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MP के 6 नए स्थल और यूनेस्को की अस्थायी विश्व धरोहर स्थलों की सूची

  • 01 Apr 2024
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्वालियर किला, धमनार का ऐतिहासिक समूह, भोजेश्वर महादेव मंदिर, चंबल घाटी के रॉक कला स्थल, खूनी भंडारा, बुरहानपुर, और रामनगर, मंडला के गोंड स्मारक, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन, भारत के विश्व धरोहर स्थल।

मेन्स के लिये:

हाल ही में WHS की अस्थायी यूनेस्को सूची में जोड़ी गई साइटों की मुख्य विशेषताएँ, धरोहर स्थलों के प्रकार।

स्रोत: इकोनॉमिक्स टाइम्स 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश के 6 नए स्थलों को विश्व धरोहर स्थलों (World Heritage Sites- WHS) की अस्थायी यूनेस्को सूची में जगह मिली है।

  • नई सूची में शामिल स्थलों में ग्वालियर का किला, धमनार का ऐतिहासिक समूह भोजेश्वर महादेव मंदिर, चंबल घाटी के रॉक कला स्थल, खूनी भंडारा, बुरहानपुर और रामनगर, मंडला के गोंड स्मारक शामिल हैं।

हाल ही में WHS की अस्थायी यूनेस्को सूची में जोड़ी गई साइटों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • ग्वालियर किला: यह अपनी दुर्जेय दीवारों के लिये प्रसिद्ध है, यह एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है जो आस-पास के शहर का मनोरम दृश्य प्रदान करता है।
    • ऐतिहासिक रूप से, यह माना जाता है कि किले की पहली नींव छठी शताब्दी ईस्वी में राजपूत योद्धा सूरज सेन द्वारा रखी गई थी।
      • सूरज सेन स्थानीय सरदार थे जो गंभीर कुष्ठ रोग से पीड़ित थे लेकिन ग्वालिपा नामक एक साधु-संत ने उन्हें ठीक कर दिया था। इस घटना के प्रति आभार प्रकट करते हुए सूरज सेन ने उनके नाम पर ग्वालियर शहर की स्थापना की।
    • ग्वालियर किले का आक्रमणों और पुनर्निर्माणों का उथल-पुथल भरा इतिहास रहा, विशेष रूप से वर्ष 1398 में तोमर शासक मान सिंह के शासनकाल में, जिन्होंने इसके परिसर में कई स्मारक जोड़े।
      • मानसिंह तोमर के शासनकाल के बाद, ग्वालियर इब्राहिम लोदी, फिर मुगल सल्तनत के अधीन आ गया। 1550 ई. में अकबर ने पुनः नियंत्रण प्राप्त कर लिया। बाद में सिंधिया के नेतृत्व में मराठों ने सत्ता संभाली।
      • दूसरे मराठा युद्ध के दौरान यह किला थोड़े समय के लिये जनरल व्हाइट के अधीन रहा, लेकिन 1805 ई. में 1857 तक वापस सिंधिया ने इस पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया।
        • यह 1886 ई. तक ब्रिटिश शासन के अधीन रहा, इसके बाद इसे झाँसी के बदले सिंधिया राजवंश को लौटा दिया गया।
    • किले में कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें तेली का मंदिर (Teli ka Mandir) भी शामिल है जो शिव, विष्णु और मातृकाओं को समर्पित है। 
      • चतुर्भुज मंदिर अपने गणितीय महत्त्व के लिये उल्लेखनीय है, जो गणित में शून्य के सबसे पुराने संदर्भों में से एक है।
      • सास बहू मंदिर (Sas Bahu Temples), जिनमें से बड़ा मंदिर विष्णु को समर्पित है, 1150 ई.पू. के हैं और अपने जटिल शिलालेखों के लिये जाने जाते हैं।
      • इसके अतिरिक्त गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ (Gurdwara Data Bandi Chhor) छठे सिख गुरु, गुरु हरगोबिंद साहिब की स्मृति में मनाया जाता है।
    • बेसाल्ट चट्टानी पहाड़ियों पर इसकी रणनीतिक स्थिति के अनुसार, पुराने संस्कृत शिलालेखों में इसका उल्लेख गोपाचल, गोपगिरि के रूप में किया गया है।

