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पेरिस ओलंपिक- 2024 में लैंगिक पात्रता विवाद

  • 08 Aug 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पेरिस ओलंपिक 2024, अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (IBA), अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति, लैंगिक विकास संबंधी विकार, टर्नर सिंड्रोम

मेन्स के लिये:

खेलों में महिलाओं के सामने आने वाली समस्याएँ, महिलाओं से संबंधित मुद्दे, मानवाधिकार और खेल

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में हुए पेरिस ओलंपिक 2024 में अल्जीरिया की इमान खलीफ और इटली की एंजेला कैरिनी के बीच मुक्केबाजी मैच ने एक महत्त्वपूर्ण विवाद, विशेष रूप से महिलाओं के खेल प्रतिस्पर्द्धा में लैंगिक पात्रता के संबंध में, विवाद को जन्म दिया।

इमान खलीफ की जीत ने विवाद क्यों खड़ा किया?

  • विवाद की पृष्ठभूमि: खलीफ की जीत से कई आलोचनाओं की लहर उत्पन्न हो गई, जिसमें कई लोगों ने उन पर "एक पुरुष (Biological: यौन विकास संबंधी विकारों के कारण)" होने का आरोप लगाया, जबकि आधिकारिक तौर पर उनकी लैंगिक पहचान महिला के रूप में होने की पुष्टि की गई थी। आलोचकों ने खलीफ पर "अनुचित लाभ" लेने का आरोप लगाया।
  • अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ का रुख: वर्ष 2023 में, खलीफ और  मुक्केबाज लिन यू-टिंग को "लैंगिक पात्रता" परीक्षण के कारण नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (IBA) की विश्व चैंपियनशिप की प्रतिस्पर्द्धा में भाग लेने से रोक दिया गया था। 
    • इस परीक्षण का विवरण गोपनीय रखा गया है। हालाँकि, दोनों एथलीट वर्ष 2023 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) द्वारा IBA की मान्यता रद्द किये जाने के कारण पेरिस ओलंपिक में प्रतिस्पर्द्धा कर रहे हैं।
    • IOC के वर्तमान पात्रता मानदंड पूरी तरह से एथलीट के पासपोर्ट में बताए गए लिंग पर आधारित हैं, जिसे खलीफ की पहचान एक महिला के तौर पर की गई है।
  • IOC की प्रतिक्रिया: IOC ने अपने निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि ओलंपिक में सभी मुक्केबाजों ने प्रतियोगिता की पात्रता मानदंडों को पूरा किया था।
    • IOC ने IBA के निर्णय की आलोचना करते हुए इसे "मनमाना" बताया, खलीफ व लिन यू-टिंग के साथ किये गए दुर्व्यवहार पर निराशा व्यक्त की और इस बात पर ज़ोर दिया कि भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही थी।

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति

  • IOC स्विट्ज़रलैंड के लॉज़ेन में स्थित एक गैर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो वर्ष 1894 में अस्तित्व में आया था। IOC का उद्देश्य ओलंपिक खेलों का नियमित आयोजन सुनिश्चित करना और ओलंपिकवाद एवं ओलंपिक मूवमेंट को बढ़ावा देना है।
    • ओलंपिकवाद एक ऐसा दर्शन है जो खेल, संस्कृति, शिक्षा और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को संगठित करता है, जो प्रयास के आनंद, अच्छे उदाहरणों के शैक्षिक मूल्य, सामाजिक जिम्मेदारी तथा सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांतों के सम्मान पर ज़ोर देता है।
    • ओलंपिक मूवमेंट का लक्ष्य ओलंपिकवाद और उसके मूल्यों के अनुसार अभ्यास किये जाने वाले खेलों के माध्यम से युवाओं को शिक्षित कर एक शांतिपूर्ण एवं बेहतर विश्व के निर्माण में योगदान देना है।
      • ओलंपिक मूवमेंट के तीन मुख्य घटक हैं अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC), अंतर्राष्ट्रीय खेल महासंघ (IF) और राष्ट्रीय ओलंपिक समितियाँ (NOC)
  • IOC ओलंपिक खेलों के नियम एवं विनियम तय करता है तथा यह भी तय करता है कि आगामी ओलंपिक आयोजन कब और कहाँ होगा।
  • IOC एक स्थायी संगठन है जो अपने सदस्यों का चुनाव करता है जिसका प्रत्येक सदस्य फ्रेंच या अंग्रेज़ी भाषी होता है और राष्ट्रीय ओलंपिक समिति वाले देश का नागरिक होता है या वहाँ रहता है।
    • IOC ओलंपिक खेलों और ओलंपिक मूवमेंट से संबंधित सभी विवादों के समाधान के लिये अंतिम प्राधिकारण है।

महिलाओं के खेलों में लैंगिक पात्रता एक विवादास्पद मुद्दा क्यों है?

