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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

राजनीतिक दलों की 69 प्रतिशत आय का स्रोत ‘अज्ञात’

  • 25 Jan 2017
  • 6 min read

सन्दर्भ

राजनीतिक दलों की आधी से ज़्यादा आय अज्ञात स्रोतों से होती है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रैटिक रिफॉर्म्स (ADR) के मुताबिक पिछले 11 सालों में राजनीतिक दलों की आय का कुल हिस्से का 69 फीसदी रकम की जानकारी अज्ञात है। हाल ही में ज़ारी की गई रिपोर्ट में कुछ महत्त्वपूर्ण आँकड़े सामने आए हैं|

रिपोर्ट से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • एडीआर की इस रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2004 से लेकर मार्च 2015 तक सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की कुल आय 11,367 करोड़ रुपए रही जिसमें केवल 31 फीसद आय के ही स्रोत के बारे में जानकारी है।
  • गौरतलब है कि मौजूदा नियमों के तहत राजनीतिक दलों को किसी भी व्यक्ति या संस्था से प्राप्त हुए 20,000 रुपये से कम के चंदे का स्रोत बताने की आवश्यकता नहीं है| हालाँकि हाल ही में इस संबंध में कुछ सुधारवादी प्रयास देखने को मिले हैं।
  • राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों को इस दौरान 11,367.34 करोड़ रुपये की आय की प्राप्ति हुई है। राजनीतिक दलों की ज्ञात दानदाताओं से आय करीब 1,835.63 करोड़ रुपये रही, जो उनकी कुल आय का 16 फीसदी हिस्सा है।
  • इसके अलावा अन्य ज्ञात स्रोतों (संपत्ति की बिक्री, सदस्यता शुल्क, बैंक से मिलने वाला ब्याज, प्रकाशनों की बिक्री आदि) से आय करीब 1,698.73 करोड़ रुपये रही जो कुल आय का 15 फीसदी हिस्सा है।
  • एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 11 सालों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को अज्ञात स्रोत से करीब 3,323.30 हजार करोड़ रुपये की आय हुई जो कांग्रेस की कुल आय का 83 प्रतिशत हिस्सा है। इसी दौरान बीजेपी की अज्ञात स्रोत से कुल आय 2,125.91 करोड़ रुपये रही जो कुल आय का 65 फीसदी हिस्सा है।
  • क्षेत्रीय दलों की बात करें तो समाजवादी पार्टी की कुल आय का 766.27 करोड़ रुपये यानी 94 फीसदी हिस्सा अज्ञात स्रोतों से आया। वहीं, शिरोमणि अकाली दल की कुल आय का 86 प्रतिशत यानी 88.06 करोड़ रुपये अज्ञात स्रोत से आया। अज्ञात स्रोतों से राष्ट्रीय पार्टियों की आय इस दौरान 313 फीसदी बढ़ी। बहुजन समाज पार्टी की आय का 100 फीसदी हिस्सा अज्ञात स्रोतों से आया।
  • कांग्रेस को 2004 से 2015 तक सबसे ज्यादा 3,982.09 करोड़ रुपये की आय हुई। बीजेपी इस मामले में दूसरे नंबर पर रही और इस दौरान उसकी कुल आय 3,272.63 करोड़ रुपये रही। 2004 से 2015 में क्षेत्रीय पार्टियों की कुल आय करीब 2,089.04 करोड़ रुपये रही। इसमें भी एसपी 819.1 करोड़ रुपये के साथ आय के मामले में सबसे ऊपर रही। डीएमके 203.02 करोड़ रुपये के साथ दूसरे और एआईएडीएमके 165.01 करोड़ रुपये के साथ तीसरे नंबर पर रही।

निष्कर्ष

  • मौजूदा नियम के मुताबिक, राजनीतिक दलों को 20 हज़ार रुपए से ज़्यादा के चंदे को ही सार्वजनिक करना होता है। इसी के चलते अब तक इस नियम का फायदा भी उठाया जाता रहा है। कोई भी राजनीतिक दल अपने फंड का अधिकतर हिस्सा इसी बेनामी दान के रूप में दिखाता रहा है।
  • चुनाव में काले धन के प्रवाह को रोकने के उद्देश्य से हाल ही में निर्वाचन आयोग ने केंद्र सरकार से एक महत्त्वपूर्ण मांग की थी। आयोग ने कहा था कि चुनावों में किसी भी उम्मीदवार को दिये जाने वाले दो हज़ार या इससे ऊपर के बेनामी चंदे पर क़ानून में संशोधन करके रोक लगाई जानी चाहिये। आयोग की यह मांग चुनाव सुधार की दिशा में उल्लेखनीय कदम साबित हो सकता है।
  • आयोग ने इस बारे में सरकार को एक प्रस्ताव भेजते हुए कहा था कि वर्तमान क़ानून में आवश्यक संशोधन करके सरकार को यह प्रावधान करना चाहिये ताकि दो हज़ार रुपए या उससे ज़्यादा के किसी भी गुप्त दान पर पूरी तरह से रोक लग सके।
  • चुनाव आयोग ने यह भी प्रस्ताव दिया था कि सिर्फ उन्हीं राजनीतिक दलों को आयकर में छूट मिलनी चाहिये जो चुनाव लड़ते हों और लोकसभा या विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज करते हों।
  • ध्यातव्य है कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 13 ‘क’ के तहत राजनीतिक दलों को आयकर से छूट मिली हुई है।
  • जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29 ‘ग’ के तहत राजनीतिक दलों के लिये 20 हज़ार रुपए से ज़्यादा के चंदों का स्रोत बताना ज़रूरी है।
  • विदित हो कि 20 हज़ार रुपए से कम के चंदों का स्रोत बताना आवश्यक नहीं है और इस संबंध में राजनीतिक दल प्रायः इस कानून का दुरुपयोग करते हैं और पार्टी फण्ड में एकत्रित अघोषित राशि का उपयोग चुनावों को प्रभावित करने के लिये करते हैं।
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