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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था

  • 06 Sep 2022
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME)।

मेन्स के लिये:

भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति और इसे बढ़ावा देने के तरीके।

चर्चा में क्यों?

एक्ज़िम बैंक ऑफ़ इंडिया के एक दस्तावेज़ के अनुसार भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था जिसमें कला एवं शिल्प, ऑडियो और वीडियो कला तथा डिज़ाइन शामिल हैं, वर्ष 2019 में 121 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात किया गया।

दस्तावेज़ के प्रमुख निष्कर्ष:

  • वर्ष 2019 तक भारत का रचनात्मक वस्तुओं और सेवाओं का कुल निर्यात 121 बिलियन अमेरिकी डॉलर के करीब था, जिसमें से रचनात्मक सेवाओं का निर्यात लगभग 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
  • वर्ष 2019 में भारत में कुल रचनात्मक वस्तुओं के निर्यात का 87.5% डिज़ाइन सेगमेंट का तथा अन्य 9% कला और शिल्प सेगमेंट का योगदान शामिल है।
  • इसके अलावा भारतीय संदर्भ में रचनात्मक वस्तु उद्योग में 16 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष है।
  • रचनात्मक अर्थव्यवस्था देश में काफी विविध है जो मनोरंजन उद्योग के क्षेत्र जैसे रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती है।
  • राजस्व के मामले में शीर्ष अंतर्राष्ट्रीय बॉक्स ऑफिस बाज़ारों के संबंध में भारत अमेरिका के बाहर विश्व स्तर पर छठे स्थान पर है।
  • अध्ययन के अनुसार, इस विकसित क्षेत्र में मानव रचनात्मकता, ज्ञान, बौद्धिक संपदा के साथ-साथ प्रौद्योगिकी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

अध्ययन का महत्त्व:

  • शोध पत्र भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था की अप्रयुक्त निर्यात क्षमता का मानचित्रण करता है।
  • अध्ययन 'भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था का प्रतिबिंब और विकास' एक अनूठी पहल है।
  • इसने संयुक्त राष्ट्र के वर्गीकरण के अनुसार कला और शिल्प, श्रव्य दृश्य, डिजाइन तथा दृश्य कला जैसे सात अलग-अलग रचनात्मक खंडों का विश्लेषण किया, ताकि उनकी निर्यात क्षमता का मानचित्रण किया जा सके।
  • अध्ययन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग, विस्तारित वास्तविकता और ब्लॉकचेन की भूमिका पर भी रेखांकित किया गया है, जो रचनात्मक अर्थव्यवस्था के कामकाज को प्रभावित कर रहे हैं।
  • यह यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, फ्राँस, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे देशों की रचनात्मक अर्थव्यवस्था की नीतियों का भी विश्लेषण करता है, जहाँ रचनात्मक अर्थव्यवस्था को समर्पित मंत्रालयों या संस्थानों के साथ महत्त्वपूर्ण बल मिला है।

भारत में रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने हेतु आगे की राह:

  • भारत में रचनात्मक अर्थव्यवस्था को निम्नलिखित द्वारा बढ़ावा दिया जाना चाहिये:
    • भारत में रचनात्मक उद्योगों को परिभाषित करना और उनका मानचित्रण करना।
    • रचनात्मक उद्योगों के लिये वित्तपोषण।
    • संयुक्त कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना।
    • कॉपीराइट के मुद्दे को संबोधित करना।
    • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) और स्थानीय कारीगरों को बढ़ावा देना।
    • रचनात्मक ज़िलों और केंद्रों की स्थापना।
    • रचनात्मक उद्योगों के लिये एक विशेष संस्थान का गठन।
  • जबकि भारत ने रचनात्मक अर्थव्यवस्था से जुड़े उद्योगों में प्रगति की है, देश में अपनी रचनात्मक अर्थव्यवस्था के मूल्य को बढ़ाने के लिये महत्त्वपूर्ण अवसर है।
  • देश में रचनात्मक अर्थव्यवस्था के लिये एकल परिभाषा और समर्पित संस्थान तैयार करने की आवश्यकता है, जो इसकी अप्रयुक्त क्षमता का पता लगा सके।

स्रोत: द हिंदू

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