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जैव विविधता और पर्यावरण

एंटीमाइक्रोबियल बैक्टीरिया

  • 27 Aug 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

जवाहरलाल नेहरू ट्रॉपिकल बोटेनिक गार्डन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (Jawaharlal Nehru Tropical Botanic Garden and Research Institute- JNTBGRI) के वैज्ञानिकों ने नेय्यार वन्यजीव अभयारण्य में प्राप्त एक एंटीमाइक्रोबियल बैक्टीरिया की जीनोम अनुक्रमणिका (Genome Sequencing) तैयार की है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह बैक्टीरिया कवकरोधी और कीटनाशक यौगिकों (Insecticidal Compounds) के उत्पादन में सक्षम है, जो कृषि में जैव-रासायनिक अनुप्रयोगों के लिये उत्पादों की क्षमता विकसित करता है।
  • नेय्यार वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र की मिट्टी से एक्टिनोमाइसेट्स- Actinomycetes (एक प्रकार के बालों वाले बैक्टीरिया) बैक्टीरिया की कुछ विशेषताओं को अलग कर दिया गया, अलग किये गये बैक्टीरिया में से एक की पहचान स्ट्रेप्टोस्पोरंगियम नोंडायस्टेटिकम (Streptosporangium Nondiastaticum) के रूप में की गई जिसमे रोगाणुरोधी गुण पाए गये हैं।
  • एंटीमाइक्रोबियल बैक्टीरिया के विश्लेषण के बाद इसके जीन में चिटिनास (Chitinase) नामक एक एंज़ाइम मिला जो फफूंदरोधी और कीटरोधी है।
  • वैश्विक स्तर पर फाइटोपैथोजन (Phytopathogens) कवक फसल को खेतों और फसल उत्पादन के पश्चात् भंडारण दोनों, ही स्थितियों में हानि पहुँचा रहे हैं।
  • फाइटोपैथोजन कवकों और कीटों को नियंत्रित करने के लिये रासायनिक कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है, साथ ही कवक व कीट कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर लेते हैं।
  • स्ट्रेप्टोस्पोरंगियम नोंडायस्टेटिकम (Streptosporangium Nondiastaticum) से कवकरोधी क्रीम और लोशन विकसित करने हेतु अनुसंधान चल रहा है। इसके साथ ही संस्थान ने सुगंधित पाइपर और जंगली इलायची के जीनोम अनुक्रमण के लिये एक परियोजना शुरू की है।
  • इस संस्थान के वैज्ञानिकों ने बाढ़ प्रभावित मणिमाला नदी तट से मिट्टी के नमूनों का अनुक्रमण कर बताया है कि केरल में बाढ़ के बाद पादप रोगजनक कवकों की संख्या बढ़ गई है।

नेय्यार वन्यजीव अभयारण्य

(Neyyar wildlife sanctuary):

  • नेय्यार वन्यजीव अभयारण्य केरल राज्य के तिरुवंतपुरम जिले में दक्षिण-पूर्वी पश्चिमी घाट में स्थित है।
  • यह अभयारण्य नेय्यार और उसकी सहायक नदियों मुलयार और कल्लर के बेसिन क्षेत्र में स्थित है।
  • यह अभयारण्य अगस्त्यमलाई पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है।
  • इस अभयारण्य में बाघ, तेंदुआ, स्लाथ भालू, हाथी, सांभर, भौंकने वाले हिरण, बोनट मकाक (Bonnet Macaque), नीलगिरि लंगूर और नीलगिरि तहर सहित स्तनधारियों की 39 प्रजातियांँ मिलती हैं। इस अभयारण्य में स्तनधारियों के अतिरिक्त पक्षियों की 176, सरीसृप की 30, उभयचर की 17 और मछलियों की 40 प्रजातियाँ पायी जाती हैं।
  • इस अभयारण्य में मगरमच्छ फार्म भी स्थित है।

स्रोत: द हिंदू

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