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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चीन के साथ व्यापार घाटे में कमी

  • 03 Jul 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये

व्यापार घाटे और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का अर्थ

मेन्स के लिये

अर्थव्यवस्था पर व्यापार घाटे का प्रभाव, चीन के साथ भारत की व्यापार स्थिति

चर्चा में क्यों?

हालिया सरकारी आँकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2019-20 में चीन के साथ भारत के व्यापार घाटा (Trade Deficit) में कमी देखने को मिली है और यह घटकर 48.66 बिलियन डॉलर पर पहुँच गया है।

प्रमुख बिंदु

  • आँकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान भारत द्वारा चीन को लगभग 16.6 बिलियन डॉलर का निर्यात किया गया, जबकि भारत ने चीन से लगभग 65.26 बिलियन डॉलर का आयात किया, जिसके कारण चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 48.66 बिलियन रहा।
  • गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 53.56 बिलियन डॉलर था, जबकि वित्तीय वर्ष 2017-18 में यह कुल 63 बिलियन डॉलर रहा था।
  • भारत में चीन से आयातित मुख्य वस्तुओं में घड़ी, संगीत वाद्ययंत्र, खिलौने, खेल संबंधी उपकरण, फर्नीचर, गद्दे, प्लास्टिक, विद्युत उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, रसायन, लोहा एवं इस्पात वस्तुएँ, उर्वरक, खनिज ईंधन और धातु आदि शामिल हैं।
  • हालाँकि चीन के साथ भारत के व्यापार घाटे में बीते कुछ वर्षों में कमी देखने को मिली है, इसके बावजूद चीन के साथ व्यापार घाटे की इतनी बड़ी मात्रा सरकार के लिये चिंता का कारण बनी हुई है। 
  • ज्ञातव्य है कि भारत में आयातित कुल वस्तुओं में से लगभग 14 प्रतिशत वस्तुएँ चीन से आती हैं और चीन मोबाइल फोन, दूरसंचार, बिजली, प्लास्टिक के खिलौने और दवाई सामग्री जैसे क्षेत्रों के लिये एक प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता है।

व्यापार घाटे में कमी हेतु सरकार के प्रयास

  • भारत सरकार चीन के उत्पादों पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से कई उत्पादों हेतु तकनीकी नियमों और गुणवत्ता मानदंडों को तैयार करने की योजना बना रही है।
  • इसके अलावा हाल ही में भारत द्वारा चीन समेत कुल 3 देशों से कुछ विशिष्ट प्रकार के इस्पात उत्पादों के आयात पर एंटी-डंपिंग शुल्क (Anti-Dumping Duty) लगाने की घोषणा की गई है।
    • ध्यातव्य है कि व्यापार उपचार महानिदेशालय (Directorate General of Trade Remedies- DGTR) ने अपनी जाँच में यह निष्कर्ष निकाला था कि उक्त देशों (चीन, वियतनाम और कोरिया) द्वारा भारत में अपने उत्पादों का निर्यात सामान्य से भी से कम मूल्य पर किया गया, जिसके परिणामस्वरूप घरेलू उद्योगों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा।
  • चीन के लगभग 371 उत्पादों की पहचान तकनीकी नियमों (Technical Regulations) के लिये की गई है, जिसमें से 47 अरब डॉलर की कीमत पर आयातित 150 उत्पादों हेतु तकनीकी विनियम तैयार कर लिये गए हैं।
  • सरकार के अनुसार, बीते एक वर्ष में 50 से अधिक उत्पादों के लिये गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (Quality Control Order-QCO) और अन्य तकनीकी नियम अधिसूचित किये गए हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक सामान, खिलौने, एयर कंडीशनर, साइकिल के हिस्से, रसायन, सुरक्षा काँच, प्रेशर कुकर और स्टील तथा इलेक्ट्रिकल उपकरण आदि शामिल हैं।

व्यापार घाटा

  • सामान्य शब्दों में व्यापार घाटे (Trade Deficit) का अर्थ निर्यात की तुलना में आयात की अधिकता से होता है। जब किसी राष्ट्र का आयात उसके निर्यात से अधिक होता है, तो वह व्यापार घाटे की स्थिति में चला जाता है। 
  • उल्लेखनीय है कि व्यापार घाटे का स्पष्ट प्रभाव उस देश की मुद्रा पर देखने को मिलता है, जब आयात अधिक होगा तो विदेशी मुद्रा, विशेष रूप से डॉलर, में भुगतान होने के कारण देश की विदेशी मुद्रा (डॉलर) में कमी आती है। जब विदेशी मुद्रा में भुगतान होता है, तो उसकी मांग भी बढ़ती है और रुपया उसके मुकाबले कमज़ोर हो जाता है। 

चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में कमी

  • आँकड़ों के अनुसार, भारत में चीन से ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’ (Foreign Direct Investment- FDI) वित्तीय वर्ष 2018-19 में 229 मिलियन डॉलर से वित्तीय वर्ष 2019-20 में 163.78 मिलियन डॉलर तक पहुँच गया है।
    • भारत ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में चीन से FDI के रूप में 350.22 मिलियन डॉलर और वित्तीय 2016-17 में 277.25 मिलियन डॉलर प्राप्त किये थे।
  • आँकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल 2000 से मार्च 2020 तक की अवधि के दौरान, भारत ने चीन से लगभग 2.38 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित किया है।
  • अप्रैल 2000 से मार्च 2020 की अवधि के दौरान चीन से अधिकतम FDI प्राप्त करने वाले क्षेत्र में ऑटोमोबाइल (987.35 मिलियन डॉलर), धातु-उद्योग (199.28 मिलियन डॉलर), विद्युत उपकरण (185.33 मिलियन डॉलर), सेवा क्षेत्र (170.18 मिलियन डॉलर) और इलेक्ट्रानिक्स (151.56 मिलियन डॉलर) आदि शामिल थे।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)

  •  प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) किसी एक समूह अथवा व्यक्ति द्वारा किसी एक देश के व्यवसाय अथवा निगम में स्थायी हितों को स्थापित करने के उद्देश्य से किया गया निवेश होता है।

FDI संबंधित नियमों में सरकार की सख्ती

  • गौरतलब है कि इसी वर्ष अप्रैल माह में भारत सरकार ने देश के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाले FDI मानदंडों को और कड़ा कर दिया था।
    • संशोधित FDI नियमों के अनुसार, भारत से भूमि साझा करने वाले देश की कंपनी अथवा किसी व्यक्ति को भारत में निवेश करने के लिये सर्वप्रथम सर्वप्रथम सरकार से अनुमोदन लेना होगा।
    • भारत चीन समेत कुल 7 देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, चीन, भूटान, बांग्लादेश और म्याँमार) के साथ अपनी थल सीमाएँ साझा करता है।
  • फरवरी 2020 में जारी एक रिपोर्ट में यह सामने आया था कि चीन की कई बड़ी कंपनियों जैसे अलीबाबा (Alibaba) और टेंसेंट (Tencent) ने लगभग 92 भारतीय स्टार्टअप (Startup) में निवेश किया हुआ। यह संख्या स्पष्ट रूप से भारतीय बाज़ारों में चीन की अत्यधिक पहुँच को दर्शाती हैं, जो कि भारतीय घरेलू उद्योगों और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये एक अच्छी खबर नहीं है।

स्रोत: द हिंदू

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