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भारतीय अर्थव्यवस्था

अयस्कों के अवैध खनन से संबंधित मुद्दे

  • 19 Apr 2023
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अवैध खनन, आईबीएम, कोयला, पेट्रोलियम, परमाणु खनिज, मानवाधिकार उल्लंघन, राष्ट्रीय खनिज नीति, पीएमकेकेवाई।

मेन्स के लिये:

अवैध खनन के मुद्दे और इससे निपटने के तरीके।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारतीय खान ब्यूरो (Indian Bureau of Mines- IBM) ने ओडिशा में मैंगनीज़ के अवैध खनन और परिवहन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को चिह्नित किया है।

  • IBM, खान मंत्रालय के तहत एक बहु-अनुशासनात्मक सरकारी संगठन है, जो कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, परमाणु खनिजों तथा लघु खनिजों के अलावा खानों के संरक्षण, खनिज संसाधनों के वैज्ञानिक विकास और पर्यावरण की सुरक्षा को बढ़ावा देने में लगा हुआ है।

IBM की चिंताएँ:

  • ओडिशा भारत का एक खनिज समृद्ध राज्य है जहाँ देश का 96.12% क्रोम अयस्क, 51.15% बॉक्साइट रिज़र्व, 33.61% हेमेटाइट लौह अयस्क और 43.64% मैंगनीज़ है।
  • ओडिशा में खनन पट्टाधारकों द्वारा अपनी खदानों से मैंगनीज़ अयस्क को निम्न श्रेणी के रूप में पश्चिम बंगाल के व्यापारियों को भेजा जा रहा था , जिसे वे बाद में बिना किसी प्रसंस्करण के उच्च श्रेणी के रूप में बेचते थे।
  • ओडिशा में कुछ खनन कंपनियाँ खनन और परिवहन किये गए खनिजों की मात्रा को कम दर्शाने में शामिल हैं, साथ ही वे उचित रॉयल्टी और करों का भुगतान नहीं कर रही हैं।
    • ऐसे मुद्दों के पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और उन लोगों की आजीविका के लिये गंभीर परिणाम हो सकते हैं जो अपने भरण-पोषण हेतु प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हैं। 
  • मैंगनीज़ अयस्क ग्रेड में कमी का मुद्दा महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह अयस्क की गुणवत्ता और मूल्य को प्रभावित कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो सकता है।
  • राज्य सरकार ने खनिजों के अवैध खनन और परिवहन में शामिल कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने तथा खनन कानूनों और विनियमों को सख्ती से लागू करने का आह्वान किया।
    • खान और खनिज (विकास और विनियमन) (MMDR) अधिनियम की धारा 23C के अनुसार, राज्य सरकारों को खनिजों के अवैध खनन, परिवहन और भंडारण को रोकने के लिये नियम बनाने का अधिकार है।

अवैध खनन क्या है? 

  • विषय: 
    • अवैध खनन भूमि या जल निकायों से आवश्यक परमिट, लाइसेंस या सरकारी प्राधिकरणों से नियामक अनुमोदन के बिना खनिजों, अयस्कों या अन्य मूल्यवान संसाधनों का निष्कर्षण है। 
    • इसमें पर्यावरण, श्रम और सुरक्षा मानकों का उल्लंघन भी शामिल हो सकता है।
  • समस्याएँ: 
    • पर्यावरण का क्षरण:
      • यह वनों की कटाई, मिट्टी के कटाव और जल प्रदूषण का कारण बन सकता है तथा इसके परिणामस्वरूप वन्यजीवों के आवासों का विनाश हो सकता है, जिसके गंभीर पारिस्थितिक परिणाम हो सकते हैं। 
    • खतरा:  
      • अवैध खनन में अकसर पारा और साइनाइड जैसे खतरनाक रसायनों का उपयोग शामिल होता है, जो खनिकों और आस-पास के समुदायों के लिये गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है। 
    • राजस्व की हानि:
      • इससे सरकारों को राजस्व का नुकसान हो सकता है क्योंकि खनिक उचित करों और रॉयल्टी का भुगतान नहीं कर सकते हैं।
      • इसके महत्त्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव हो सकते हैं, विशेषकर उन देशों में जहाँ प्राकृतिक संसाधन राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है। 
    • मानव अधिकारों के उल्लंघन:

भारत में खनन से संबंधित कानून:

  • भारत के संविधान की सूची II (राज्य सूची) की क्रम संख्या 23 की प्रविष्टि राज्य सरकार को अपनी सीमाओं के अंदर स्थित खनिजों के स्वामित्त्व के लिये बाध्य करती है।
  • सूची I (केंद्रीय सूची) की क्रम संख्या 54 पर प्रविष्टि केंद्र सरकार को भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के अंदर खनिजों के मालिक होने का अधिकार देती है।
    • इसके अनुसरण में खान और खनिज (विकास और विनियमन) (MMDR) अधिनियम 1957 बनाया गया था।
  • इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (ISA) खनिज अन्वेषण और निष्कर्षण को नियंत्रित करती है। यह संधि संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्देशित है तथा संधि का एक पक्षकार होने के नाते भारत को मध्य हिंद महासागर बेसिन में 75000 वर्ग किलोमीटर से अधिक बहुधात्त्विक पिंडों का पता लगाने का विशेष अधिकार प्राप्त है।

भारत में खनन क्षेत्र परिदृश्य: 

