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जैव विविधता और पर्यावरण

वैश्विक मीथेन उत्सर्जन

  • 29 Feb 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

मीथेन उत्सर्जन के स्रोत, मीथेन का जलवायु पर प्रभाव

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘पर्यावरण अनुसंधान संचार’ (Environmental Research Communication) पत्रिका में “वर्ष 2050 तक वैश्विक मीथेन उत्सर्जन के उपशमन में मानवीय तकनीकी क्षमता और लागत” शीर्षक से एक शोध प्रकाशित किया गया।

मुख्य बिंदु:

  • अध्ययन के अनुसार यदि मीथेन उत्सर्जन को नियंत्रित करने वाले उपाय नहीं अपनाए गए तो वैश्विक मीथेन उत्सर्जन वर्ष 2050 तक वर्तमान स्तर से 30% अधिक हो जाएगा। वर्ष 2010 के बाद से मीथेन उत्सर्जन में बहुत तेज वृद्धि दर्ज की गई जिससे वर्ष 2050 वैश्विक तापमान को औद्योगिक क्रांति के स्तर के 1.5°C की वृद्धि से नीचे रखना असंभव हो जाएगा।
  • उपलब्ध शमन प्रौद्योगिकी को अपनाकर कुल मीथेन उत्सर्जन का 38% तक कम किया जा सकता है लेकिन फिर भी वर्ष 2020-2050 की अवधि में इसका उत्सर्जन जारी रहेगा।

उत्सर्जन वृद्धि के कारण:

  • उत्तरी अमेरिका में शेल गैस उत्पादन
  • इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया में कोयला खनन
  • एशिया और अफ्रीका में बढ़ती जनसंख्या तथा आर्थिक विकास से अपशिष्ट एवं अपशिष्ट जल की वृद्धि का होना

शमन का प्रयास (Mitigation Efforts):

  • शोध के अनुसार, भविष्य में वैश्विक उत्सर्जन के 30-50% उत्सर्जन को 50 यूरो प्रति टन CO2 से कम लागत में हटाया जा सकता है। इसे तकनीकी भाषा में तकनीकी उपशमन क्षमता (Technical Abatement Potentials- TAP) के रूप में जाना जाता है।
  • तकनीकी उपशमन क्षमता पहल की कृषि में सीमित संभावना है अत: गैर-तकनीकी उपायों जैसे संस्थागत उपाय, सामाजिक-आर्थिक सुधार, व्यवहार में बदलाव (Behavioural Changes) का आह्वान आदि को प्रयुक्त किया जाना आवश्यक है, उदाहरण- डेयरी और माँस की खपत को व्यवहार में बदलाव द्वारा कम करना, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में छोटे पशुपालकों में जोखिम प्रबंधन का प्रयोग।
  • विश्व के अलग-अलग क्षेत्रो में मीथेन उज्सर्जन के अलग-अलग स्रोत है यथा- पश्चिम एशिया तथा अफ्रीका में तेल उत्पादन, यूरोप एवं लैटिन अमेरिका में डेयरी और गोमाँस उत्पादन, उत्तरी अमेरिका में शेल गैस निष्कर्षण। अत: किसी एक उपाय से समस्या का समाधान संभव नहीं है क्योंकि एक उपाय सभी पर लागू नहीं होता है (No One-size Fits all Solution)। अत: शमन रणनीतियों को सेक्टर-विशिष्ट दृष्टिकोण से तैयार किया जाना चाहिये।

मीथेन एक ग्रीनहाउस गैस:

Global-Greenhouse-Gas

मीथेन उत्सर्जन के मुख्य स्रोत:

  • वैश्विक रूप से कुल CH4 उत्सर्जन का 50-65% मानव गतिविधियों से होता है जो ऊर्जा, उद्योग, कृषि और अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों से मुख्यत: उत्सर्जित होती है।

ऊर्जा और उद्योग:

  • प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम मीथेन गैस का प्राथमिक घटक है। मीथेन, प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम के उत्पादन, प्रसंस्करण, भंडारण, संचरण और वितरण के दौरान वायुमंडल में उत्सर्जित होती है। इसके अलावा कोयला खनन भी CH4 उत्सर्जन का एक स्रोत है।

कृषि:

  • मवेशी, सूअर, भेड़, बकरी जैसे घरेलू पशुधन अपनी सामान्य पाचन प्रक्रिया के दौरान भी मीथेन का उत्सर्जन होता है।
  • जब जानवरों की खाद को लैगून या भंडारण टैंक में संग्रहित किया जाता है तब भी मीथेन का उत्सर्जन होता है।

घर तथा औद्योगिक अपशिष्ट:

  • लैंडफिल में अपशिष्ट अपघटन और अपशिष्ट जल के उपचार से भी मीथेन गैस उत्सर्जित होती है।

अन्य स्रोत:

  • प्राकृतिक आर्द्रभूमि (Wetlands), ऑक्सीजन से अनुपस्थिति में कार्बनिक पदार्थों को विघटित करने वाले जीवाणु, दीमक, महासागर, तलछट जमाव, ज्वालामुखी, वनाग्नि आदि प्राकृतिक स्रोतों से भी मीथेन का उत्सर्जन होता है।

मीथेन उत्सर्जन में कमी:

उत्सर्जन स्रोत

कैसे उत्सर्जन कम किया जा सकता है?

उद्योग

  • तेल और गैस के उत्पादन, भंडारण और परिवहन के लिये उपयोग किए जाने वाले उपकरणों का उन्नयन करके।
  • कोयला खदानों से उत्सर्जित मीथेन को भी ऊर्जा के लिए उपयोग किया जा सकता है।

कृषि

  • बेहतर खाद प्रबंधन प्रथाओं और खाद प्रबंधन रणनीतियों अपनाया जाए।

घर व औद्योगिक अपशिष्ट

  • लैंडफिल से मीथेन को कैप्चर और स्टोरेज (Capture & Storage) करना एक प्रभावी रणनीति है।

स्रोत: द हिंदू

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