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भ्रष्टाचार बोध सूचकांक-2019

  • 24 Jan 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भ्रष्टाचार बोध सूचकांक-2019

मेन्स के लिये:

भ्रष्टाचार बोध सूचकांक में भारत की स्थिति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (Transparency International) भ्रष्टाचार बोध सूचकांक-2019 (Corruption Perception Index-2019) जारी किया है।

मुख्य बिंदु:

इस सूचकांक के अनुसार, भ्रष्टाचार के मामले में भारत की स्थिति में वर्ष 2018 की तुलना में दो स्थान की गिरावट आई है।

सूचकांक में भारत की स्थिति:

  • ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी इस सूचकांक के अनुसार, भारत भ्रष्टाचार के मामले में 180 देशों की सूची में 80वें स्थान पर है, जबकि वर्ष 2018 में भारत इस सूचकांक में 78वें स्‍थान पर था।
  • वर्ष 2019 में भारत को इस सूचकांक के अंतर्गत 41 अंक प्राप्त हुए हैं, वर्ष 2018 में भी भारत को 41अंक प्राप्त हुए थे।

वैश्विक परिदृश्य:

Status-check

  • डेनमार्क 87 अंकों के साथ इस सूचकांक में पहले स्थान पर है, जबकि सोमालिया 9 अंकों के साथ दुनिया का सबसे भ्रष्ट देश है।
  • इस वर्ष के CPI में दो-तिहाई से अधिक देशों का स्कोर 50 से कम है।
  • भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे लोकतंत्रों में अनुचित और अपारदर्शी राजनीतिक वित्तपोषण (Unfair and Opaque Political Financing), निर्णय लेने में अनुचित प्रभाव (Undue Influence in Decision-Making) और शक्तिशाली कॉर्पोरेट हित समूहों की पैरवी करने के परिणामस्वरूप भ्रष्टाचार के नियंत्रण में गिरावट आई है।
  • वर्ष 2012 से 22 देशों ने अपने CPI स्कोर में काफी सुधार किया है, जिनमें एस्टोनिया (Estonia), ग्रीस (Greece) और गुयाना (Guyana) शामिल हैं।
  • इस सूचकांक में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और निकारागुआ सहित 21 देशों की स्थिति में गिरावट आई है।

G-7 की स्थिति:

  • चार G-7 देशों (कनाडा, फ्राँस, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका) के स्कोर में पिछले वर्ष की तुलना में कमी आई है।
  • जर्मनी और जापान की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है तथा इटली को एक स्थान का लाभ मिला है।

एशिया-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति:

  • इस सूचकांक के अनुसार, एशिया प्रशांत क्षेत्र का औसत स्कोर 45 है जो कि पिछले कई वर्षों से 44 पर स्थिर था। जिससे इस क्षेत्र में सामान्य रूप से ठहराव की स्थिति दिखाई देती है।

भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति:

  • चीन सहित 5 देश 41 अंकों के साथ 80वें स्थान पर।
  • श्रीलंका 38 अंकों के साथ 93वें स्‍थान पर
  • पाकिस्‍तान 32 अंकों के साथ 120वें स्‍थान पर
  • नेपाल 34 अंकों के साथ 113वें स्‍थान पर
  • भूटान 68 अंकों के साथ 25वें स्थान पर
  • म्‍याँमार 29 अंकों के साथ 130वें स्‍थान पर
  • बांग्लादेश 26 अंकों के साथ 146वें स्‍थान पर
  • अफगानिस्‍तान 16 अंकों के साथ 173वें स्‍थान पर

भ्रष्टाचार को रोकने के लिये ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा दिये गए सुझाव:

  • नियंत्रण और संतुलन को सुदृढ़ करना तथा शक्तियों के पृथक्करण को बढ़ावा देना।
  • बजट और सार्वजनिक सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिये अधिमान्य व्यवहार (Preferential Treatment) से निपटना जो कि व्यक्तिगत संपर्क द्वारा संचालित या विशेष हितों के लिये पक्षपाती नहीं होना चाहिये।
  • राजनीति में अत्यधिक धन और उसके प्रभाव को रोकने के लिये राजनीतिक वित्तपोषण पर नियंत्रण करना।
  • सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच ‘रिवोल्विंग डोर्स’ (Revolving Doors) जैसी पद्धतियों पर ध्यान रखना।
  • निर्णय लेने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाकर और सभी की सार्थक पहुँच को बढ़ावा देकर लॉबिंग गतिविधियों को विनियमित करना।
  • चुनावी अखंडता को मजबूत करना और गलत सूचना अभियानों को मंज़ूरी देने से रोकना।
  • नागरिकों को सशक्त करना और कार्यकर्त्ताओं (Activists), व्हिसलब्लोअर्स (Whistleblowers) एवं पत्रकारों को संरक्षण प्रदान करना।

सूचकांक के बारे में:

  • वर्ष 1995 में स्थापना के बाद से करप्शन परसेप्शन इंडेक्स, सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार का प्रमुख वैश्विक संकेतक बन गया है। यह सूचकांक दुनिया भर के देशों और क्षेत्रों की रैंकिंग के आधार पर भ्रष्टाचार के सापेक्ष एक वार्षिक रिपोर्ट प्रदान करता है।
  • वर्तमान में इसके तहत 180 देशों की रैंकिंग की जाती है। रैंकिंग के लिये इस सूचकांक में 0 से 100 के पैमाने का उपयोग किया जाता है, जहाँ शून्य अत्यधिक भ्रष्ट स्थिति को दर्शाता है वहीं 100 भ्रष्टाचारमुक्त स्थिति को दर्शाता है।
  • इस सूचकांक के तहत 13 अलग-अलग डेटा स्रोतों का उपयोग करके आकलन किया जाता है।

स्रोत: द हिंदू

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