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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

खाद्य सुरक्षा पर भारत और ब्रिटेन के बीच सहयोग

  • 22 Jan 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विभिन्न क्षेत्रों में भारत-ब्रिटेन साझेदारी।

मेन्स के लिये:

भारत-ब्रिटेन संबंध और चुनौतियों का महत्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने "पर्यावरणीय तनाव के तहत सतत् खाद्य उत्पादन" पर संयुक्त भारत-ब्रिटेन बैठक को संबोधित किया और खाद्य सुरक्षा एवं शून्य भूख के लक्ष्यों को प्राप्त करने जैसे पारस्परिक चिंता के मुद्दों पर दोनों देशों के बीच सहयोग का आह्वान किया।

Food-Security

प्रमुख बिंदु

  • विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक सहयोग का आह्वान:
    • भारत और ब्रिटेन को कृषि, चिकित्सा, खाद्य, फार्मा, इंजीनियरिंग या रक्षा और विज्ञान के विभिन्न आयामों में वैश्विक सहयोग को आमंत्रित करना चाहिये।
    • भारत-ब्रिटेन संयुक्त सहयोग में छात्र आदान-प्रदान, बुनियादी अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास, उत्पाद विकास के साथ-साथ उत्पाद/प्रक्रिया प्रदर्शन और संयुक्त सहयोग में उनके कार्यान्वयन जैसे कार्यक्रम शामिल हो सकते हैं।
  • संकुचित कृषि योग्य भूमि का मुद्दा:
    • सतत् खाद्य उत्पादन के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करते हुए दक्षिण एशियाई क्षेत्र वैश्विक जलवायु परिवर्तन की समस्या के अलावा कृषि योग्य भूमि के संकुचन का सामना कर रहा है, जिसे संबोधित करने की आवश्यकता है।
      • दक्षिण एशिया में कृषि योग्य भूमि वर्ष 2018 में 43.18% बताई गई थी जो वर्ष 1970 के दशक की शुरुआत से स्थिर रही है और हाल ही में घट रही है।
    • उपज और भूमि का अधिक गहन उपयोग फसल उत्पादन में वृद्धि के लिये ज़िम्मेदार होगा और कृषि योग्य भूमि क्षेत्र में नुकसान की भरपाई भी करेगा।
  • पोषाहार व खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में सुधार:
    • राष्ट्रीय कृषि-खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (National Agri-Food Biotechnology Institute) दुनिया भर में हो रहे जलवायु परिवर्तन के तहत राष्ट्रों की पोषण सुरक्षा को संबोधित करने की आवश्यकता को गति प्रदान कर सकता है।
      • NABI एक प्रमुख संस्थान है जो कृषि-खाद्य और पोषण जैव प्रौद्योगिकी के लिये कार्य करता है।
  • चुनौतियों का समाधान करने के लिये संयुक्त अनुदान:
    • खाद्य उत्पादन और वितरण के वैश्विक पैटर्न को जलवायु परिवर्तन की प्रगति के रूप में महत्त्वपूर्ण रूप से स्थानांतरित करने की आवश्यकता हो सकती है।
    • एक सुसंगत और हितधारक-प्रासंगिक अनुसंधान एवं विकास (Research and Development) कार्यक्रम विकसित करने के लिये संयुक्त वित्तपोषण की आवश्यकता है जो इस चुनौती का समाधान करेगा।

भारत-ब्रिटेन साझेदारी:

  • भारत-ब्रिटेन साझेदारी के बारे में:
    • साझा इतिहास और समृद्ध संस्कृति पर बनी साझेदारी के साथ भारत और यूके जीवंत लोकतंत्र हैं।
    • यूके में विविध भारतीय डायस्पोरा, जो "लिविंग ब्रिज" के रूप में कार्य करता है, दोनों देशों के बीच संबंधों को गतिशीलता प्रदान करते हैं।
    • G20 देशों में यूके भारत के सबसे बड़े निवेशकों में से एक है।
    • हाल ही में दोनों देशों ने एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत करने की घोषणा की है जिसमें प्रारंभिक लाभ देने के लिये एक अंतरिम व्यापार समझौते पर विचार करना शामिल है।
    • भारत-प्रशांत क्षेत्र की ओर ब्रिटेन के झुकाव के हिस्से के रूप में  यूके कैरियर स्ट्राइक ग्रुप सिंगापुर, कोरिया गणराज्य, जापान और भारत के साथ सहभागिता कर रहा है।
  • रोडमैप 2030:
    • द्विपक्षीय संबंधों को "व्यापक रणनीतिक साझेदारी" तक बढ़ाने के लिये दोनों देशों ने वर्ष 2021 में रोडमैप 2030 को अपनाया है।
    • यह स्वास्थ्य, जलवायु, व्यापार, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा रक्षा क्षेत्र में ब्रिटेन-भारत संबंधों के लिये एक रूपरेखा प्रदान करता है।
  • सुरक्षा और रक्षा:
    • समुद्री क्षेत्र में जागरूकता पर सहयोग:
      • इसमें गुरुग्राम स्थित भारत के सूचना संलयन केंद्र में शामिल होने हेतु ब्रिटेन को निमंत्रण और एक महत्त्वाकांक्षी अभ्यास कार्यक्रम शामिल है।
    • लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट मार्क 2:
      • ब्रिटेन, भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट मार्क 2 (Light Combat Aircraft Mark-2) के विकास में सहायता करेगा।
    • अभ्यास:
  • जलवायु परिवर्तन:
    • भारत और ब्रिटेन ने संयुक्त रूप से ग्लासगो में COP26 वर्ल्ड लीडर्स समिट में एक नई प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय पहल शुरू की, जो 80 से अधिक देशों द्वारा समर्थित है, जिसका उद्देश्य एक स्वच्छ विश्व की ओर वैश्विक ट्रांज़ीशन को गति प्रदान करना है।
    • 'ग्रीन ग्रिड इनिशिएटिव - वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड' (GGI-OSOWOG) नामक इस नई पहल का उद्देश्य महाद्वीपों, देशों और समुदायों में परस्पर बिजली ग्रिड के विकास एवं तैनाती में तेज़ी लाना तथा गरीबों के लिये ऊर्जा तक पहुँच में सुधार करना है। 

स्रोत: पी.आई.बी.

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