  • लिंग और एथलेटिक प्रदर्शन: शारीरिक अंतर के कारण, खेलों को परंपरागत रूप से लिंग के अनुसार विभाजित किया गया है, जिसमें पुरुषों को आमतौर पर माँसपेशियों के द्रव्यमान, ताकत और धैर्य के मामले में बढ़त मिलती है।
  • Y गुणसूत्र पर SRY जीन टेस्टोस्टेरोन उत्पादन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसे इन एथलेटिक लाभों से जोड़ा गया है।
  • एंडोक्राइन रिव्यूज़ में वर्ष 2017 में प्रकाशित एक शोध से पता चलता है कि लिंगों (महिलाओं और पुरुषों) के बीच एथलेटिक प्रदर्शन में भिन्नताएँ बहुत हद तक टेस्टोस्टेरोन के स्तर से प्रभावित होती हैं।
  • लैंगिक विकास के विकार (DSD): महिला जनन अंगों वाले कुछ व्यक्तियों में स्वियर सिंड्रोम जैसी स्थितियों के कारण XY गुणसूत्र हो सकते हैं, जो कई "लैंगिक विकास के विकार" या DSD में से एक है और लैंगिक पात्रता पर चर्चा को जटिल बनाते हैं।
  • इस बात पर विवाद चल रहा है कि क्या ऐसे एथलीटों को उच्च टेस्टोस्टेरोन के स्तर और संबंधित लाभों की उनकी क्षमता को देखते हुए निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिये महिलाओं के खेलों से बाहर रखा जाना चाहिये।

नोट:

  • लैंगिक गुणसूत्र एक प्रकार का गुणसूत्र है जिससे लिंग निर्धारण होता है। मनुष्यों में 23 जोड़े गुणसूत्र होते हैं जिनमें से 22 गुणसूत्र पुरुषों और महिलाओं में समान होते हैं; केवल एक जोड़ी गुणसूत्र अलग होता है।
  • महिलाओं में दो X गुणसूत्र (XX) होते हैं जबकि पुरुषों में एक X और एक Y (XY) होता है।

यौन विकास के विकार (DSD) क्या हैं?

  • परिभाषा: DSD में ऐसी स्थितियों का एक स्पेक्ट्रम शामिल है जहाँ व्यक्तियों में दोनों लिंगों की शारीरिक विशेषताएँ या यौन विशेषताओं का असामान्य विकास हो सकता है। ये अंतर जन्म के समय, यौवन के दौरान या यौवनावस्था के बाद भी स्पष्ट हो सकते हैं।
  • उदाहरण:
    • XY क्रोमोसोम वाले व्यक्ति लेकिन जननांग महिला जैसे होते हैं।
    • XX क्रोमोसोम वाले व्यक्ति लेकिन जननांग पुरुष जैसे होते हैं।
    • डिंबग्रंथि और वृषण दोनों ऊतक वाले व्यक्ति।
    • सामान्य जननांग लेकिन असामान्य गुणसूत्र व्यवस्था के साथ, जो वृद्धि और विकास को प्रभावित करती है।
  • DSD के प्रकार:
    • एंड्रोजन असंवेदनशीलता सिंड्रोम (AIS): एक आनुवंशिक स्थिति है, जहाँ XY क्रोमोसोम वाला व्यक्ति पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) के प्रति प्रतिरोधी होता है, जिसके परिणामस्वरूप पुरुष आनुवंशिक संरचना होने के बावजूद महिला शारीरिक लक्षणों का विकास होता है।
    • क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम: पुरुषों में एक गुणसूत्र संबंधी विकार है, जिसमें एक अतिरिक्त X गुणसूत्र (XXY) की उपस्थिति होती है, जिसके कारण टेस्टोस्टेरोन के स्तर का कम होना, बाँझपन और शारीरिक तथा विकासात्मक अंतर जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं।
    • टर्नर सिंड्रोम: महिलाओं में एक गुणसूत्र संबंधी विकार जो एक X गुणसूत्र की पूर्ण या आंशिक अनुपस्थिति के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप छोटा कद, बाँझपन और विभिन्न शारीरिक तथा विकासात्मक असामान्यताएँ विकसित होती हैं।

खेल संघ लैंगिक पात्रता का समाधान कैसे करते हैं?

