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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पाकिस्तान को दरकिनार कर भारत-अफगानिस्तान हवाई माल-ढुलाई गलियारे की शुरुआत

  • 23 Jun 2017
  • 7 min read

संदर्भ
कुछ दिन पूर्व भारत-अफगानिस्तान हवाई माल-ढुलाई गलियारे (Air Cargo Corridor) की शुरुआत हुई| इस सेवा के तहत भारतीय उत्पादों को अफगानिस्तान पहुँचाया जाएगा और वहाँ के उत्पादों को भारत लाया जाएगा। सड़क के रास्ते अफगानिस्तान तक माल पहुँचाना काफी मुश्किल है और पाकिस्तान इसमें बाधा बनता रहा है। वैसे यह हवाई गलियारा भी पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से होकर गुजरता है|  

प्रमुख बिंदु

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के बीच सितंबर 2016 में हुई बैठक के दौरान इस समर्पित हवाई गलियारे की योजना बनाई गई थी।
  • अफगानिस्तान के एरियाना कार्गो विमान को राष्ट्रपति डॉ. अशरफ गनी ने हरी झंडी दिखाई।
  • अफगानिस्तान से बढ़िया किस्म की ‘हींग’ सहित 60 टन अन्य सामान लेकर आए विमान की अगवानी नई दिल्ली में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने की|
  • एक अन्य विमान अफगानिस्तान के कंधार प्रांत से 40 टन सूखे मेवे लेकर शीघ्र आने वाला है। 
  • इस हवाई माल-ढुलाई गलियारे के माध्यम से अफगान व्यापारियों की पहुँच भारत के बाजारों तक हो जाएगी और वे भारत के आर्थिक विकास और व्यापार नेटवर्क का लाभ उठा सकेंगे।
  • इस हवाई माल-ढुलाई गलियारे का उद्देश्य दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय और वैश्विक बाज़ारों तक अफगानिस्तान की पहुँच के लिये समुद्र, भूमि और वायु मार्ग प्रदान करना है।
  • चूँकि यह उड़ान नागरिक कार्गो विमान से पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र का उपयोग करेगी, इसलिये  मानक ऑपरेटिंग प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा|

फिलहाल, भारत से अफगानिस्तान को निर्यात होने वाली वस्तुओं में  परिधान और वस्त्र, दवा उत्पाद, अनाज, मानव निर्मित स्टेपल फाइबर, तम्बाकू उत्पाद, डेयरी और मुर्गी उत्पाद, कॉफी, चाय, मांस और मसाले प्रमुख हैं। इसी प्रकार अफगानिस्तान से भारत को आयात होने वाली वस्तुओं में ताजा फल, सूखे फल, मेवे, किशमिश, सब्जियाँ, मूल्यवान व अपेक्षाकृत कम मूल्यवान रत्न आदि प्रमुख हैं।

पाकिस्तानी बाधा दूर हुई
चारों तरफ से पहाड़ों से घिरे अफगानिस्तान को अपने आयात-निर्यात के लिये पड़ोसी देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। चूँकि उसके संबंध पाकिस्तान के साथ ठीक नहीं हैं, ऐसे में अफगानिस्तान के भारत के साथ कारोबार में पाकिस्तान बाधा खड़ी करता है। 2010 को पाकिस्तान ने अपनी सीमा से होकर अफगानिस्तानी उत्पाद को भारतीय सीमा तक ले जाने की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि वे वापसी में भारतीय उत्पाद लेकर नहीं आएंगे। ऐसे में इस हवाई गलियारे से पाकिस्तान की इस मनमानी पर रोक लगेगी और दोनों देशों के कारोबार में वृद्धि होगी। 

इसी विषय पर अफगानिस्तान टाइम्स में 19 जून को प्रकाशित सम्पादकीय Afghan-India air corridor का हिंदी अनुवाद यह बताने के लिये पर्याप्त है कि भारत के साथ मित्रता को अफगानिस्तान कितना महत्त्व देता है:

काबुल और नई दिल्ली के बीच पहले हवाई गलियारे की आधिकारिक शुरुआत होने से अफगान कारोबारियों की भारतीय बाज़ार तक पहुँच अब आसान हो गई है। विगत कुछ वर्षों से अफगानिस्तान-भारत संबंध काफी मधुर रहे हैं। हमारे पड़ोसी देशों द्वारा हम पर जंग थोपे जाने के बीच यह भारत ही है, जिसने हमारे हाथ को मज़बूती से थामे रखा। उसकी मदद से यहाँ कई परियोजनाएँ पूरी हुई हैं। संसद की नई इमारत का निर्माण हो, या हेरात प्रांत में सल्मा बांध बनाने का काम, अफगानिस्तान सरकार और यहाँ के अवाम को दी गई भारतीय मदद के ये चंद उदाहरण हैं। आज जब हमारे कुछ पड़ोसी  दहशत फैला रहे हैं और अफगानिस्तान को अस्थिर करने में जुटे हैं, तब भारत एक शांतिप्रिय देश बनने में हमारी सहायता कर रहा है। हमारे हजारों  बच्चे भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं और भारत सरकार से वजीफा भी पा रहे हैं। यह बताता है कि भारत वास्तव में एक ऐसा अफगानिस्तान देखना चाहता है, जहाँ के पढ़े-लिखे लोग अपने देश का सुनहरा  भविष्य बनाएँ। यह हवाई-गलियारा भी भारत का एक शानदार तोहफा है, जो दोनों देशों के कारोबारियों के हित में है। अब हमारे कारोबारी कम खर्च पर अपने सामान भारत भेज सकते हैं, वहीं भारत से अपनी ज़रूरत की चीज़ें हम आसानी से मंगा सकते हैं, जैसे-भारतीय दवाइयाँ। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने इस हवाई गलियारे के उद्घाटन समारोह में कहा भी कि ‘अफगानिस्तान के सामने चुनौतियाँ खड़ी करने वालों को यह एहसास होना चाहिये कि हम चुनौतियों को अवसर में बदल सकते हैं।’ निश्चय ही, अब हम ज़्यादा आयात और निर्यात करके भारत से अपने संबंध और मज़बूत बनाएंगे। अफगानिस्तान और भारत की यह दोस्ती उन देशों को आईना दिखाती है, जो आतंकियों को शरण और हथियार देकर अपने हित साधना चाहते हैं। ऐसे देशों को यह समझ लेना चाहिये कि उनका रास्ता गलत है और दूसरों को अस्थिर करके तरक्की नहीं की जा सकती। तरक्की के लिये तो आपसी सहयोग और एक-दूसरे का सम्मान करना ज़रूरी है।

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