  • धमनार का ऐतिहासिक समूह: इसमें 7वीं शताब्दी ई.पू. की 51 चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफाएँ, स्तूप, चैत्य और आवास शामिल हैं।
    • इनमें गौतम बुद्ध की निर्वाण मुद्रा में विशाल प्रतिमा एक महत्त्वपूर्ण आकर्षण है।
    • उल्लेखनीय गुफाओं में उत्तरी तट पर बारी कचेरी और भीमा बाज़ार शामिल हैं, जो अपने ऐतिहासिक महत्त्व तथा स्थापत्य विशेषताओं के लिये जाने जाते हैं।
    • इन स्मारकों का सबसे पहला विवरण जेम्स टॉड से मिलता है, जिन्होंने वर्ष 1821 में दौरा किया था, उसके बाद वर्ष 1845 में जेम्स फर्ग्यूसन और वर्ष 1864-1865 के बीच अलेक्जेंडर कनिंघम ने दौरा किया था।
    • धमनार नाम का कोई ऐतिहासिक या साहित्यिक आधार नहीं है, लेकिन सबूत बताते हैं कि बौद्ध काल में इसे चंदननगरी-महाविहार के नाम से जाना जाता था।
      • विद्वान के. सी. जैन ने सुझाव दिया कि 'धमनार' शैव शब्द 'धर्मनाथ' से आया है, जो मध्यकालीन वैष्णव मंदिर में लिंग से जुड़ा है।

  • भोजेश्वर महादेव मंदिर: यह भगवान शिव को समर्पित है और इसमें एक ही पत्थर से बना विशाल लिंग है।
    • 11वीं शताब्दी में राजा भोज द्वारा बनवाया गया यह मंदिर अपनी भव्यता और अद्वितीय वास्तुकला के लिये प्रतिष्ठित है।
      • राजा भोज परमार वंश के एक प्रसिद्ध शासक थे जो अपने समरांगणसूत्रधार के वास्तुशिल्प ग्रंथ के लिये जाने जाते थे।
    • मंदिर की वास्तुकला भूमिजा शैली का अनुसरण करती है जो इसके विशाल शिखर और अलंकृत नक्काशी तथा मूर्तियों की विशेषता है।
      • इसके अलावा मंदिर के मुख्य भाग और इसके शिखर में मंदिर वास्तुकला की द्रविड़ शैली से प्रभावित घटक हैं।

  • चंबल घाटी के रॉक कला स्थल: यह विश्व के सबसे बड़े रॉक कला स्थलों की मेज़बानी करता है, जो विभिन्न ऐतिहासिक काल और सभ्यताओं के दृश्यों को प्रदर्शित करते हैं।
    • मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश में विस्तृत ये स्थल प्राचीन मानव जीवन एवं सांस्कृतिक विकास के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।
      • बेसिन में रॉक कला में मेसोलिथिक शिकारी-संग्रहकर्त्ताओं के साथ प्रोटोहिस्टोरिक और उसके बाद के काल के शिकार एवं संग्रह दृश्यों के चित्रण शामिल हैं।
    • विंध्य, सतपुड़ा एवं कैमूर पर्वतों के पहाड़ी हिस्से, जिनकी विशेषता हरी-भरी वनस्पति तथा समानांतर पर्वतमालाएँ हैं, जो उनके विकास के लिये आदर्श हैं।
    • चंबल बेसिन में प्रमुख रॉक कला स्थलों में भीमलत महादेव, चतुर्भुजनाथ नाला, गराडिया महादेव, बुक्की माता, चट्टानेश्वर और कान्यदेय आदि शामिल हैं।

