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अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक 2023

  • 28 Feb 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, विश्व व्यापार संगठन, राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) नीति 2016, बौद्धिक संपदा के व्यापार संबंधी पहलू (ट्रिप्स समझौता)।  

मेन्स के लिये:

भारत और राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार  (IPR), IPR से संबंधित मुद्दे।

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स द्वारा जारी अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (IP) सूचकांक 2023 में भारत 55 प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में 42वें स्थान पर है, जिसके अनुसार भारत उन उभरते बाज़ारों का नेतृत्त्व करने हेतु सक्षम है जो IP-संचालित नवाचार के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्था को बदलना चाहते हैं। 

  • अंतर्राष्ट्रीय IP सूचकांक में अमेरिका सबसे ऊपर है, इसके बाद यूनाइटेड किंगडम और फ्राँस का स्थान है।   

अंतर्राष्ट्रीय IP सूचकांक: 

  • सूचकांक 50 अद्वितीय संकेतकों में प्रत्येक अर्थव्यवस्था में IP ढाँचे का मूल्यांकन करता है, उद्योगों का मानना है कि यह सबसे प्रभावी IP सिस्टम वाली अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करता है। 
  • संकेतक समग्र IP पारिस्थितिकी तंत्र की अर्थव्यवस्था का एक स्नैपशॉट बनाते हैं और सुरक्षा की नौ श्रेणियों को कवर करते हैं- पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, डिज़ाइन अधिकार, व्यापार भेद, IP संपत्ति का व्यावसायीकरण, प्रवर्तन, प्रणालीगत दक्षता, सदस्यता एवं अंतर्राष्ट्रीय संधियों का अनुसमर्थन

बौद्धिक संपदा:

  • परिचय: 
    • बौद्धिक संपदा (IP) मन की रचनाओं को संदर्भित करती है, जैसे कि आविष्कार, साहित्यिक और कलात्मक कार्य, प्रतीक, नाम एवं वाणिज्य में उपयोग की जाने वाली छवियाँ।
    • यह व्यक्तियों अथवा कंपनियों को उनके रचनात्मक और अभिनव कार्यों के लिये दिये गए बौद्धिक संपदा अधिकार के रूप में कानूनी संरक्षण है। 
    • इन कानूनी सुरक्षा उपायों के कारण रचनाकार को उसकी रचनाओं को विनियमित करने  और दूसरों द्वारा उन रचनाओं के उपयोग तथा अनधिकृत प्रतिकृति को प्रतिबंधित करने में सहायता मिलती है
  • प्रकार: 
    • बौद्धिक संपदा के मुख्य प्रकारों में आविष्कारों के लिये पेटेंट, ब्रांडिंग के लिये ट्रेडमार्क, कलात्मक और साहित्यिक कार्यों के लिये कॉपीराइट, गोपनीय व्यावसायिक जानकारी के लिये व्यापार की गोपनीय जानकारियाँ तथा उत्पाद की प्रस्तुति के लिये औद्योगिक डिज़ाइन शामिल हैं।
  • भारत और IPR:  
    • भारत विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है और बौद्धिक संपदा के व्यापार संबंधी पहलुओं पर समझौते (ट्रिप्स समझौते) के लिये प्रतिबद्ध है।
    • भारत विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (World Intellectual Property Organisation- WIPO) का भी सदस्य है, जो पूरे विश्व में बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये उत्तरदायी निकाय है।
    • राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति 2016 को मई 2016 में देश में IPR के भविष्य के विकास को निर्देशित करने के लिये एक विज़न दस्तावेज़ के रूप में अपनाया गया था।
      • इसका आदर्श वाक्य है “सृजनात्मक भारत; नवाचारी इंडिया ”(Creative India; Innovative India)।
  • IPR से संबंधित मुद्दे:  
    • प्रवर्तन/ एन्फोर्समेंट (Enforcement): IP प्रवर्तन को सुदृढ़ करने के प्रयासों के बावजूद चोरी और जालसाजी भारत में गंभीर समस्याएँ बनी हुई हैं।  
    • एन्फोर्समेंट एजेंसियों के पास प्रायः इन मामलों से प्रभावी तौर पर निपटने के लिये संसाधनों और विशेषज्ञता की कमी के कारण अभियोग और दोष-सिद्धि की दर कम होती है।
    • पेटेंट बैकलॉग: भारत में पेटेंट आवेदनों का बैकलॉग एक बहुत बड़ी चुनौती है।
      • इससे पेटेंट प्रदान करने में विलंब होता है जिससे अपने अन्वेषणों की रक्षा करने वाले नवप्रवर्तकों के समक्ष अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न होती है। 
    • IP अधिकार संबंधी ​जागरूकता का अभाव: भारत में अभी भी कई व्यवसायों और व्यक्तियों के बीच IP अधिकार के बारे में जागरूकता और समझ की कमी है। 
      • इससे IP अधिकारों का अनजाने में उल्लंघन हो सकता है, साथ ही इन अधिकारों को लागू करने में चुनौतियाँ भी हो सकती हैं।  

आगे की राह 

  • एन्फोर्समेंट में वृद्धि: भारत को अपने IP प्रवर्तन तंत्र को मज़बूत करने की आवश्यकता है, जिसमें प्रवर्तन एजेंसियों के लिये संसाधनों और विशेषज्ञता में वृद्धि, विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय में सुधार तथा आईपी विवादों के लिये कानूनी प्रक्रियाओं की व्यवस्था शामिल है। 
  • विनियमों की सुव्यवस्था: भारत को IP अधिकार के लिये नियामक परिवेश को सरल और सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है, जिसमें प्रशासनिक बोझ को कम कर IP पंजीकरण एवं प्रवर्तन प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की वृद्धि शामिल है। 
  • नवाचार को प्रोत्साहन: भारत को अनुसंधान और विकास के लिये प्रोत्साहन तथा वित्तीय पोषण की पेशकश के साथ-साथ उद्योग, शिक्षा एवं सरकार के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर नवाचार को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. 'राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति (नेशनल इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. यह दोहा विकास एजेंडा और TRIPS समझौते के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराता है।
  2. औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग भारत में बौद्धिक संपदा अधिकारों के विनियमन के लिये केंद्रक अभिकरण (नोडल एजेंसी) है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. भारतीय पेटेंट अधिनियम के अनुसार, किसी बीज को बनाने की जैव प्रक्रिया को भारत में पेटेंट कराया जा सकता है।
  2. भारत में कोई बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड नहीं है।
  3. पादप किस्में भारत में पेटेंट कराए जाने की पात्र नहीं हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


प्रश्न. वैश्वीकृत संसार में बौद्धिक संपदा अधिकारों का महत्त्व होता है और वे मुकद्दमेबाज़ी का एक स्रोत बन जाते हैं। कॉपीराइट, पेटेंट और व्यापार गुप्तियों के बीच मोटे तौर पर विभेदन कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2014)

स्रोत: द हिंदू

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