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भारतीय अर्थव्यवस्था

कार्रवाई के लिये अंतर्राष्ट्रीय दशक : सतत् विकास के लिये जल 2018-2028’ विषय पर सम्मेलन

  • 23 Jun 2018
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण तथा जहाज़रानी मंत्री श्री नितिन गडकरी ने ‘’कार्रवाई के लिये अंतर्राष्ट्रीय दशक : सतत् विकास के लिये जल 2018-28’’ विषय पर ताजिकिस्तान में 20-21 जून, 2018 को आयोजित सम्मेलन में भारत का नेतृत्व किया।

आयोजक राष्ट्र

  • संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा अपनाए गए सतत् विकास लक्ष्यों से संबंधित महत्त्वपूर्ण जल विषय पर विचार-विमर्श करने के लिये इस सम्मेलन का आयोजन संयुक्त रूप से संयुक्त राष्ट्र और ताजिकिस्तान गणराज्य की सरकार द्वारा किया गया।

महत्त्व

  • भारत के विस्तारित पड़ोस में ताजिकिस्तान रणनीतिक साझेदार देश है। ताजिकिस्तान ने जल संबंधी वैश्विक विषयों पर अग्रणी भूमिका निभाई है।
  • जल, सतत् विकास एवं गरीबी उन्मूलन से संबंधित तत्त्व है। यह भोजन, ऊर्जा एवं स्वास्थ्य सुरक्षा की कुंजी है और इसलिये यह आश्चर्यजनक नहीं है कि जल को एसडीजी 1,2,3,5,6,7,11,13 एवं 14 सहित कई सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में शामिल किया गया है।
  • दुनिया में पर्याप्त जल है लेकिन जल प्रबंधन संबंधी समस्याओं के कारण बहुत से लोगों को यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। स्वच्छता एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। इसके अतिरिक्त, जनसांख्यिकी, प्रदूषण एवं शहरीकरण आदि जल के प्रबंधन के समक्ष अतिरिक्त चुनौतियाँ पेश कर रहे है।
  • राजनीतिक इच्छाशक्ति जल अभिशासन, वित्त एवं शिक्षा के लिये बेहद जरूरी है। सतत् जल प्रबंधन को बढ़ावा देने एवं एसडीजी के जल से संबंधित अन्य पहलुओं के साथ समन्वय की तलाश के लिये ज्ञान, अनुभव, नवोन्मेषों, समाधानों को साझा करने समेत सभी क्षेत्रों में एवं हितधारकों के सभी स्तरों पर सहयोग की आवश्यकता है।
  • भारत और ताजिकिस्तान ने द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति के लिये प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की और आर्थिक सहयोग को बढ़ाने में विशेषतः सतत् जल विकास पर सहमति व्यक्त की गई है।