  • परिचय: 
    • भारत में लौह अयस्क, कोयला, बॉक्साइट, मैंगनीज़, ताँबा, सोना, जस्ता, सीसा और अन्य खनिजों के बड़े भंडार के साथ एक समृद्ध खनिज संसाधन आधार है।    
    • भारतीय अर्थव्यवस्था में खनन क्षेत्र का योगदान महत्त्वपूर्ण है, यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 2.5% है और लाखों लोगों को रोज़गार प्रदान करता है।
  • आँकड़े: 
    • वित्त वर्ष 2021-22 में भारत में 8.55% की वृद्धि के साथ कोयले का उत्पादन 777.31 मिलियन टन (MT) रहा।
    • वर्ष 2021 तक के प्राप्त आँकड़ों के अनुसार, भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक है।
    • वित्त वर्ष 2022 में भारत में 190,392 करोड़ (24.95 बिलियन अमेरिकी डॉलर) रुपए का खनिज उत्पादन होने का अनुमान है।
    • लौह अयस्क उत्पादन के मामले में भारत विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है। वित्त वर्ष 2021 में कुल लौह अयस्क का उत्पादन 204.48 मीट्रिक टन रहा।
    • वित्त वर्ष 21 में भारत में एल्यूमीनियम का संयुक्त उत्पादन (प्राथमिक और माध्यमिक) 4.1 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष था, जिससे यह एल्यूमीनियम का विश्व का दूसरा उत्पादक बन गया। 

मैंगनीज़: 

  • यह एक ठोस, स्लेटी रंग की धातु है जो आमतौर पर पृथ्वी की भू-पपड़ी में पाई जाती है और इसमें सबसे प्रचुर मात्रा पाया जाने वाला बारहवाँ तत्त्व है।
  • मैंगनीज़ मनुष्य, पशुओं और पौधों के लिये एक आवश्यक पोषक तत्त्व है। यह कार्बोहाइड्रेट, कोलेस्ट्रॉल एवं अमीनो एसिड के चयापचय के लिये आवश्यक है।
  • मैंगनीज़ का उपयोग विभिन्न औद्योगिक अनुप्रयोगों में किया जाता है, जिसमें इस्पात, एल्यूमीनियम मिश्र धातु और बैटरी का उत्पादन शामिल है।
  • मैंगनीज़ लौह अयस्क को गलाने के लिये एक महत्त्वपूर्ण कच्चा माल है और इसका उपयोग फेरो मिश्र धातुओं के निर्माण के लिये भी किया जाता है। लगभग सभी भूवैज्ञानिक संरचनाओं में मैंगनीज़ के निक्षेप पाए जाते हैं। हालाँकि यह मुख्य रूप से धारवाड़ प्रणाली से जुड़ा है।
  • ओडिशा मैंगनीज़ का प्रमुख उत्पादक है। ओडिशा में प्रमुख खानें भारत के लौह अयस्क बेल्ट के मध्य भाग में स्थित हैं, विशेष रूप से बोनाई, केंदुझार, सुंदरगढ़, गंगपुर, कोरापुट, कालाहांडी और बोलांगीर में।

अवैध खनन के मुद्दों से निपटने के उपाय: 

  • कानूनी और नियामक ढाँचा:
    • अवैध खनन को रोकने में इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिये खनन से संबंधित विधिक एवं नियामक ढाँचे को मज़बूत किये जाने की आवश्यकता है।
    • इसके लिये कानून को मज़बूत बनाकर, प्रवर्तन तंत्र में सुधार करके और अवैध खनन गतिविधियों के लिये दंडों में कुछ सख्त बदलाव किया जा सकता है।
  • जाँच एवं निगरानी:  
    • सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन और GPS जैसी आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से अवैध खनन गतिविधियों की निगरानी एवं पता लगाने में मदद मिल सकती है।
  • हितधारकों के बीच सहयोग:  
    • खनन कंपनियों को स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर काम करना चाहिये ताकि उनकी चिंताओं को दूर किया जा सके, साथ ही यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी गतिविधियाँ धारणीय हैं।
  • जागरूकता और शिक्षा:  
    • जागरूकता और शिक्षा अभियान पर्यावरण एवं समाज पर अवैध खनन के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करने में मदद कर सकते हैं। यह लोगों को अवैध खनन गतिविधियों की सूचना अधिकारियों को देने हेतु प्रोत्साहित करेगा।
  • धारणीय खनन अभ्यास: 
    • धारणीय खनन प्रथाओं को बढ़ावा देने से अवैध खनन की मांग को कम करने में मदद मिल सकती है।
    • इसमें खनन कंपनियों को ज़िम्मेदार खनिज साधन, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक ज़िम्मेदारी जैसी टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने हेतु प्रोत्साहित करना शामिल है।

खनन से संबंधित सरकारी पहलें: 

  • राष्ट्रीय खनिज नीति 2019: इसका उद्देश्य खनिज अन्वेषण और उत्पादन को बढ़ाना, धारणीय खनन विधियों को बढ़ावा देना एवं नियामक प्रक्रियाओं को कारगर बनाना है।
  • प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (PMKKKY): यह खनन प्रभावित क्षेत्रों और सागरमाला परियोजना हेतु एक कल्याणकारी योजना है, जिसका उद्देश्य खनन क्षेत्र के विकास का समर्थन करने हेतु बंदरगाह के बुनियादी ढाँचे का विकास करना है।

निष्कर्ष:

  • अवैध खनन के मुद्दे को उजागर करने हेतु बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसमें कानूनी और नियामक ढाँचे को मज़बूत करना, जाँच एवं निगरानी में सुधार करना, धारणीय खनन विधियों को बढ़ावा देना तथा जागरूकता व शिक्षा अभियान शुरू करना शामिल है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. गोंडवानालैंड के देशों में से एक होने के बावजूद भारत के खनन उद्योग अपने सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में बहुत कम  प्रतिशत का योगदान देता है। चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2021)

प्रश्न. "प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद कोयला खनन के विकास के लिये अभी भी अपरिहार्य है"। चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा,2017)

स्रोत: द हिंदू

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