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भारतीय राजनीति

ई- कोर्ट

  • 19 Aug 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने फरीदाबाद में अपना पहला आभासी न्यायालय/वर्चुअल कोर्ट (Virtual Court) यानी ई-कोर्ट लॉन्च किया है।

प्रमुख बिंदु

  • यह वर्चुअल कोर्ट पूरे हरियाणा राज्य के ट्रैफिक चालान मामलों को निपटाएगा।
  • यह परियोजना भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति के मार्गदर्शन में शुरू की जाएगी।
  • आभासी अदालतों के माध्यम से अदालत में उपस्थित हुए बिना ही सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology- ICT) के उपयोग से मुकदमे को ऑनलाइन ही निपटा लिया जाएगा।

ई-कोर्ट परियोजना

  • ई-कोर्ट परियोजना की परिकल्पना ‘भारतीय न्यायपालिका में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के कार्यान्वयन के लिये राष्ट्रीय नीति एवं कार्ययोजना-2005’ के आधार पर की गई थी।
  • ई-कोर्ट मिशन मोड प्रोजेक्ट (e-Courts Mission Mode Project), एक पैन-इंडिया प्रोजेक्ट (Pan-India Project) है, जिसकी निगरानी और वित्त पोषण देश भर में ज़िला न्यायालयों के लिये न्याय विभाग, कानून एवं न्याय मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा की जाती है।

परियोजना की परिकल्पना

  • ई-कोर्ट प्रोजेक्ट लिटिगेंट चार्टर (e-Court Project Litigant's Charter) में विस्तृत रूप में कुशल और समयबद्ध नागरिक-केंद्रित सेवाएँ प्रदान करना।
  • न्यायालयों में निर्णय समर्थन प्रणाली को विकसित, स्थापित एवं कार्यान्वित करना।
  • अपने हितधारकों तक सूचना की पारदर्शी पहुँच प्रदान करने के लिये प्रक्रियाओं को स्वचालित करना।
  • गुणात्मक एवं मात्रात्मक न्यायिक परिणामों में वृद्धि के लिये न्याय प्रणाली को सस्ता, सुलभ, लागत प्रभावी, पूर्वानुमेय, विश्वसनीय तथा पारदर्शी बनाना।

ई- समिति

  • ई-समिति एक निकाय है जो तकनीकी संचार एवं प्रबंधन संबंधी परिवर्तनों के लिये सलाह देता है।
  • यह भारतीय न्यायपालिका का कम्प्यूटरीकरण कर राष्ट्रीय नीति तैयार करने में सहायता के लिये भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय से प्राप्त एक प्रस्ताव के अनुसरण में बनाया गया है।
  • ई-समिति की स्थापना वर्ष 2004 में न्यायपालिका में IT के उपयोग तथा प्रशासनिक सुधारों के लिये एक गाइड मैप प्रदान करने के लिये की गई थी।
  • ई-समिति के कामकाज से संबंधित सभी व्यय जिसमें अध्यक्ष, सदस्यों और सहायक कर्मचारियों के वेतन तथा भत्ते आदि शामिल हैं, भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वीकृत बजट से प्रदान किये जाते हैं।

स्रोत: द हिंदू

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