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भारतीय अर्थव्यवस्था

चीनी निर्यात सब्सिडी को सहमति

  • 29 Aug 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने गन्‍ना सीज़न 2019-20 के दौरान चीनी मिलों के लिये 10,448 रुपए प्रति मीट्रिक टन की दर से निर्यात सब्सिडी प्रदान करने के लिये मंज़ूरी दे दी है। इस उद्देश्‍य की पूर्ति के लिये कुल अनुमानित व्‍यय लगभग 6,268 करोड़ रुपए होगा।

प्रमुख बिंदु

  • गन्‍ना सीज़न 2019-20 के लिये एकमुश्‍त निर्यात सब्सिडी आवाजाही, उन्‍नयन तथा प्रक्रिया संबंधी अन्‍य लागतों, अंतर्राष्‍ट्रीय और आंतरिक परिवहन की लागतों और निर्यात पर ढुलाई शुल्‍कों सहित लागत व्‍यय को पूरा करने के लिये अधिकतम 60 लाख मीट्रिक टन चीनी के निर्यात पर अधिकतम मान्‍य निर्यात मात्रा के लिये चीनी मिलों को आवंटित की जाएगी।
  • चीनी मिलों द्वारा गन्‍ने की बकाया राशि किसानों के बैंक खाते में सब्सिडी की राशि सीधे तौर पर जमा कराई जाएगी और यदि कोई शेष बकाया राशि होगी तो चीनी मिल के खाते में जमा कराई जाएगी।
  • कृषि समझौते की धारा 9.1 (D) और (E) के प्रावधानों तथा विश्व व्यापार संगठन (WTO) के प्रावधानों के अनुसार सब्सिडी दी जाएगी।
  • गन्‍ना सीज़न 2017-18 (अक्‍तूबर-सितंबर) और गन्‍ना सीज़न 2018-19 के दौरान चीनी के अतिरिक्‍त उत्‍पादन को ध्‍यान में रखते हुए, सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्‍न कदमों से भिन्‍न, मौजूदा गन्‍ना सीज़न 2019-20 में लगभग 142 लाख मीट्रिक टन चीनी का खुला भंडार होगा और सीज़न के अंत में लगभग 162 लाख मीट्रिक टन भंडार होने का अनुमान है।
  • चीनी के 162 लाख मीट्रिक टन के अतिरिक्‍त भंडार से गन्‍ने के मूल्‍यों पर पूरे सीज़न में प्रतिकूल दबाव पैदा होगा जिससे किसानों के गन्‍ने की बकाया धनराशि के भुगतान में चीनी मिलों को कठिनाई होगी।
  • इस स्थिति से निपटने के लिये सरकार ने हाल में 1 अगस्‍त, 2019 से एक वर्ष के लिये चीनी का 40 लाख मीट्रिक टन बफर भंडार तैयार किया है।
  • हालाँकि 31 जुलाई, 2020 तक इस बफर भंडार और गन्‍ना सीज़न 2019-20 के दौरान बी-हेवी मोलेस/गन्‍ना रस से इथानॉल के उत्‍पादन द्वारा चीनी पर संभावित प्रभाव तथा दो महीने के लिये मानक भंडार की ज़रूरत को ध्‍यान में रखते हुए, चीनी का लगभग 60 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्‍त भंडार होगा, जिसका निपटारा निर्यात के माध्‍यम से करना होगा।

लाभ:

  • चीनी मिलों की तरलता में सुधार होगा।
  • चीनी इंवेन्ट्री में कमी आएगी।
  • घरेलू चीनी बाज़ार में मूल्य भावना बढ़ाकर चीनी की कीमतें स्थिर की जा सकेंगी और परिणामस्वरूप किसानों के बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान समय से किया जा सकेगा।
  • चीनी मिलों के गन्ना मूल्य बकायों की मंज़ूरी से सभी गन्ना उत्पादक राज्यों में चीनी मिलों को लाभ होगा।

पृष्ठभूमि:

  • गौरतलब है कि भारत विश्व में ब्राज़ील के बाद चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक एवं सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है।
  • देश की वार्षिक चीनी खपत का लगभग 90% हिस्सा वाणिज्यिक कार्यों जैसे कि पैकेज खाद्य पदार्थ आदि के लिये उपयोग किया जाता है।
  • चीनी मिलें जिस मूल्य पर किसानों से गन्ना खरीदती हैं उसे उचित और लाभप्रद मूल्य (Fair and Remunerative Price-FRP) कहा जाता है। इसका निर्धारण कृषि लागत और मूल्य आयोग (Commission on Agricultural Costs and Prices-CACP) की सिफारिशों के आधार पर किया जाता है।

स्रोत: PIB

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