इस दिशा में भारत के प्रयास

  • संसाधन मूल्यांकन के क्षेत्र में भारत वैज्ञानिक विकास, संरक्षण एवं हमारे भू-जल तथा सतह जल संसाधनों के संयुक्त उपयोग के लिये अपने जल संसाधन सूचना एवं प्रबंधन प्रणाली के उन्नयन की प्रक्रिया में है।
  • राष्ट्रीय जल सूचना केंद्र (एनडब्ल्यूआईसी) सतह जल एवं भू-जल के आकलन, बाढ़ के पूर्वानुमान, जलाशय निगरानी, तटीय सूचना प्रबंधन प्रणाली एवं नदी बेसिन प्रबंधन के लिये एक आधुनिक मंच है।
  • भारत ने देश के मानचित्र निर्माण योग्य क्षेत्र के दो मिलियन वर्ग किलोमीटर के संपूर्ण मानचित्रण के लिये एक महत्त्वाकांक्षी राष्ट्रीय जलभृत प्रबंधन परियोजना आरंभ की है।
  • नदी संरक्षण के क्षेत्र में नमामि गंगे, गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने तथा उसे पुनर्जीवित करने की भारत की प्रमुख योजना है। इसके साथ-साथ दूसरी नदियों के कायाकल्प के लिये भी ऐसे ही कदम उठाए रहे हैं जिससे कि उन्हें उनके मूल रूप में लाया जा सके।
  • खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिये भारत आश्वस्त सिंचाई के तहत और अधिक क्षेत्रों को लाने के लिये प्रतिबद्ध है। इसी प्रतिबद्धता के मद्देनज़र प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-पीएमकेएसवाई (प्रधानमंत्री सिंचाई परियोजना) शुरू की गई है। इस योजना के तहत दिसंबर, 2019 तक 99 बड़ी सिंचाई परियोजनाएँ पूरी करने का लक्ष्य तय किया गया है, जिससे 7.62 मिलियन हेक्टेयर की अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का सृजन हो सकेगा।
  • इस कार्यक्रम के अन्य महत्त्वपूर्ण उद्देश्य हैं- ‘हर खेत को पानी’ या कमान क्षेत्र विकास को विस्तारित करने और जल प्रबंधन कार्य आरंभ करना जिनके द्वारा प्रत्येक खेत को जल उपलब्ध कराना है।
  • पीएमकेएसवाई का एक अन्य उद्देश्य सूक्ष्म एवं ड्रिप सिंचाई के संवर्द्धन और बेहतर जल दक्षता सुनिश्चित कर ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ सुनिश्चित करना है। हम अपने पड़ोसी देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय नदियों एवं देश के भीतर अंतःराज्यीय, नदियों को लेकर बकाया मुद्दों का निपटान कर रहे हैं।
  • पेयजल के क्षेत्र में भारत सरकार बुनियादी ढाँचे के सृजन द्वारा सतत् आधार पर पीने, खाना पकाने एवं अन्य घरेलू मूलभूत आवश्यकताओं के लिये पर्याप्त सुरक्षित जल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) आरंभ कर रही है। 
  • भारत सरकार की योजना, 2030 तक सभी के लिये सुरक्षित एवं किफायती पीने के पानी की सार्वभौमिक और समान सुविधा उपलब्ध करना है। सरकार का एक अन्य प्रमुख कार्यक्रम स्वच्छ भारत मिशन है, जिसका निष्पादन सुरक्षित व स्वच्छता पर फोकस के साथ भारत के शहरी एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में किया जा रहा है और इसका उद्देश्य सार्वभौमिक स्वच्छता कवरेज अर्जित करना है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में यह कार्यक्रम स्वच्छता, ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन कार्यकलापों के स्तर में सुधार लाएगा और गाँवों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ), स्वच्छ एवं साफ-सुथरा बनाएगा।
  • शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य 6.6 मिलियन एकल परिवार शौचालयों, 0.25 मिलियन सामुदायिक शौचालयों एवं 0.26 सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण करना है। इसके अतिरिक्त, इस कार्यक्रम का लक्ष्य नगरपालिका अपशिष्ट का घर-घर जाकर 100 प्रतिशत संग्रह एवं वैज्ञानिक प्रबंधन का लक्ष्य अर्जित करना है।
  • बाढ़ एवं सूखे की घटनाओं में कमी लाने और देश को जल के संबंध में सुरक्षित बनाने के लिये सरकार नदियों को आपस में जोड़ने जैसे कार्यक्रमो के माध्यम से जल के अंतःबेसिन अंतरण के लिये कार्यक्रम को कार्यान्वित करने हेतु प्रतिबद्ध है।
  • राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के तहत जल संरक्षण एवं जल संभरण कार्य हेतु कुँओं, तालाबों की खुदाई एवं पारंपरिक जल निकायों, जलाशयों एवं नहरों की मरम्मत आरंभ किये जा रहे हैं।

निष्कर्ष के रूप में भारत सरकार उन्नत जल मूल्यांकन, समान संसाधन आवंटन, बेहतर दक्षता, प्रदूषण में कमी, संरक्षण एवं जल संभरण के ज़रिये सतत् तरीके से जल संसाधनों के विकास एवं प्रबंधन के लिये ठोस कदम उठा रही है तथा सुरक्षित स्वच्छता उपलब्ध करा रही है।

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