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भारतीय राजनीति

न्यायालय की कार्यवाही का लाइव प्रसारण

  • 29 Oct 2020
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये: 

 ई-कोर्ट, उच्चतम न्यायालय की ‘ई-समिति’

मेन्स के लिये: 

ई-कोर्ट की संभावनाएँ और चुनौतियाँ 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India- CJI) शरद ए. बोबडे ने न्यायालयों की कार्यवाही के लाइव प्रसारण का दुरुपयोग किये जाने के संदर्भ में अपनी चिंता व्यक्त की है।

प्रमुख बिंदु:  

  • भारत के महान्यायवादी (Attorney general) के.के. वेणुगोपाल ने न्यायालयों की कार्यवाही तक सभी की पहुँच को आसान बनाने के लिये इसे लाइव प्रसारित किये जाने पर बल दिया था।
  • गौरतलब है कि हाल ही में गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा प्रयोगात्मक आधार पर अपनी अदालती सुनवाई का लाइव प्रसारण यूट्यूब पर  किया गया था।
    • गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा इस प्रयोग के परिणाम के आधार पर लाइव प्रसारण को जारी रखने या इसके तौर-तरीकों के निर्धारण पर निर्णय लिया जाएगा।
  • मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे बहुत से मुद्दे हैं जिन पर सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं की जानी चाहिये साथ ही न्यायालय की कार्यवाही के लाइव प्रसारण से इसके दुरुपयोग का भय भी बना रहेगा।  

पृष्ठभूमि:   

  • गौरतलब है कि वर्ष 2018 में स्वप्निल तिवारी बनाम भारतीय उच्चतम न्यायालय मामले की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने सर्वसम्मति से माना था कि नागरिकों द्वारा न्यायालय की कार्यवाही का लाइव प्रसारण देखने की सुविधा संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत प्राप्त न्याय तक पहुँच के अधिकार का हिस्सा है। 
  • COVID-19 महामारी के कारण देश में लागू हुए लॉकडाउन के बाद देश के विभिन्न न्यायालयों में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मामलों की सुनवाई की जा रही है।
  • इन सुनवाइयों के दौरान अधिवक्ताओं, पीड़ित और आरोपी पक्ष, गवाह आदि को शामिल होने की सुविधा प्रदान की गई है।
  • 6 अप्रैल, 2020 को एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने न्यायालयों की कार्यवाही के लाइव प्रसारण और वेब आधारित सुनवाई के लिये 7 दिशा निर्देश जारी किये थे।
  • उच्चतम न्यायालय की ‘ई-समिति’ द्वारा निर्धारित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियमों के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चल रही अदालती कार्यवाही को जनता को देखने की अनुमति देने की बात कही गई है।
  • इससे पहले वर्ष 2019 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने फरीदाबाद में अपना पहला आभासी न्यायालय/वर्चुअल कोर्ट (Virtual Court) या ई-कोर्ट लॉन्च किया था।

लाभ:

  • न्यायालयों की कार्यवाही के लाइव प्रसारण से न्यायालय तक लोगों की पहुँच को आसान बनाया जा सकेगा।
  • इसके माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और इसके प्रति लोगों का विश्वास भी मज़बूत होगा। 
  • लाइव प्रसारण के माध्यम से लोग विश्व में किसी भी स्थान पर रहते हुए अपने मामले की निगरानी कर सकेंगे जिससे धन और समय की बचत होगी।
  • न्यायालय की कार्यवाही के प्रसारण से इसकी कार्यप्रणाली और कानून के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ेगी तथा किसी विवाद के मामले में न्यायालय जाने के संदर्भ में उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।

चुनौतियाँ:

  • न्यायालय की कार्यवाही का लाइव प्रसारण राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंताओं के साथ कुछ मामलों (जैसे-वैवाहिक विवाद और यौन उत्पीड़न के मामले) में लोगों की निजता के अधिकार को भी प्रभावित कर सकता है।
  • इसके साथ ही न्यायालय की कार्यवाही का अनधिकृत पुनर्प्रसारण, इसका व्यावसायीकरण या इसके दुरूपयोग से जुड़े अन्य मुद्दे भी चिंता का विषय हैं।

आगे की राह:

  • न्यायालय की कार्यवाही का लाइव प्रसारण भारतीय न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • न्यायालय की कार्यवाही का लाइव प्रसारण बहुत ही संवेदनशील विषय है ऐसे में इसमें सभी प्रकार की सावधानियों को ध्यान में रखना बहुत ही आवश्यक है, उदाहरण के लिये- गुजरात उच्च न्यायालय में किसी अप्रिय या असुविधाजनक सामग्री को लाइव जाने से रोकने के लिये न्यायालय की कार्यवाही और इसके प्रसारण में 20 सेकेंड का विलंब सुनिश्चित किया जाता है।  

स्रोत: द हिंदू

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