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जैव विविधता और पर्यावरण

लैंडफिल फायर एंड मिटिगेशन

  • 15 Mar 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

लैंडफिल साइट्स, वायु प्रदूषण, भूजल संदूषण, जैविक उपचार।

मेन्स  के लिये:

लैंडफिल फायर एंड मिटिगेशन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ब्रह्मपुरम के आस-पास केरल के कोच्चि लैंडफिल साइट में आग लगी है, जो इस बात का संकेत है कि भारतीय शहरों को गर्मियों में इस तरह की अन्य आपदाओं हेतु तैयार रहने की ज़रूरत है।

  • लैंडफिल वे स्थान हैं जहाँ अपशिष्ट पदार्थों को जमा किया जाता है और लंबी अवधि हेतु मृदा से ढक दिया जाता है। इन साइटों को भूजल, सतह के जल और वायु से अपशिष्ट को अलग करके आसपास के पर्यावरण के प्रदूषण को रोकने के लिये डिज़ाइन किया गया है।

लैंडफिल साइट में आग लगने के कारण: 

  • असंसाधित अपशिष्ट: 
    • यह उम्मीद की जाती है कि गीले और सूखे अपशिष्ट को अलग-अलग संसाधित किया जाएगा एवं उप-उत्पादों का पुनर्नवीनीकरण किया जाएगा। लेकिन भारत के शहरों में प्रसंस्करण की दर अपशिष्ट उत्पादन की दर की तुलना में बहुत कम है, इसलिये असंसाधित अपशिष्ट खुले लैंडफिल में लंबे समय तक रहते हैं।
      • भारत की नगर पालिकाएँ शहरों में उत्पन्न अपशिष्ट का 95% से अधिक एकत्र कर रही हैं, लेकिन अपशिष्ट-प्रसंस्करण की दक्षता 30-40% सर्वोत्तम है।  
  • उच्च कैलोरी मान: 
    • खुले में फेंके जाने वाले अपशिष्ट में कम गुणवत्ता वाले प्लास्टिक,  चिथड़े एवं कपड़े जैसे ज्वलनशील पदार्थ जिनका कैलोरी मान अपेक्षाकृत अधिक होता है, शामिल होते हैं।
    • गर्मियों में बायोडिग्रेडेबल अंश बहुत तेज़ी से खाद में परिवर्तित होता है, जिससे लैंडफिल का तापमान 70-80 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है। 
      • भारतीय नगरपालिका ठोस अपशिष्ट में लगभग 60% बायोडिग्रेडेबल सामग्री, 25% गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्री और 15% अक्रिय सामग्री, जैसे- गाद एवं पत्थर शामिल हैं।
    • उच्च तापमान + ज्वलनशील सामग्री = लैंडफिल में आग लगने का मौका। कुछ आग महीनों से चल रही है। 
  • उष्ण या गर्म मौसम:  
    • गर्म एवं शुष्क मौसम की स्थिति में अपशिष्ट पदार्थ शुष्क और अधिक ज्वलनशील हो सकते हैं, जिससे आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। 

लैंडफिल फायर का प्रभाव:

  • वायु प्रदूषण: लैंडफिल फायर के परिणामस्वरूप कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOC) सहित अनेक हानिकारक गैसें एवं कण हवा में मिल जाते है। ये प्रदूषक श्वसन संबंधी समस्याएँ उत्पन्न करते हैं, साथ ही अस्थमा और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों को बढ़ा सकते हैं तथा धुंध एवं अम्लीय वर्षा में योगदान दे सकते हैं।
  • भूजल संदूषण: लैंडफिल फायर भूजल में ज़हरीले रसायनों और भारी धातुओं को छोड़ सकती है, जो आस-पास के जल स्रोतों को दूषित कर सकती है और संभावित रूप से जलीय पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुँचा सकती है। 
  • मिट्टी संदूषण: लैंडफिल फायर मिट्टी में हानिकारक रसायनों और भारी धातुओं को भी छोड़ सकती है, जो पौधे के विकास को नुकसान पहुँचा सकती है तथा फसलों को दूषित कर सकती है।
  • आर्थिक प्रभाव: लैंडफिल फायर के परिणामस्वरूप स्थानीय सरकार के लिये सफाई लागत में वृद्धि हो सकती है, साथ ही आसपास के व्यवसायों और संपत्ति मालिकों को आर्थिक नुकसान भी हो सकता है। 

लैंडफिल फायर को कैसे प्रबंधित किया जा सकता है?