  • IOC का दृष्टिकोण: वर्ष 2021 से IOC ने अंतर्राष्ट्रीय खेल महासंघों को "साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण" के आधार पर अपने स्वयं के पात्रता नियम विकसित करने की अनुमति दी है जो निष्पक्षता, समावेश और गैर-भेदभाव को संतुलित करता है।
    • पहले, टेस्टोस्टेरोन का स्तर पात्रता के लिये एक प्राथमिक निर्धारक था, लेकिन हाल की नीतियों में लिंग पर ज़ोर दिया गया है जैसा कि आधिकारिक दस्तावेजों में कहा गया है।
  • संघों द्वारा विशिष्ट विनियमन: उदाहरण के लिये, विश्व एथलेटिक्स अभी भी DSDs वाले एथलीटों के लिये एक मानदंड के रूप में टेस्टोस्टेरोन के स्तर का उपयोग करता है, जिसके लिये उन्हें कम से कम 24 महीनों के लिये 2.5 एनएमओएल/एल से नीचे के स्तर को बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
    • अन्य खेल निकाय, जैसे कि फेडरेशन इंटरनेशनेल डी नैटेशन (FINA), इंटरनेशनल साइक्लिंग यूनियन और इंटरनेशनल रग्बी यूनियन ने टेस्टोस्टेरोन के स्तर के आधार पर ट्रांस महिला एथलीटों पर अलग-अलग प्रतिबंध लगाए हैं, हालाँकि विभिन्न कौशल सेटों की आवश्यकता को देखते हुए खेलों में इस तरह के प्रतिबंधों की आवश्यकता पर सवाल उठाया गया है।
  • ओपन कैटेगरी डिबेट: कुछ लोगों ने इन चिंताओं को दूर करने के लिये ट्रांस एथलीटों के लिये एक "ओपन कैटेगरी" का प्रस्ताव दिया है।
    • हालाँकि, अभिजात वर्ग स्तर के ट्रांस एथलीटों की सीमित संख्या और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा मानकों को स्थापित करने की चुनौतियों के कारण ऐसी श्रेणी की व्यावहारिकता पर चर्चा होती है

आगे की राह

  • बायोमार्कर: विश्वसनीय बायोमार्कर की पहचान करें जो एथलीटों की गोपनीयता या गरिमा का उल्लंघन किये बिना एथलेटिक क्षमता का सटीक आकलन कर सकें।
    • बायोमार्कर एक वस्तुनिष्ठ माप है जो किसी कोशिका या जीव की किसी निश्चित समय पर स्थिति को दर्शा सकता है।
    • यौवन अवरोधकों (Puberty Blockers), हार्मोन थेरेपी और एथलेटिक प्रदर्शन पर अन्य हस्तक्षेपों के प्रभावों पर अनुदैर्ध्य अध्ययन आयोजित करें। एथलेटिक क्षमता का आकलन करने के लिये विश्वसनीय बायोमार्कर की पहचान करें।
  • एथलीट शिक्षा: उचित निर्णय लेने को बढ़ावा देने के लिये एथलीटों को लिंग और पात्रता नियमों के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करें।
  • पारदर्शी और समावेशी नीतियाँ: खेल महासंघों को पारदर्शी तथा समावेशी नीतियाँ बनानी चाहिये जो निष्पक्षता, समावेशिता और गैर-भेदभाव को संतुलित करती हों। इसमें पात्रता मानदंड एवं उनके पीछे के तर्क पर स्पष्ट दिशा-निर्देश शामिल होने चहिये।
  • महासंघों के बीच सहयोग: अंतर्राष्ट्रीय खेल महासंघों को अपनी नीतियों में सामंजस्य स्थापित करने और विभिन्न खेलों में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिये सहयोग करना चाहिये। इससे भ्रम की स्थिति को रोकने और निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है।
  • मानवाधिकारों का सम्मान: बिना किसी भेदभाव के खेलों में भाग लेने के अधिकार सहित मानवाधिकारों के संरक्षण को प्राथमिकता दी जानी चहिये।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. खेलों में लिंग पात्रता से जुड़ी चुनौतियों और नैतिक विचारों पर चर्चा कीजिये। ये मुद्दे निष्पक्षता और समावेशिता को कैसे प्रभावित करते हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. वर्ष 2000 में प्रारंभ किये गए लॉरियस विश्व खेल पुरस्कार (लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1. अमेरिकी गोल्फ खिलाड़ी टाइगर वुड्स इस पुरस्कार के सर्वप्रथम विजेता थे।
  2. अब तक यह पुरस्कारअधिकतर 'फॉर्मूला वन' के खिलाड़ियों को मिला है।
  3. अन्य खिलाडियों की तुलना में रॉजर फेडरर को यह पुरस्कार सर्वाधिक बार मिला है।

उपर्युक्त में से कौन से कथन सही हैं?

केवल 1 और 2

केवल 2 और 3

केवल 1 और 3

1, 2 और 3

उत्तर: (c)

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