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जैव विविधता और पर्यावरण

समुद्री जीवन के लिये जलवायु जोखिम सूचकांक

  • 07 Oct 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र, वैश्विक तापन, पेरिस समझौता

मेन्स के लिये:

समुद्री जीवन के लिये जलवायु जोखिम सूचकांक

चर्चा में क्यों?

हाल ही में समुद्री जीवन के लिये जलवायु जोखिम सूचकांक शीर्षक से एक नया अध्ययन प्रकाशित किया गया था, जो लगभग 25,000 समुद्री प्रजातियों और उनके पारिस्थितिक तंत्र के लिये जलवायु जोखिम को रेखांकित करता है।

  • यह नया सूचकांक समुद्री जीवन के प्रबंधन और संरक्षण के लिये जलवायु-स्मार्ट दृष्टिकोण का समर्थन करने का आधार तैयार करता है।

निष्कर्ष क्या हैं?

  • समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों को बदलना:
    • महासागर की सतह का अधिक गर्म होना और जलवायु दशाओं के कारण प्रजातियों को गहरे, अधिक उत्तरी और ठंडे स्थानों पर जाना पड़ रहा है, इससे उनके व्यवहामें बदलाव देखा जा सकता है। यह समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को मौलिक और अभूतपूर्व तरीके से नया आकार दे रहा है।
  • उच्च उत्सर्जन परिदृश्य:
    • उच्च उत्सर्जन परिदृश्य में देखें तो, वैश्विक औसत महासागर तापमान वर्ष 2100 तक 3-5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा। इस परिदृश्य के तहत 25,000 प्रजातियों में से लगभग 90% उच्च या गंभीर जलवायु जोखिम में हैं। अपनी भौगोलिक सीमा के 85% में आम प्रजातियाँ खतरे में हैं।
  • उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय पारिस्थितिकी तंत्र:
    • उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय पारिस्थितिक तंत्रों में जैवविविधता हॉटस्पॉट एवं निकटवर्ती पारिस्थितिक तंत्र में जोखिम सबसे अधिक होता है, ये क्षेत्र वैश्विक मछली पकड़ने के 96% का समर्थन करते हैं।
    • शार्क और टूना जैसे शीर्ष शिकारियों को खाद्य शृंखला के नीचे की प्रजातियों की तुलना में काफी अधिक जोखिम होता है। इस तरह के शिकारियों का पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना और कार्यात्मकता पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।
  • अल्प आय वाले राष्ट्र:
    • उच्च उत्सर्जन के तहत कॉड और लॉबस्टर जैसी मछली प्रजातियों के लिये जलवायु जोखिम का खतरा कम आय वाले देशों के क्षेत्रों के भीतर लगातार अधिक होता है,, यहाँ लोग अपनी पोषण संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये मत्स्य पालन पर अधिक निर्भर रहते हैं।
    • यह जलवायु असमानता का एक और उदाहरण प्रस्तुत करता है, इसमें कम आय वाले वे देश शामिल हैं जिन्होंने जलवायु परिवर्तन में कम-से-कम योगदान किया है और अधिक आक्रामक रूप से अपने उत्सर्जन को कम कर रहे हैं, इसके बावजूद जलवायु परिवर्तन के सबसे खराब प्रभावों का सामना कर रहे हैं,, जबकि उनके पास अनुकूलन करने की सबसे कम क्षमता है।
  • कम उत्सर्जन परिदृश्य:
    • कम उत्सर्जन परिदृश्य के तहत पेरिस समझौते में दो डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग सीमा के अनुसार, समुद्र के औसत तापमान में वर्ष 2100 तक 1-2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना है।
    • इसके अंतर्गत भविष्य में लगभग सभी समुद्री जीवों (98.2%) के लिये कम जलवायु जोखिम होगा। पारिस्थितिक तंत्र संरचना, जैवविविधता, मत्स्य पालन और कम आय वाले देशों के लिये जोखिम बहुत कम या समाप्त हो जाता है।

सिफारिशें:

  • जलवायु शमन को प्राथमिकता देने वाले अधिक टिकाऊ पथ को चुनने से समुद्र के जीवन और लोगों को स्पष्ट लाभ होगा।
  • जलवायु जोखिमों को कम करने के लिये उत्सर्जन में कटौती सबसे प्रत्यक्ष दृष्टिकोण है।
  • उत्सर्जन को कम करने के अलावा हमारे महासागरों की रक्षा के लिये एक वार्मिंग जलवायु के अनुकूल होने के तरीके खोजना अनिवार्य है।
  • नए तरीकों और अनुकूलन रणनीतियों को शामिल करने, दुनिया के कम संसाधन वाले हिस्सों में क्षमता विकसित करने तथा अनुकूलन उपायों के पेशेवरों विरोधियों के बीच संतुलन की आवश्यकता है।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. समुद्री पारिस्थितिकी पर ‘मृतक्षेत्रों' (डैड ज़ोन्स) के विस्तार के क्या-क्या परिणाम होते है? (मेन्स-2018)

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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