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जैव विविधता और पर्यावरण

मिरिस्टिका स्वैम्प ट्रीफ्रॉग

  • 15 Dec 2020
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केरल के त्रिशूर ज़िले में पहली बार मिरिस्टिका स्वैम्प ट्रीफ्रॉग (Myristica Swamp Treefrog) को देखा गया।

Frog

मुख्य बिंदु

  • वैज्ञानिक नाम: मर्कुराना मिरिस्टिकापालुस्ट्रिस (Mercurana  Myristicapalustris)
  • विषय में:
    • यह पश्चिमी घाट का स्थानिक है।
    • यह दुर्लभ वानस्पतिक (Arborea) प्रजाति (पेड़ों के बीच या अंदर रहने वाली) है।
    • ये प्रजनन के मौसम के दौरान केवल कुछ हफ्तों के लिये सक्रिय रहते हैं।
  • अद्वितीय प्रजनन व्यवहार:
    • अन्य मेंढकों के विपरीत इनका प्रजनन मौसम मानसून से पहले मई में शुरू होता है और मानसून के पूरी तरह से सक्रिय होने से पूर्व ही जून में समाप्त हो जाता है।
    • प्रजनन मौसम की समाप्ति से पहले मादा और नर मेंढक एक साथ वन भूमि पर उतरते हैं।
    • मादा मिट्टी खोदती है और उथले कीचड़ में अंडे देती है। प्रजनन या अंडे देने के बाद वे पेड़ की ऊँची कैनोपियों (Canopies) में वापस आ जाते हैं और अगले प्रजनन के मौसम तक वहीँ रहते हैं।

मिरिस्टिका स्वैम्प के बारे में

  • मिरिस्टिका स्वैम्प (Myristica swamp) उष्णकटिबंधीय जंगलों में मीठे पानी का दलदली क्षेत्र होता है जिसमें मिरिस्टिका पेड़ों की बहुलता होती है।
    • मिरिस्टिका के पेड़ पृथ्वी पर पाए जाने वाले फूलों के पौधों में सबसे आदिम (Primitive) हैं।
    • इन सदाबहार और जल-सहिष्णु पेड़ों की जड़ें गहरी होती हैं जो इनको स्थूल, काली तथा गीली जलोढ़ मिट्टी में खड़े रहने में मदद करती हैं।
    • ये पेड़ अपने बंद कैनोपी (Canopy) की वजह से काफी घने जंगल का निर्माण करते हैं।
  • यह दलदल आमतौर पर घाटियों में पाए जाते हैं, जिसके कारण मानसूनी बारिश के दौरान वहाँ बाढ़ का खतरा रहता है।

महत्त्व:

  • अनुसंधान और अध्ययन: इन दलदलों को प्राचीन जीवन के जीवित संग्रहालयों के रूप में माना जाता है जो पौधों के विकास पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने में मदद कर सकते हैं।
  • चरम घटनाओं की जाँच: इन दलदलों की उच्च जल-विभाजक क्षमता (Watershed Value) होती है। मानवीय हस्तक्षेप के कारण इनकी जल धारण क्षमता कम हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप बारिश के मौसम में बाढ़ और कटाव की स्थिति उत्पन्न होती है तथा शेष वर्ष सूखा रहता है।
  • निवास स्थान: यह उभयचर, सरीसृप और स्तनधारियों सहित अकशेरुकीय और कशेरुक प्रजातियों की समृद्ध विविधता के लिये निवास स्थान प्रदान करते हैं।
    • अनुमान है कि संपूर्ण केरल की आर्द्रभूमियों में 23% तितलियाँ, 50% से अधिक उभयचर और 20% से अधिक सरीसृप तथा पक्षी रहते हैं।
  • कार्बन पृथक्करण: इनमें गैर-दलदली वनों की तुलना में कार्बन को स्टोर (Carbon Sequestration) करने की अधिक क्षमता होती है। ये कार्बन सिंक के रूप में कार्य करते हैं और कृषि, वानिकी तथा अन्य भूमि उपयोगों द्वारा उत्सर्जित कार्बन को स्टोर कर सकते हैं।

वर्तमान स्थिति:

  • अध्ययनों से पता चला है कि पश्चिमी घाट के दलदली क्षेत्र में पतली टहनियों वाली झाड़ियों और घासों का अतिक्रमण है, अब देश में इस दलदल का क्षेत्र 200 हेक्टेयर से भी कम बचा हुआ है।
  • पश्चिमी घाट के मिरिस्टिका स्वैम्प खंडित स्वरूप (Fragment) में हैं, इसके निवास स्थल का एक बड़ा हिस्सा केरल में है।
  • पिछले 18,000 से 50,000 वर्षों (Late Pleistocene Period) में जलवायु परिवर्तन के कारण  भारतीय उपमहाद्वीप (कर्नाटक एवं गोवा में कुछ भाग को छोड़कर) से यह असाधारण आर्द्रभूमि लगभग गायब हो गई है।

स्रोत: द हिंदू

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