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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भूटान में पर्यटन : ‘एक समस्या’

  • 18 Jun 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भूटान की पर्यटन परिषद् ने अगले तीन महीने (वर्ष के पीक समय के लिये सभी पर्यटकों का मंदिरों में प्रवेश बंद कर दिया है। साथ ही पर्यटकों की संख्या को विनियमित करने के लिये एक शुल्क भी लगाया जाएगा।

  • दशकों तक, भूटान की सरकार ने "उच्च मूल्य, कम मात्रा/प्रभाव" पर्यटन को बढ़ावा दिया है। किंतु अब पर्यटन की तीव्रता भूटान के लिये समस्या पैदा कर रही है।

Tibet China

मुख्य बिंदु

  • भूटान में वर्ष 2017 में 2,70000 पर्यटकों का आगमन हुआ था। जिसमें से दो लाख पर्यटक सिर्फ भारत, बांग्लादेश और मालदीव से थे। भूटान पर्यटकों से प्रति दिन के हिसाब से 250 डॉलर का अनिवार्य कवर चार्ज (Cover-charge) लेता है। लेकिन इन देशों को इससे छूट प्राप्त है साथ ही भूटान के सीमावर्ती कस्बे फिहिंत्शोलिंग (Phuentsholing) से प्रवेश पर इन देशों के लोगों को वीजा की आवश्यकता नहीं होती है। इस कारण से इन देशों के पर्यटकों की संख्या सर्वाधिक है।
  • भारत, बांग्लादेश और मालदीव के पर्यटकों के आगमन पर 500 ङुल्ट्रम (Ngultrums) जो भारत के 500 रुपए के बराबर है, भूटान को ‘सतत् विकास शुल्क’ के तहत भुगतान करना होगा।
  • भूटान के सभी मंदिरों और मठों में जो बौद्ध धर्म से संबंधित हैं, में भी 300 ङुल्ट्रम (ngultrums) (300 रुपए) का शुल्क लगया जाएगा जिससे मंदिरों में बढ़ रही भीड़ को कम किया जा सके।
  • भूटान की पर्यटन परिषद (Tourism Council of Bhutan- TCB) का मानना है की यह उपाय उस प्रक्रिया का हिस्सा है जिसके द्वारा अनियंत्रित पर्यटन को विनियमित किया जा सके तथा भूटान जिसे कभी ‘लास्ट शांगरी-ला’ (Last Shangri-La) कहा जाता था के रूप में संरक्षित किया जा सके।
  • अधिक से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने की मांग करने वाले कई अन्य देशों के विपरीत भूटान की पर्यटन परिषद् (TCB) ने अपने लक्ष्य को 2023 में पाँच लाख पर्यटकों से कम करके चार लाख कर दिया है।

उच्च मूल्य, कम मात्रा/ प्रभाव पर्यटन

(High value, low volume/Impact tourism)

  • यह भूटान की पर्यटन नीति को प्रदर्शित करती है वर्ष 1973 में भूटान ने ‘उच्च मूल्य, कम मात्रा’ की नीति को अपनाया जिसे वर्ष 2008 में बदल कर ‘उच्च मूल्य, कम प्रभाव नीति’ कर दिया गया इन नीतियों के मूल में एक ऐसा पर्यटन बाज़ार विकसित करना था जिसमें भूटान की अर्थव्यवस्था एवं समाज सकारात्मक रूप से प्रभावित हो किंतु पर्यटकों की संख्या एवं सांस्कृतिक प्रभाव सीमित रहे।

‘लास्ट शांगरी-ला’ (Last Shangri-La)

  • इसका तात्पर्य ऐसे एक मात्र सुंदर स्थान से है जहाँ का पर्यावरण एवं अन्य सभी चीजें सुखद हैं तथा ऐसा स्थान प्रायः दूर स्थित होता है। इस रूप में भूटान की पहचान ‘लास्ट शांगरी-ला’ के रूप में की जाती है।

भूटान की चिंता

  • भारतीय आगंतुकों की अधिक संख्या तथा भूटान में पर्यटन की सीमित अवसंरचना पर्यटकों के लिये कठिनाई पैदा कर सकती है जो भारत भूटान संबंधो की दृष्टि से अच्छा नही है।
  • अधिक पर्यटकों का आगमन आर्थिक दृष्टि से तो महत्त्वपूर्ण है लेकिन यह पर्यटकों और भूटान के लोगों के मध्य संघर्ष एवं तनाव को जन्म दे सकता है।
  • पर्यटन में अत्यधिक वृद्धि के कारण होटल उद्योग में भी वृद्धि दर्ज की गई है जो आवासों और पानी की कमी जैसी समस्या को जन्म दे सकता है।
  • पर्यटकों का दृष्टिकोण एवं व्यव्हार स्थानीय संस्कृति को प्रभावित करता है। भूटान अपनी संस्कृति के संरक्षण और संवर्द्धन को अधिक महत्त्व देता है जिसके चलते यह देश अत्यधिक पर्यटकों के आगमन को सही नही मानता है।
  • यहाँ आने वाले विदेशी पर्यटकों में यूरोपीय, जापानी तथा अमेरिकी (भारतीय भी) पर्यटक शामिल हैं। इन पर्यटकों का महत्त्व इसलिये है क्योंकि कि इनकी कम संख्या अधिक आर्थिक प्रभाव उत्पन्न करती है। जैसे- होटल उद्योग बैंकिंग ऋण पर आधारित है यदि पर्यटन को सीमित किया जाता है तो होटलों को ऋण चुकाने में परेशानी आ सकती है परिणामतः भूटान की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।

स्रोत: द हिंदू

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