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आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना का विस्तार

  • 19 Aug 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना, हॉस्पिटैलिटी सेक्टर, आत्मानिर्भर पैकेज, कोविड -19, एनबीएफसी, एमएसएमई।

मेन्स के लिये:

हॉस्पिटैलिटी/आतिथ्य और संबंधित क्षेत्रों में आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना की आवश्यकता।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने आतिथ्य/हॉस्पिटैलिटी और संबंधित क्षेत्रों में उद्यमों के लिये आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) में वृद्धि को मंज़ूरी दी क्योंकि महामारी ने इन क्षेत्रों को बाधित कर दिया था।

  • सरकार ने इन क्षेत्रों के लिये 50,000 करोड़ रुपए की राशि में 4.5 लाख करोड़ रुपए बढ़ाकर 5 लाख करोड़ रुपए कर दिया है जो 31 मार्च, 2023 तक वैध रहेगा।

आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना

  • परिचय:
    • ECLGS को वर्ष 2020 में कोविड-19 संकट के दौरान केंद्र के आत्मनिर्भर पैकेज के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था।
    • इसका उद्देश्य देशव्यापी तालाबंदी के कारण अपनी परिचालन देनदारियों को पूरा करने के लिये संघर्ष कर रहे छोटे व्यवसायों का समर्थन करना था।
    • नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी (NCGTC) द्वारा सदस्य ऋणदाता संस्थानों (MLI) - बैंकों, वित्तीय संस्थानों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को 100% गारंटी प्रदान की जाती है।
    • क्रेडिट उत्पाद जिसके लिये योजना के तहत गारंटी प्रदान की जाएगी, उसका नाम 'गारंटीड इमरजेंसी क्रेडिट लाइन (GECL)' रखा जाएगा।
  • ECLGS 1.0:
    • MSME, व्यावसायिक उद्यमों, मुद्रा उधारकर्त्ताओं और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये व्यक्तिगत ऋणों को 29 फरवरी, 2020 तक उनके बकाया ऋण के 20% की सीमा तक पूरी तरह से गारंटीकृत और संपार्श्विक मुक्त अतिरिक्त ऋण प्रदान करना।
    • 25 करोड़ रुपए तक के बकाया और 100 करोड़ रुपए के टर्नओवर वाले MSME इसके पात्र थे।
      • हालाँकि नवंबर 2020 में ECLGS 2.0 में संशोधन के बाद टर्नओवर सीमा को हटा दिया गया था।
  • ECLGS 2.0:
    • संशोधित संस्करण कामथ समिति द्वारा पहचाने गए 26 तनावग्रस्त क्षेत्रों में संस्थाओं के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर केंद्रित है, जिन पर 29 फरवरी, 2020 तक 50 करोड़ रुपए से अधिक और 500 करोड़ रुपए तक का ऋण बकाया है।
    • योजना में उधारकर्त्ता खातों को 29 फरवरी, 2020 तक देय 30 दिनों से कम या उसके बराबर होना अनिवार्य है अर्थात, उन्हें 29 फरवरी, 2020 तक किसी भी उधारदाता द्वारा SMA-1, SMA-2 या NPA के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाना चाहिये था।
      • SMA विशेष उल्लेख खाते होते हैं, जो उन शुरुआती दबाव का संकेत देते हैं, जिसमें कर्जदार ऋण चुकाने में डिफ़ॉल्ट करता है।
        • SMA-0 खातों में 1-30 दिनों के लिये आंशिक या पूर्ण रूप से भुगतान अतिदेय हैं, जबकि SMA-1 और SMA-2 खातों में क्रमशः 31-60 दिनों और 61-90 दिनों के लिये भुगतान अतिदेय हैं।
    • संशोधित योजना में ECLGS 1.0 में चार साल से पाँच वर्ष के रीपेमेंट विंडो का भी प्रावधान किया गया था।
  • ECLGS 3.0:
    • इसमें 29 फरवरी, 2020 तक सभी ऋणदाता संस्थानों में कुल बकाया ऋण का 40% तक का विस्तार शामिल है।
    • ECLGS 3.0 के तहत दिये गए ऋणों की अवधि 6 वर्ष होगी, जिसमें 2 वर्ष की अधिस्थगन अवधि भी शामिल है।
    • यह आतिथ्य, यात्रा और पर्यटन, अवकाश एवं खेल क्षेत्रों में व्यावसायिक उद्यमों को शामिल करता है, जिसकी अवधि 29 फरवरी, 2020 तक थी।
      • इसमें कुल बकाया 500 करोड़ रुपए से अधिक नहीं और अतिदेय, यदि कोई हो तो 60 दिनों या उससे कम की अवधि के लिये था।
  • ECLGS 4.0:
    • अस्पतालों, नर्सिंग होम, क्लीनिकों, मेडिकल कॉलेजों को ऑन-साइट ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित करने के लिये 5 प्रतिशत ब्याज दर के साथ 2 करोड़ रुपए तक के ऋण को कवर करने की 100 प्रतिशत गारंटी।

नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड:

  • NCGTC एक निजी लिमिटेड कंपनी है, जिसे वर्ष 2014 में वित्तीय सेवा मंत्रालय के वित्त मंत्रालय द्वारा विनियमित  कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत स्थापित किया गया था, जो भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में कई क्रेडिट गारंटी फंड के लिये एक आम ट्रस्टी कंपनी के रूप में कार्य करती है।
    • क्रेडिट गारंटी कार्यक्रम उधारदाताओं के उधार जोखिम को साझा करने हेतु डिज़ाइन किये गए हैं और बदले में संभावित उधारकर्त्ताओं के लिये वित्त तक पहुँच की सुविधा प्रदान करते हैं।

UPSC सिविल सेवा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs): 

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का उद्देश्य है? (2016)

(a) छोटे उद्यमियों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाना
(b) गरीब किसानों को विशेष फसलों की खेती के लिये ऋण प्रदान करना
(c) वृद्ध और निराश्रित व्यक्तियों को पेंशन प्रदान करना
(d) कौशल विकास और रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने में शामिल स्वैच्छिक संगठनों का वित्त पोषण

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015 में गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि लघु/सूक्ष्म उद्यमों को 10 लाख तक का ऋण प्रदान करने के लिये शुरू की गई एक योजना है।
  • ये ऋण वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB), लघु वित्त बैंकों, सहकारी बैंकों, सूक्ष्म वित्त संस्थानों (MFI) और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) द्वारा प्रदान किये जाते हैं।
  • PMMY के तत्वावधान में, MUDRA ने 'शिशु', 'किशोर' और 'तरुण' नामक तीन श्रेणियाँ हैं जिसमें लाभार्थी सूक्ष्म इकाई/उद्यमी की वृद्धि/विकास और वित्त पोषण आवश्यकताओं के चरण को दर्शाने के लिये तथा स्नातक/विकास के अगले चरण के लिये एक संदर्भ बिंदु प्रदान किया है।
    • शिशु: 50,000 तक का ऋण;
    • किशोर: 50,000 से ऊपर और 5 लाख तक का ऋण;
    • तरुण: 5 लाख से ऊपर और 10 लाख तक का ऋण।
  • मुद्रा से वित्त पोषण सहायता चार प्रकार की होती है:
    • एमएफआई के माध्यम से 1 लाख तक के ऋण के लिये सूक्ष्म ऋण योजना (एमसीएस);
    • वाणिज्यिक बैंकों के लिये पुनर्वित्त योजना /
    • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी)/अनुसूचित सहकारी बैंक;
    • महिला उद्यम कार्यक्रम;
    • ऋण पोर्टफोलियो का प्रतिभूतिकरण।

अत: विकल्प (a) सही उत्तर है


प्रश्न: भारत में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2010)

  1. वे सरकार द्वारा जारी प्रतिभूतियों के अधिग्रहण में शामिल नहीं हो सकते हैं।
  2. वे बचत खाते की तरह मांग जमा स्वीकार नहीं कर सकते।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न 1 और ना ही 2

उत्तर: (b)

  • एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत एक कंपनी है जो सरकार या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा जारी किये गए ऋण और अग्रिम, शेयरों/स्टॉक/बांड/डिबेंचरों/प्रतिभूतियों के अधिग्रहण के कारोबार में लगी हुई है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • NBFC उधार देते हैं और निवेश करते हैं और इसलिए, उनकी गतिविधियाँ बैंकों के समान होती हैं। हालाँकि, कुछ अंतर हैं जैसे NBFC भुगतान और निपटान प्रणाली का हिस्सा नहीं है, वे मांग जमा स्वीकार नहीं कर सकते हैं, और वे स्वयं पर आहरित चेक जारी नहीं कर सकते हैं। अत: कथन 2 सही है।

अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

स्रोत: द हिन्दू

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