  • बुरहानपुर का खूनी भंडारा: यह एक भूमिगत जल प्रबंधन प्रणाली है, जिसमें ऐतिहासिक शहर बुरहानपुर में अब्दुर्रहीम खानखाना द्वारा निर्मित आठ जलकुंड शामिल हैं।
    • इसे फारसी कनात दृष्टिकोण का उपयोग करके बनाया गया था और साथ ही इसे फारसी भूविज्ञानी, तब्कुतुल अर्ज़ द्वारा डिज़ाइन किया गया था।
      • मुगल काल के दौरान, ईरान और इराक से फारसी कनात जैसी तकनीकों को उपयोगी सार्वजनिक उपयोगिताओं के रूप में भारत में आयात किया गया था।
    • 1900 के दशक की शुरुआत में इन भूमिगत नलिकाओं के 8 सेटों की खुदाई की गई और उनका पता लगाया गया, जिनमें से 6 आज तक बरकरार हैं।
      • इस खनिज समृद्ध जल में लाल रंग के संकेत के कारण इसे खूनी नाम दिया गया।

  • रामनगर, मंडला का गोंड स्मारक: यह क्षेत्र पहले भारत के मध्य प्रांत के रूप में जाना जाता था और साथ ही वर्तमान मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र राज्यों के कुछ हिस्सों को कवर करता था; इसे ऐतिहासिक रूप से गोंडवाना कहा जाता था, जो भारत की सबसे बड़ी गोंड जनजाति का घर था।
    • स्मारकों के समूह में निम्नलिखित शामिल हैं:
      • मोती महल
      • रायभगत की कोठी!
      • सूरज मंदिर (विष्णु मंदिर)
      • बेगम महल
      • दलबादल महल

नोट: मध्य प्रदेश के 3 स्थल पहले से ही यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल हैं। इनमें खजुराहो स्मारक समूह (1986), साँची के बौद्ध स्मारक (1989) तथा भीमबेटका के रॉक शेल्टर (2003) शामिल हैं।

विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी UNESCO सूची क्या है?

  • विश्व धरोहर स्थल: विश्व धरोहर स्थल दुनिया भर में विशेष स्थान हैं जिन्हें मानवता के लिये उत्कृष्ट मूल्य का माना जाता है।
  • विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी UNESCO सूची: यह अलग-अलग देशों द्वारा अपने देश के चुने गए स्थलों की एक सूची है जिनका उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य है और वे विश्व विरासत सूची में शामिल होने हेतु  उपयुक्त हो सकते हैं।
    • इसे वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
  • धरोहर स्थलों के प्रकार: इसमें तीन प्रकार के स्थल- सांस्कृतिक, प्राकृतिक और मिश्रित शामिल हैं।
    • सांस्कृतिक धरोहर स्थलों में कलाकृतियाँ, स्मारक, इमारतों और स्थलों का एक समूह तथा संग्रहालय शामिल हैं जिनमें प्रतीकात्मक, ऐतिहासिक, कलात्मक, सौंदर्यशास्त्र, नृवंशविज्ञान अथवा मानवशास्त्रीय, वैज्ञानिक एवं सामाजिक महत्त्व सहित मूल्यों की विविधता है।
    • प्राकृतिक धरोहर स्थलों में असाधारण पारिस्थितिक और विकासवादी प्रक्रियाओं, अद्वितीय प्राकृतिक घटनाओं, दुर्लभ अथवा संकटापन्न प्रजातियों से संबंधित आवासों आदि वाले असाधारण प्राकृतिक क्षेत्र शामिल हैं।
    • मिश्रित धरोहर स्थलों में प्राकृतिक और सांस्कृतिक महत्त्व दोनों पहलु शामिल होते हैं तथा साथ ही इनमें असाधारण प्राकृतिक विशेषताओं अथवा पारिस्थितिक प्रक्रियाओं के साथ ऐतिहासिक भवनों अथवा पुरातात्त्विक स्थलों जैसे तत्त्वों का मिश्रण होता है।
  • भारत में विश्व धरोहर स्थल: भारत में वर्तमान में 42 UNESCO विश्व विरासत स्थल हैं। सबसे हालिया विश्व विरासत स्थल निम्नलिखित हैं:

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है? (2021)

(a) अजंता की गुफाएँ वाघोरा नदी के घाट में स्थित हैं।
(b) साँची स्तूप चंबल नदी के घाट में स्थित है।
(c) पांडु-लेणा गुफा मंदिर नर्मदा नदी के घाट में स्थित हैं।
(d) अमरावती स्तूप गोदावरी नदी के घाट में स्थित है।

उत्तर: (a)

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