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भारत में हेट क्राइम

  • 07 Feb 2023
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

हेट क्राइम, अनुच्छेद 14, IPC की धाराएँ (153A 153B, 295A)।

मेन्स के लिये:

हेट क्राइम के खिलाफ भारतीय कानून, हेट क्राइम के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख कारक, भारत में हेट क्राइम से निपटने के संभावित तरीके।

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने कहा कि हेट स्पीच को लेकर आम सहमति बढ़ रही है, उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर हेट क्राइम के लिये कोई गुंज़ाइश नहीं है तथा नागरिकों को हेट क्राइम से बचाना राज्य का प्राथमिक कर्त्तव्य है।  

हेट क्राइम (Hate Crimes):  

  • परिचय:  
    • हेट क्राइम व्यक्तियों या समूहों के खिलाफ उनके धर्म, जाति, नस्ल, यौन अभिविन्यास या अन्य पहचान के आधार पर किये गए हिंसक या अपमानजनक कृत्यों को संदर्भित करता है। 
      • इन अपराधों में अक्सर हिंसा, डराना या धमकी देना शामिल होता है और वे उन व्यक्तियों या समूहों को लक्षित करते हैं जिन्हें अलग या हाशिये के रूप में माना जाता है। 
    • भारतीय संविधान समानता की गारंटी प्रदान करता है और धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करता है (अनुच्छेद 14), लेकिन इसके बावजूद हेट क्राइम देश में एक निरंतर समस्या बनी हुई है। 
  • घृणा अपराधों के खिलाफ भारतीय कानून:  
    • हेट क्राइम के विभिन्न रूपों के कारण इसे न तो भारतीय कानून में पर्याप्त रूप से परिभाषित किया गया है और न ही एक पारंपरिक विवरण तक सीमित किया गया है।
      • हालाँकि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153A, 153B, 295A, 298, 505(1), और 505(2) नफरती भाषण के मामलों से निपटती है तथा स्पष्ट करती है कि नस्ल, जाति, जातीयता, संस्कृति, भाषा, क्षेत्र या किसी अन्य कारक के आधार पर घृणा या अपमान जैसी भावना को उकसाने के लिये बोले या लिखे गए शब्दों का उपयोग करना अवैध है। 
  • हेट क्राइम के प्रमुख कारक:  
    • धार्मिक और जातीय तनाव: भारत विभिन्न धार्मिक और जातीय समूहों वाला एक विविधतापूर्ण देश है। इस प्रकार के तनाव अक्सर हिंसा और हेट क्राइम्स को जन्म देते हैं।
    • जाति-आधारित भेदभाव: जाति-आधारित पूर्वाग्रह का भारत में एक लंबा इतिहास रहा है, जिसने कुछ समुदायों को हाशिये पर धकेल दिया है और उनके खिलाफ हेट क्राइम में योगदान दिया है।
    • राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव: हेट क्राइम्स को नियंत्रित करने के लिये कानूनों और विनियमों के बावजूद उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी ने ऐसे अपराधों के घटित होने हेतु अनुकूल वातावरण तैयार किया है।
    • सोशल मीडिया एवं भ्रामक सूचना: सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा और भ्रामक सूचना का प्रसार तनाव में वृद्धि के साथ घृणित अपराधों की बारंबारता में वृद्धि कर सकता है। 

भारत में हेट क्राइम से निपटने के संभावित उपाय:

  • जागरूकता अभियान: हेट क्राइम को संबोधित करने में पहला कदम व्यक्तियों और समाज पर इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। 
    • मास मीडिया अभियान और सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों का उपयोग लोगों को हेट क्राइम के परिणामों के बारे में शिक्षित करने और उन्हें ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु किया जा सकता है। 
  • सामुदायिक जुड़ाव: हेट क्राइम को संबोधित करने में समुदाय महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। यह कार्य सामुदायिक जुड़ाव के माध्यम से किया जा सकता है ताकि लोग एक साथ आ सकें और उन विषयों पर खुलकर तथा ईमानदारी से चर्चा कर सकें जो उन्हें विभाजित करती हैं।  
    • यह विभिन्न समुदायों के मध्य सेतु की भाँति कार्य करेगा जो उनकी समझ और सम्मान को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकता है।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: हेट क्राइम्स की रिपोर्टिंग और ट्रैकिंग में सुधार के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सकता है। इसमें हेट क्राइम के रुझानों और हॉटस्पॉट की पहचान करने के लिये ऑनलाइन रिपोर्टिंग सिस्टम विकसित करना तथा डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करना शामिल हो सकता है।
  • पुनर्स्थापनात्मक न्याय कार्यक्रम: पुनर्स्थापनात्मक न्याय कार्यक्रम (Restorative Justice Programs) का उद्देश्य क्षतिपूर्ति करना और पीड़ितों, अपराधियों तथा समुदाय के बीच संबंधों को सामान्य बनाना है। 
    • इन कार्यक्रमों का उपयोग हेट क्राइम के मामलों में प्रभावित समुदायों के बीच उपचार और सुलह को बढ़ावा देने हेतु किया जा सकता है। 
  • कड़ी सज़ा: हेट क्राइम से निपटने का एक और तरीका है कि इस तरह के व्यवहार में लिप्त लोगों पर कठोर दंड लगाया जाए। यह उन लोगों के लिये एक निवारक के रूप में काम कर सकता है जो हेट क्राइम में लिप्त हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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