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फार्म ऋण: आपके सभी सवालों के जवाब

  • 16 Jun 2017
  • 6 min read

संदर्भ
भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार कृषि ऋण में किसानों को दिया जाने वाला अल्पकालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक ऋण शामिल हैं। अल्पकालिक फसल ऋण में छ: महीने या अधिकतम एक वर्ष का ऋण शामिल किया जाता है। अत: बैंक द्वारा ऋण फ़र्टिलाइज़र खरीदने, कटाई- छंटाई, छिड़काव, ग्रेडिग और नज़दीकी बाज़ार में उत्पादों को बेचने के लिये परिवहन जैसी अनेक गतिविधियों के लिये उपलब्ध कराया जाता है। यह ऋण उन किसानों के लिये दिये जाते जो परंपरागत खेती करते हैं, जैसे- गन्ने और दालों जैसी फसलों के लिये दिया जाता है न कि चाय, कॉफी, रबर और बागवानी जैसी खेती के लिये। सिंचाई और खेत के विकास या उपकरणों की खरीद जैसी अन्य गतिविधियों के लिये भी एक वर्ष से अधिक की अवधि के लिये  ऋण प्रदान किया जाता है। 

बैंकों द्वारा कृषि क्षेत्र को दिये जाने वाले ऋण के अलावा उधार के अन्य भाग

  • कृषि-ढाँचागत ऋण - बैंक कृषि भंडार सुविधाओं के निर्माण के लिये ऋण प्रदान करते हैं जैसे – गोदामों और सैलोस (Silos), बाज़ार, कोल्ड स्टोरेज यूनिट्स के विकास के लिये तथा मिट्टी संरक्षण और वाटरशेड विकास, बीज उत्पादन, जैव-कीटनाशक और पौधे टिशू-कल्चर के लिये।
  • सहायक कृषि गतिविधियों से संबंधित ऋण -  जैसे कृषि-व्यवसाय केंद्र, कृषि-क्लीनिक, खाद्य और कृषि-प्रसंस्करण उद्योग इत्यादि के लिये। 

क्या बैंक किसानों को ऋण देने के लिये बाध्य हैं?

  • हाँ, नीति-निर्माताओं ने बैंकों के लिये कृषि क्षेत्र हेतु अनिवार्य ऋण का लक्ष्य निर्धारित किया है।
  • कृषि को छोटे और मध्यम उद्यमों, आवास, शिक्षा और सामाजिक बुनियादी ढाँचे जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में शामिल किया गया है। भारत में विदेशी बैंकों सहित सभी बैकों के लिये प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिये कुल बैंक क्रेडिट का 40% निर्धारित किया गया है, जिसमें कृषि के लिये 18% निर्धारित है। 
  • इस लक्ष्य को हासिल करने में असफल रहने वाले बैंकों को यह राशि ‘ग्रामीण बुनियादी ढाँचा विकास निधि’ (RIDF) में जमा करनी पड़ती है।   

छोटे या सीमांत किसान के रूप में कौन?

  • एक सीमांत किसान वह है, जिसके पास एक हेक्टेयर तक की भूमि उपलब्ध है, जबकि छोटे किसान वो है, जिसके पास एक से दो हेक्टेयर के बीच भूमि उपलब्ध है। 
  • इसमें भूमिहीन कृषि श्रमिकों, किरायेदार किसानों को भी शामिल किया गया है।

बैंक कितना ऋण दे सकते हैं?

  • किसानों के लिये 50 लाख रुपए तक ऋण दिया जा सकता है, लेकिन यह 12 महीने से अधिक समय के लिये नहीं दिया जाएगा।
  • कॉर्पोरेट किसानों और अन्य सहकारी समितियों के लिये (जो डेयरी, मत्स्य पालन, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, रेशम उत्पादन जैसा कार्य करते है) उनको 2 करोड़ रुपए तक का ऋण दिया जा सकता है।
  • सहायक कृषि गतिविधियों के लिये ऋण सीमा 100 करोड़ रुपए है, कृषि उत्पादों के निपटान के लिये ऋण की सीमा सहकारी समितियों के लिये  5 करोड़ रुपए तक तय की गई है, जबकि खाद्य और कृषि प्रसंस्करण के लिये 100 करोड़ रुपए तक का ऋण दिया जा सकता है।

ब्याज़ दरों की सीमा

  • बैंकों को किसानों को अधिकतम 7% की दर से उधार देना होगा और जो किसान ऋणों का भुगतान समय पर करेंगे उन्हें सरकार ब्याज़ में 3% की सब्सिडी देगी।

राज्य सरकारों के बीच ऋण माफ़ी की होड़ क्यों है?

  • राज्य सरकारों के साथ-साथ केन्द्र सरकार द्वारा भी कृषि ऋण को माफ किया गया है।
  • यह एक राजनीतिक कदम हो सकता है। 
  • कई मामलों में किसानों की फसल बर्बादी के कारण किसान ऋण चुकाने में असमर्थ होते हैं, ऐसी परिस्थिति में उनका ऋण माफ कर दिया जाता है। 

ऐसी ऋण माफी से चिंता क्या है?

  • बैंकर्स और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ऋण माफी से उधारकर्त्ताओं के बीच अनुशासनहीनता की संस्कृति को प्रोत्साहन मिलता है।
  • यह एक नैतिक खतरे को बढ़ावा देता है अर्थात् यह अन्य उधारकर्त्ताओं को भविष्य में ऋण न चुकाने के लिये प्रोत्साहित करेगा।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने चिंता व्यक्त की है कि ऋण माफी से ‘ईमानदार क्रेडिट संस्कृति’ कमज़ोर होती है और अन्य उधारकर्त्ताओं के लिये ऋण लेने की लागत में वृद्धि कर देती है।
  • बड़ी चिंता यह भी है कि इस प्रकार की ऋण माफी से राज्य सरकारों के वित्तीय स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, क्योंकि ऐसे ऋण माफी हेतु राज्य सरकारों को केंद्र सरकार भी सहायता प्रदान नहीं करती है। 
  • अत: ऐसे में राज्य सरकार द्वारा विकास एवं बुनियादी ढाँचे पर कम खर्च किया जाता है,  फलस्वरूप विकास कार्य बाधित हो जाते हैं।
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