  • स्थायी समाधान:
    • लैंडफिल कैपिंग और क्लोज़िग:
      • मिट्टी का उपयोग कर सामग्री को पूरी तरह से ढक कर वैज्ञानिक विधियों द्वारा लैंडफिल को बंद करके।  
      • यह समाधान भारतीय संदर्भ में अनुपयुक्त है क्योंकि भूमि का उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिये पुनः नहीं किया जा सकता है।  
      • बंद लैंडफिल में विशिष्ट मानक संचालन प्रक्रियाएँ शामिल हैं, जिनमें मीथेन उत्सर्जन का प्रबंधन शामिल है। 
    • जैविक उपचार:  
      • जैविक उपचार के माध्यम से अपशिष्ट के ढेर को साफ करके।
        • प्रदूषित स्थल को साफ करने के लिये पर्यावरण प्रदूषकों का विघटित  करने और उन्हें विघटित करने के लिये जैवोपचारण स्वाभाविक रूप से या जान-बूझकर सूक्ष्मजीवों का उपयोग है।
      • हालाँकि जैवोपचारण परियोजना को लागू करने में आमतौर पर दो या तीन वर्ष तक का समय लगता है, जिससे गर्मियों में लैंडफिल फायर के लिये एक अल्पकालिक समाधान की आवश्यकता होती है।
  • तत्काल समाधान: 
    • पहली तत्काल कार्रवाई अपशिष्टों की प्रकृति के आधार पर साइट को ब्लॉकों में विभाजित करना है। 
    • प्रत्येक साइट पर ताज़ा अपशिष्ट वाले ब्लॉकों को ज्वलनशील सामग्री वाले ब्लॉकों से पृथक करना चाहिये। 
      • जिन ब्लॉकों को मिट्टी से ढक दिया गया है उनमें आग लगने की संभावना कम होती है, इसलिये ऐसे हिस्सों को भी अलग कर देना चाहिये।
      • विभिन्न ब्लॉकों को आदर्श रूप से एक नाली या मिट्टी के बाँध का उपयोग करके अलग किया जाना चाहिये और प्रत्येक ब्लॉक को मिट्टी की एक परत से ढकना  चाहिये। 
      • इससे एक ही लैंडफिल के भीतर फायर/आग के पूरे ब्लॉक में फैलने की संभावना कम हो जाती है। 
    • इसके अलावा लैंडफिल के सबसे कमज़ोर हिस्से को बहुत सारे प्लास्टिक और कपड़े से ढक देना चाहिये तथा उनके ऊपर मिट्टी डाल देनी चाहिये। 
      • ताज़ा अपशिष्ट ब्लॉक को बंद नहीं करना चाहिये लेकिन पानी छिड़क कर पर्याप्त नमी प्रदान की जानी चाहिये जो अपशिष्टों के ढेर को ठंडा करने में मदद करेगी। 
    • एक बार साइट को ब्लॉकों में विभाजित करने के बाद लैंडफिल ऑपरेटर को साइट पर एकत्रित होने वाले अपशिष्टों को वर्गीकृत करना चाहिये और मिश्रित अंशों को नामित ब्लॉकों में निपटान करना चाहिये। 
    • पहले से ही पृथक किये गए गैर-पुनर्नवीनीकरण योग्य और गैर-जैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों को जमा होने देने के बजाय सीमेंट भट्टियों में डाल देना चाहिये। 
      • साइट से सूखी घास सामग्री और सूखे पेड़ों को भी तुरंत हटा देना चाहिये। 

आगे की राह 

  • शहरों में एक संगठित अपशिष्ट-प्रसंस्करण प्रणाली सुनिश्चित की जानी चाहिये, जहांँ गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग संसाधित किया जाए तथा उनके उप-उत्पादों को उचित रूप से संभाला जाए। यही एकमात्र दीर्घकालिक एवं प्रभावी समाधान (पुनर्चक्रण, मिट्टी का संवर्द्धन आदि) है।  
    • इसमें नगर पालिकाओं और अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई संचालकों सहित कई हितधारकों के सहयोग की आवश्यकता होगी। 
  • चूँकि भारत में गर्मी समय पूर्व ही शुरू हो चुकी है, यह देखते हुए नगर पालिकाओं को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार के दीर्घकालिक समाधानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए आगजनी के प्रकोप को रोकने के लिये त्वरित अल्पकालिक उपायों को लागू करना चाहिये। 

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रारंभिक परीक्षा:  

प्रश्न. भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है? (2019) 

(a) अपशिष्ट उत्पादक को कचरे को पाँच श्रेणियों में पृथक करना होता है। 
(b) नियम केवल अधिसूचित शहरी स्थानीय निकायों, अधिसूचित कस्बों और सभी औद्योगिक टाउनशिप पर लागू होते हैं।
(c) लैंडफिल और अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं हेतु साइटों की पहचान के लिये नियम सटीक तथा विस्तृत मानदंड प्रदान करते हैं। 
(d) अपशिष्ट उत्पादक के लिये यह अनिवार्य है कि एक ज़िले में उत्पन्न अपशिष्ट को दूसरे ज़िले में नहीं ले जाया जा सकता है। 

उत्तर: (c) 


मेन्स: 

प्रश्न. भारी मात्रा में लगातार उत्पन्न हो रहे ठोस अपशिष्ट के निस्तारण में क्या बाधाएँ हैं? हम अपने रहने योग्य परिवेश में जमा हो रहे ज़हरीले अपशिष्ट को सुरक्षित तरीके से कैसे हटा सकते हैं? (2018) 

स्रोत: द हिंदू  

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