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कर्क्यूमिन नैनोकणों द्वारा टी.बी. उपचार में लगने वाले समय को कम किया जा सकता है

  • 10 Jul 2017
  • 4 min read

संदर्भ
कर्क्यूमिन, हल्दी का एक मूल घटक है। हाल ही में शोधकर्त्ताओं ने जब इसे नैनोकणों के रूप में तैयार किया तो पाया कि इसमें तपेदिक का उपचार करने के अनेक अनुकूल गुण विद्यमान हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि टी.बी. की दवाओं से उपचार करने में दवा-संवेदनशील टी.बी.(drug-sensitive TB) के मामले में लगभग 6-9 महीने और दवा-प्रतिरोधी टी.बी. (drug-resistant TB)  के मामले में 12-24 महीने का समय लगता है। दूसरी तरफ अनुचित उपयोग तथा इलाज को पूरा करने की लंबी अवधि के कारण टी.बी. जीवाणुओं में प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है।
  • इसकी खोज जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के आण्विक औषधि केंद्र के प्रोफेसर गोबर्धन दास ने की है। 
  • अध्ययन में पाया कि टी.बी. के इलाज के दौरान दी जाने वाली दवाओं के कारण लीवर में होने वाली विषाक्तता को कम किया जा सकता है।
  • इसके साथ-साथ यह भी पाया गया की टी.बी. के आइसोनियाज़िड (TB with isoniazid) इलाज के साथ-साथ 200 नैनोमीटर के नैनोकणों के साथ उपचार करने पर टी.बी. के पुन: सक्रिय होने और पुन: संक्रमण के खतरे को नाटकीय रूप से कम किया जा सकता है।
  • अक्सर, रोगी लीवर कि विषाक्तता के कारण कुछ दिनों के लिये टी.बी. दवाओं के उपयोग को बंद कर देता है।
  • चूँकि कर्क्यूमिन के उपयोग से लीवर की विषाक्तता कम होती है, इसलिये टी.बी. का बेहतर इलाज संभव हो सकता है और दवा प्रतिरोधिता के उभरते खतरों को भी कम किया जा सकता है।
  • चूहों पर किये गए परीक्षण में पाया गया कि टी.बी. बैक्टीरिया के पूर्ण उन्मूलन के उपचार में जितना समय लगता है, उससे लगभग 50% कम समय कर्क्यूमिन के उपचार में लगा।

लाभ

  • कर्क्यूमिन एक होस्ट-निर्देशित थेरैपी (host-directed therapy) है, जहाँ बीमारी के कारण को सीधे लक्षित करने के बजाय शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग किया जाता है। सूजन या ज्वलन को कम करने के अलावा कर्क्यूमिन नैनोकण प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करने में भी मदद करते हैं। 
  • कर्क्यूमिन के.वी. 1.3 (Kv1.3) पोटेशियम चैनल को अवरुद्ध करता है और एपोप्टोसिस या टी-कोशिकाओं की कोशिका मृत्यु को रोकता है। परिणामस्वरूप, सुरक्षात्मक, लंबे समय तक रहने वाली स्मृति कोशिकाएँ, जिन्हें केंद्रीय स्मृति टी-कोशिका भी कहा जाता है, की वृद्धि में सहायता प्रदान करती है।
  • इससे टी.बी. बैक्टीरिया का तेज़ी से सफाया हो जाता है, परिणामस्वरूप बैक्टीरिया के खिलाफ मज़बूत प्रतिरक्षा तंत्र का निर्माण हो जाता है और उपचार के बाद रोग के दोबारा होने की संभावना काफी कम हो जाती है।
  • कर्क्यूमिन नैनोकण स्थिर होते हैं और इन्हें मुख या इंट्रापेरिटोनिअली (intraperitoneally) दोनों प्रकार से  संचालित किया जा सकता है। अत: इसके विभिन्न परिस्थितियों में चिकित्सीय उपयोग करने की अधिक संभावना विद्यमान है।
  • कर्क्यूमिन के द्वारा जीवाणुओं के पूर्ण उन्मूलन के लिये लगने वाले उपचार के समय को काफी कम किया जा सकता है।
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