इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विविध

नहीं खुलेंगे नए इंजीनियरिंग कॉलेज

  • 19 Jan 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (All India Council for Technical Education -AICTE) ने बी.वी.आर मोहन रेड्डी की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया। गौरतलब है कि इस समिति का गठन इंजीनियरिंग शिक्षा हेतु लघु और मध्यम अवधि की योजना पर सिफारिशें प्रदान करने के लिये किया गया था।

समिति की मुख्य सिफारिशें

  • 2020 के बाद किसी भी नए इंजीनियरिंग कॉलेज को मंज़ूरी नहीं।
  • पहले से ही आवेदन करने वालों को रियायतें दी जानी चाहिये।
  • मौजूदा इंजीनियरिंग संस्थानों में से केवल उन संस्थानों का अनुरोध स्वीकार किया जाना चाहिये जो नई तकनीकों में शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने या पारंपरिक इंजीनियरिंग विषयों में मौजूदा क्षमता को बदलते हुए कृत्रिम बुद्धिमत्ता या रोबोटिक्स जैसी उभरती तकनीकों को शामिल करते हों।
  • कॉलेज में नई क्षमता के निर्माण की समीक्षा हर दो साल में की जानी चाहिये।
  • समिति ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (All India Council for Technical Education -AICTE) को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचैन, रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, डेटा साइंसेज, साइबर स्पेस, 3डी प्रिंटिंग और डिज़ाइन जैसी उभरती तकनीकों में अंडर-ग्रेजुएट इंजीनियरिंग प्रोग्राम शुरू करने का सुझाव दिया है।
  • समिति ने पाया कि शैक्षिक संस्थानों में नवाचार, इन्क्यूबेशन और स्टार्ट-अप के लिये उचित माहौल का अभाव है। इसलिये प्रत्येक शिक्षण संस्थान हेतु निम्नलिखित अनिवार्य होने चाहिये-

♦ अंडर-ग्रेजुएट्स के लिये उद्यमिता ऐच्छिक पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिये।
♦ अटल इनोवेशन प्रयोगशालाओं के समान ही टिंकरिंग प्रयोगशालाएँ प्रत्येक संस्थान में होनी चाहिये।
♦ शैक्षिक संस्थानों को इन्क्यूबेटर सेंटर, मेंटर क्लब और एक्सेलरेटर प्रोग्राम शुरू करने की आवश्यकता है।

  • मौजूदा संस्थानों में अतिरिक्त सीटों को मंज़ूरी देने के संदर्भ में समिति ने कहा है कि AICTE को संबंधित संस्थान की क्षमता के आधार पर ही अनुमोदन देना चाहिये।

पृष्ठभूमि

  • देश में हर साल सैकड़ों की संख्या में इंजीनियरिंग कॉलेज बंद होते जा रहे हैं क्योंकि उनमें छात्र प्रवेश नहीं ले रहे हैं। पिछले वर्ष करीब 800 इंजीनियरिंग संस्थानों ने बंद करने के प्रस्ताव पेश किये थे।
  • ये आँकड़े हैरत में डालने वाले हैं जिनसे पता चलता है कि देश में उच्च शिक्षा को लेकर रुख बदल रहा है।
  • निजी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश लेने में छात्रों की रुचि में काफी गिरावट आई है। इन संस्थानों द्वारा दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता पर पिछले दिनों काफी सवाल खड़े किये गए।
  • एक जाँच में इन संस्थानों को खराब बुनियादी ढाँचे, संबंधित उद्योगों से जुड़ाव और प्रयोगशाला की कमी जैसी समस्याओं से जूझता पाया गया।
  • इन संस्थानों में फीस तो भारी भरकम वसूली जाती है, लेकिन इंटर्नशिप और रोज़गार का कोई इंतजाम नहीं होता है।
  • अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) के मुताबिक, 60 फीसदी से अधिक इंजीनियरिंग छात्र बेरोज़गार ही रह जाते हैं। शेष छात्रों को कम वेतन वाली नौकरी मिलती है क्योंकि उनकी शिक्षा का स्तर अच्छा नहीं होता है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस, बिज़नेस स्टैंडर्ड

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2