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SAARC Covid-19 इमरजेंसी फण्ड

  • 16 Mar 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

SAARC Covid-19 इमरजेंसी फंड

मेन्स के लिये:

सार्क और भारत, Covid-19

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने SAARC देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान क्षेत्र में Covid-19 की चुनौती से निपटने के लिये एक SAARC Covid-19 इमरजेंसी फंड बनाने का प्रस्ताव रखा।

मुख्य बिंदु:

  • 15 मार्च, 2020 को भारतीय प्रधानमंत्री के आग्रह पर Covid-19 की चुनौती से निपटने की रणनीति पर विचार-विमर्श के लिये सार्क समूह के सदस्य देशों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया।

Covid-19:

  • WHO के अनुसार, COVID-19 में CO का तात्पर्य कोरोना से है, जबकि VI विषाणु को, D बीमारी को तथा संख्या-19 वर्ष 2019 (बीमारी के पता चलने का वर्ष) को चिह्नित करती है।
  • कोरोना वायरस (COVID -19) के शुरुआती मामले दिसंबर 2019 में चीन के हुबेई प्रांत के वुहान शहर में अज्ञात कारण से होने वाले निमोनिया के रूप में सामने आए थे।
  • 31 दिसंबर, 2019 को चीन ने WHO को इस अज्ञात बीमारी के बारे में सूचित किया और 30 जनवरी 2020 को इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया गया।
  • शीघ्र ही यह संक्रामक बीमारी चीन के साथ-साथ विश्व के अन्य देशों में भी फैल गई।   
  • इस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री ने Covid-19 की चुनौती और इसकी अनिश्चितता को स्वीकार करते हुए इस समस्या से निपटने के लिये सार्क देशों को मिलकर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया।
  • भारतीय प्रधानमंत्री ने सामूहिक प्रयास से Covid-19 की चुनौती से निपटने के लिये एक ‘SAARC Covid-19 इमरजेंसी फंड’ स्थापित किये जाने का प्रस्ताव रखा। 
  • भारतीय प्रधानमंत्री ने इस फंड के लिये भारत की तरफ से शुरुआती सहयोग के रूप में 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने की घोषणा की।
  • साथ ही प्रधानमंत्री ने सार्क देशों के विदेश सचिवों व अन्य अधिकारियों के बीच विचार-विमर्श से इस फंड के लिये रूप-रेखा तैयार करने का सुझाव दिया।
  • इस वीडियो कॉन्फ्रेंस में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने भविष्य में दक्षिण एशिया क्षेत्र में ऐसी स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से निपटने और उनकी रोकथाम के लिये आपसी सहयोग से एक चिकित्सा संस्थान की स्थापना किये जाने का सुझाव दिया। 

सार्क (SAARC): 

  • दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (South Asian Association for Regional Cooperation-SAARC) की स्थापना 8 दिसंबर, 1985 को ढाका (बांग्लादेश) में हुई थी।
  • 17 जनवरी, 1987 को सार्क मुख्यालय की स्थापना नेपाल की राजधानी काठमांडू में की गई।
  • इस संगठन की स्थापना क्षेत्र के सात देशों (भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, मालदीव और श्रीलंका) के सहयोग से की गई थी। 
  • अप्रैल 2007 में अफगानिस्तान आठवें सदस्य के रूप में इस संगठन में शामिल हुआ।
  • यह संगठन सदस्य देशों में कृषि, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, पर्यावरण, शिक्षा, सुरक्षा, ऊर्जा, जैव-प्रौद्योगिकी जैसे अनेक क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देता है।    
  • क्षेत्र में Covid-19 के बढ़ते प्रसार को देखते हुए भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा 13 मार्च, 2020 को सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच एक वीडियो कॉन्फ्रेंस का प्रस्ताव रखा था।    
  • इस कॉन्फ्रेंस के दौरान सभी सदस्य देशों ने Covid-19 की चुनौती, अपने अनुभव और इसकी रोकथाम के लिये किये जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी साझा की।
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 2014 में नेपाल में आयोजित 18वें सार्क सम्मेलन के बाद यह पहली बैठक थी जिसमें सभी सार्क देशों ने सामूहिक रूप से एक साथ हिस्सा लिया।                  

कॉन्फ्रेंस के लाभ:

  • वर्ष 2014 के बाद विभिन्न कारणों से सार्क सम्मेलनों का आयोजन नहीं किया जा सका था, ऐसे में वीडियो कॉन्फ्रेंस के लिए भारतीय प्रधानमंत्री की इस पहल से संगठन को पुनः एक नई ऊर्जा मिली है। 
  • सार्क देशों की ज्यादातर आबादी के लोग निम्न आय वर्ग के ऐसे समूहों से आते हैं जिन तक पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुँच नहीं है, ऐसे में संगठन के सामूहिक प्रयासों से एक बड़ी आबादी को Covid-19 से निपटने में सहायता प्रदान की जा सकेगी।
  • सार्क देशों के बीच आपसी सहयोग के माध्यम से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर Covid-19 के नकारात्मक प्रभावों को कुछ सीमा तक कम करने में सहायता प्राप्त होगी। 

स्रोत: द हिंदू

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