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नौवहन सहायता विधेयक, 2020 का मसौदा

  • 13 Jul 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

दीपस्तंभ और दीपपोत महानिदेशालय, लाइटहाउस अधिनियम, 1927

मेन्स के लिये:

नौवहन सहायता विधेयक-2020 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जहाज़रानी मंत्रालय (Ministry of Shipping) ने विभिन्न हितधारकों एवं आम जनता से सुझाव प्राप्त करने के लिये नौवहन सहायता विधेयक-2020 (The Aids to Navigation Bill, 2020) का मसौदा जारी किया है। 

प्रमुख बिंदु:  

  • नौवहन सहायता, एक प्रकार का निशान या संकेत है जो यात्री को नेवीगेशन में (आमतौर पर समुद्री या विमानन यात्रा में) सहायता करता है। इस तरह की सहायता के सामान्य प्रकारों में प्रकाशस्तंभ, प्लाव (Buoys), कोहरे के संकेत एवं दिन के दीपस्तंभ शामिल हैं।
  • नौवहन सहायता विधेयक, 2020 का यह मसौदा लगभग नौ दशक पुराने लाइटहाउस अधिनियम, 1927 (Lighthouse Act, 1927) को प्रतिस्थापित करने के लिये लाया गया है ताकि इसमें सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं, तकनीकी विकास और समुद्री नौवहन के क्षेत्र में भारत के अंतर्राष्ट्रीय दायित्त्वों को समाहित किया जा सके।
    • इस विधेयक का उद्देश्य समुद्री नौवहन की अत्याधुनिक तकनीकों को विनियमित करना है जो पहले लाइटहाउस अधिनियम, 1927 के वैधानिक प्रावधानों में उलझी हुई थी।
    • लाइटहाउस अधिनियम, 1927 नौवहन के दौरान प्रकाशस्तंभ के रख-रखाव एवं नियंत्रण के प्रावधानों से संबंधित एक अधिनियम है। इसे वर्ष 1927 में अंग्रेज़ों द्वारा अधिनियमित किया गया था।
  • दीपस्तंभ और दीपपोत महानिदेशालय (Directorate General of Lighthouses and Lightships) का शक्तिकरण:
    • यह अधिनियम अतिरिक्त अधिकार एवं कार्यों जैसे- पोत यातायात सेवा, जहाज़ के मलबे को हटाना, प्रशिक्षण एवं प्रमाणन, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के तहत अन्य दायित्त्वों का कार्यान्वयन जहाँ भारत एक हस्ताक्षरकर्त्ता देश है, के साथ ‘दीपस्तंभ और दीपपोत महानिदेशालय’ (DGLL) को सशक्त बनाने का प्रावधान करता है।

दीपस्तंभ और दीपपोत महानिदेशाल

 (Directorate General of Lighthouses and Lightships-DGLL):

  • यह जहाज़रानी मंत्रालय के अंतर्गत अधीनस्थ कार्यालय है जो भारतीय तट से संबंधित समुद्री नेवीगेशन के लिये सामान्य सहायता प्रदान करता है।
  • इसका मुख्य लक्ष्य भारतीय जल में सुरक्षित जल यात्रा के लिये नाविकों को नौवहन सहायता प्रदान करना है।

Director-General

  • इस मसौदे में अपराधों की एक नई अनुसूची भी शामिल की गई है। जिसके तहत नौवहनीय सहायता में बाधा डालने एवं नुकसान के लिये तथा केंद्र सरकार एवं अन्य निकायों द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं करने पर दंडात्मक कार्यवाही का प्रावधान है।
  • नौवहनीय उपकर के लिये सहायता: भारत में किसी भी बंदरगाह से आने या जाने वाले प्रत्येक जहाज़ को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित दरों पर उपकर का भुगतान करना होगा।  
    • वर्तमान में केंद्र सरकार लाइटहाउस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, भारत में किसी भी बंदरगाह से आने या जाने वाले सभी विदेशी जहाज़ों से प्रकाश देयताओं (Light Dues) की वसूली करती है।
    • प्रकाश देयताएँ (Light Dues), प्रकाशस्तंभों के रखरखाव एवं नेवीगेशन हेतु अन्य सहायता के लिये जहाज़ों पर लगाए गए शुल्क हैं।

महत्त्व:

  • यह मसौदा पुराने औपनिवेशिक कानूनों को निरस्त करके तथा समुद्री उद्योग की आधुनिक एवं समकालीन ज़रूरतों के साथ प्रतिस्थापित करके जहाज़रानी मंत्रालय द्वारा अपनाए गए सक्रिय दृष्टिकोण का एक हिस्सा है।
  • अक्सर यह देखा जाता है कि वर्ष 1962 के सीमा शुल्क अधिनियम के तहत कस्टम विभाग द्वारा लाइटहाउस अधिनियम की गलत व्याख्या की गई है जिससे अधिक मात्रा में बकाया प्रकाश देयताओं का गलत तरीके से संग्रह हुआ जिससे नागरिकों पर वित्तीय एवं आर्थिक बोझ बढ़ा है।
  • आधुनिक तकनीक के कारण समुद्री नेवीगेशन को विनियमित एवं संचालित करने वाले अधिकारियों की भूमिका में तेज़ी से बदलाव आया है और साथ ही समुद्री नेवीगेशन के आवागमन में सुधार हुआ है। नए कानून में ‘लाइटहाउस’ से लेकर ‘नेवीगेशन में आधुनिक सहायता’ तक प्रमुख बदलाव शामिल किये गए हैं।
  • आम नागरिक एवं विभिन्न हितधारकों के सुझाव इस कानून के प्रावधानों को मज़बूत करेंगे। यह शासन में लोगों की भागीदारी और पारदर्शिता बढ़ाने के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

स्रोत: पीआईबी

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