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सामाजिक न्याय

30 मिलियन नवजात शिशुओं को मदद की ज़रूरत

  • 26 Dec 2018
  • 5 min read

संदर्भ


हाल ही में UNICEF और WHO द्वारा संयुक्त रूप से किये गए एक अध्ययन, ‘सर्वाइव एंड थ्राइव: ट्रांसफॉर्मिंग केयर फॉर एवरी स्माल एंड सिक न्यूबोर्न (Survive and thrive: Transforming care for every small and sick newborn)’ की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि प्रतिवर्ष लगभग 30 मिलियन नवजात शिशुओं को अस्पतालों में खास देखभाल की ज़रूरत है। इस देखभाल के बिना उनमें से ज़्यादातर शिशुओं की या तो मृत्यु हो जाती है या पूरी ज़िंदगी के लिये उन्हें विकलांगता जैसे अभिशाप से जूझना पड़ता है।

भारत की स्थिति

  • यूनिसेफ द्वारा पूर्व में कराए गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में जन्म लेने वाले प्रति 1,000 शिशुओं में से 25.4 की मृत्यु हो जाती है। भारत में प्रतिवर्ष 6.4 लाख नवजात शिशुओं की मृत्यु होती है।

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वैश्विक स्थिति

  • रिपोर्ट में यह बताया गया है कि वर्ष 2017 में जन्म से 28 दिनों के अंदर लगभग 2.5 मिलियन नवजात शिशुओं की मृत्यु हो गई, जिनमें से लगभग 80% शिशुओं का वज़न कम था और 65% शिशु प्रीमेच्योर (समय से पूर्व) पैदा हुए थे।
  • इसके अलावा, 1.5 मिलियन छोटे और बीमार नवजात शिशु जीवित तो बच जाते हैं लेकिन पूरी जिंदगी परेशान करने वाली बीमारियों जैसे- मस्तिष्क पक्षाघात (Cerebral Palsy) से पीड़ित रहते हैं।

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सतत् विकास लक्ष्य का एक हिस्सा

  • सतत् विकास लक्ष्य (SDG) के एक हिस्से के रूप में दुनिया के सभी देशों के सामने यह चुनौती है कि 2030 तक जन्म लेने वाले प्रति 1,000 शिशुओं में मृत्यु दर को 12 या उससे नीचे लाएँ।
  • यह लक्ष्य प्राप्त करने के लिये दुनिया के सभी देशों को प्रत्येक गर्भवती महिला और प्रत्येक नवजात को बिना किसी भेदभाव (सामाजिक, आर्थिक) के जन्म से पहले और बाद में उच्च-गुणवत्ता वाली सस्ती सेवाएँ उपलब्ध करानी होंगी।

सतत् विकास लक्ष्‍य (Sustainable Development Goals)

  • अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय ने संयुक्‍त राष्‍ट्र के माध्‍यम से 17 सतत् विकास लक्ष्‍यों (SDG) की ऐतिहासिक योजना शुरू की है जिसका उद्देश्‍य वर्ष 2030 तक अधिक संपन्‍न, अधिक समतावादी और अधिक संरक्षित विश्‍व की रचना करना है।
  • ये लक्ष्य विभिन्न सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक पृष्ठभूमि वाले लोगों से संबंधित है तथा इनमें विकास के आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय आयामों को शामिल किया गया हैं।
  • 17 सतत् विकास लक्ष्‍य और 169 उद्देश्य सतत् विकास के लिये 2030 एजेंडा के अंग हैं जिसे सितम्‍बर, 2015 में संयुक्‍त राष्‍ट्रमहासभा की शिखर बैठक में 193 सदस्‍य देशों ने अनुमोदित किया था।
  • यह एजेंडा पहली जनवरी 2016 से प्रभावी हुआ है। इन लक्ष्‍यों को निर्धारित करने के लिये हुई अभूतपूर्व परामर्श प्रक्रिया में राष्‍ट्रीय सरकारों और दुनिया भर के लाखों नागरिकों ने मिलकर बातचीत की और अगले 15 वर्ष के लिये सतत् विकास हासिल करने का वैश्विक मार्ग अपनाया।
  • विश्व अभी सतत् विकास लक्ष्‍य (SDG) युग के तीसरे वर्ष (2016 में शुरुआत के बाद) में है।

रिपोर्ट में प्रस्तावित सिफारिशें

  • इस रिपोर्ट में दुनिया के सभी देशों से आग्रह किया गया है कि वे सुभेद्य नवजात शिशुओं- छोटे और बीमार की मृत्यु को रोकने के लिये स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में निवेश करें।
  • इस रिपोर्ट ने इस बात पर भी ज़ोर दिया है कि शिशुओं की गुणवत्तापूर्ण देखभाल वैश्विक स्तर पर होने वाली नवजात शिशुओं की मृत्यु को रोक सकती है।
  • निम्न और मध्यम आय वाले देश 2030 तक हर तीन नवजात मौतों में से दो को रोक सकते हैं यदि वे अपने निवेश को प्रति व्यक्ति 0.20 डॉलर से बढ़ा दें।

स्रोत- द हिंदू

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