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भारतीय राजनीति

15 सूत्रीय सुधार चार्टर

  • 01 Nov 2019
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये:

संविधान की मूल संरचना

मेन्स के लिये:

संसदीय सुधारों की आवश्यकता तथा संभावित चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में देश में संसदीय संस्थानों के कामकाज पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने 15-सूत्रीय सुधार चार्टर का अनावरण किया है।

15-सूत्रीय सुधार बिंदु:

  • संसदीय संस्थानों के प्रति जनता के विश्वास को बनाए रखा जाना चाहिये।
  • सदस्यों द्वारा सदन के नियमों का पालन किया जाना चाहिये।
  • सदनों की कार्यवाही में रोस्टर प्रणाली (Roster System) को अपनाते हुए सभी राजनीतिक दलों द्वारा अपने सांसदों की कम-से-कम 50% की उपस्थिति सुनिश्चित की जानी चाहिये।
  • संसद द्वारा सदन में कोरम की 10% की आवश्यक उपस्थिति को बनाये रखना चाहिये।
  • विधानसभाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्त्व को बढ़ाना चाहिये।
  • राजनीतिक दलों की व्हिप (Whip) प्रणाली की समीक्षा की जानी चाहिये जिससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो सके।
  • दल-बदल कानून की गहन समीक्षा की जानी चाहिये तथा पीठासीन अधिकारी द्वारा समय पर ऐसे मामलों का निपटारा किया जाना चाहिये।
  • विभागों से संबंधित स्थायी समितियों के प्रभावी कामकाज के लिये आवश्यक उपायों पर चर्चा की जानी चाहिये।
  • विधेयक पारित होने के पहले और बाद में सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय तथा प्रशासनिक स्तर पर विधायी प्रभावों का आकलन किया जाना चाहिये।
  • ‘संविधान की मूल संरचना' (Basic Structure of the Constitution) की विशेषताओं में से एक ‘सरकार के संसदीय स्वरूप' (Parliamentary Form of Government) को बनाये रखा जाना चाहिये।
  • आपराधिक पृष्ठभूमि वाले जन प्रतिनिधियों की बढ़ती संख्या की समस्या का विश्लेषण किया जाना चाहिये।
  • जन प्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक शिकायतों के समयबद्ध पालन के लिये विशेष अदालतों का गठन किया जाना चाहिये।
  • उपलब्ध संसदीय साधनों का सहारा लेते हुए सरकारों को पक्ष और विपक्ष के प्रति उत्तरदायी रहना चाहिये।
  • संसदीय संस्थानों में जन प्रतिनिधियों को बहस के दौरान ज़िम्मेदार व रचनात्मक रहना चाहिये।
  • फर्स्ट पास्ट द पोस्ट प्रणाली (First Past The Post System- FPTP) के दोषों को देखते हुए एक साथ चुनाव के प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की जानी चाहिये।

स्रोत: PIB

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