें नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के साथ अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत सुरक्षा का मार्ग प्रशस्त करेगी।
  • भिकु रामजी इदेट (bhiku ramji idate) की अध्यक्षता में आयोग ने जनवरी 2018 में मंत्रालय को प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि इन "सर्वाधिक वंचित” (most deprived) समुदायों को अनुसूचित DNT / NT / SNT के रूप में मान्यता दी जाए।
  • इदेट आयोग ने कुल 20 सिफारिशें की हैं और इन सिफारिशों से संबंधित विभागों तथा मंत्रालयों को पत्र भेजे गए हैं|
  • जिन मंत्रालयों की टिप्पणियाँ आमंत्रित की गई हैं वे हैं- गृह, स्वास्थ्य, कानून, मानव संसाधन विकास, संस्कृति, ग्रामीण विकास और आवास प्रमुख हैं|
  • मंत्रालय ने इन समुदायों के लिये समर्पित प्रकोष्ठों की स्थापना के संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग जैसे मौजूदा आयोगों को भी लिखा है|
  • मंत्रालय ने 2021 की जनगणना में "DNT / NT समुदायों के संबंध में एक उचित व्यवस्थित जाति आधारित जनगणना" कराए जाने के संबंध में जनगणना आयुक्त को भी लिखा है।
  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद से पूछा गया है कि क्या वे DNT / NT का अध्ययन करने के लिये अधिक शोध निधि प्रदान करेंगे|
  • जबकि सतत विकास लक्ष्यों के अनुसार इन समुदायों के विकास हेतु  विज़न 2030 तैयार करने के लिये एक कार्यकारी समूह की स्थापना के संबंध में नीति आयोग से परामर्श किया जा रहा है।
  • सरकार रिपोर्ट को कार्यान्वित करेगी और आवश्यक संवैधानिक संशोधन लाएगी क्योंकि DNT / NT / SNT समुदायों की स्थिति देश में दलितों और आदिवासियों की तुलना में भी बदतर है।
  • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को स्थायी DNT / NT / SNT आयोग की स्थापना सहित कुछ प्रमुख सिफारिशों को लागू करना होगा  जो SC,ST तथा OBC वर्गों में गलत तरीके से रखे गए हैं|
  • इसके अलावा मंत्रालय को 94 DNT, 171 NT और 2 SNT समुदायों को वर्गीकृत करना होगा जिन्हें किसी भी निर्धारित श्रेणी के तहत शामिल नहीं किया गया है।

समिति द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दे 

  • हैबीचुअल अफेंडर्स एक्ट को रद्द करना (जो अभी भी पुलिस द्वारा इस समुदाय के उत्पीड़न के परिणाम के रूप में दिखाई देता है)|
  • पीडीएस कार्ड के प्रावधान|
  • बड़े पैमाने पर भूमिहीन समुदाय के लिये विशेष आवास योजनाएँ|
  • उनकी कला और संस्कृति को संरक्षित करने के लिये एक अलग अकादमी की स्थापना|
  • विशेष शिक्षा और स्वास्थ्य योजनाएँ।

डीनोटिफाइड ट्राइब्स या विमुक्त जातियाँ 

  • डीनोटिफाइड ट्राइब्स या विमुक्त जातियाँ उन सभी समुदायों को कहते हैं जो क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट के तहत अधिसूचित हैं जिसे  ब्रिटिश शासन के दौरान लागू किया गया था, जिसके द्वारा पूरी आबादी को जन्म से ही अपराधी मान लिया गया था|
  • 1952 में इस अधिनियम को निरस्त कर दिया गया था और इस समुदाय को डीनोटिफाइड की श्रेणी में रखा गया था। 
  • खानाबदोश जनजातियाँ (nomadic tribes) वे हैं जो निरंतर भौगोलिक गतिशीलता बनाए रखते हैं, जबकि अर्द्ध-खानाबदोश (semi-nomads) वे लोग हैं जो गतिशील तो हैं लेकिन साल में कम-से-कम एक बार मुख्य रूप से व्यावसायिक कारणों से एक निश्चित आवास पर लौट आते हैं।
  • नवीनतम इदेट आयोग की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि इन समुदायों के लिये आजादी के बाद की नीतियाँ ज्यादातर "प्रतीकात्मक क्षतिपूर्ति” (symbolic reparations) रही हैं, उदारीकरण नीतियों के बाद उन्हें अपनी भूमि और व्यवसायों से अलग कर दिया गया है।
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