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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारत: विश्व का तकनीकी गैराज

  • 10 Sep 2020
  • 10 min read

यह संपादकीय विश्लेषण India can soon be the tech garage of the world लेख पर आधारित है जो 9 सितंबर 2020 को लाइव मिंट में प्रकाशित हुआ था। यह भारत के समक्ष विश्व की तकनीकी महाशक्ति बनने के अवसरों का विश्लेषण करता है।

संदर्भ  

प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मज़बूत एवं निरंतर विकास और नवाचार भारत के लिये स्वयं को ‘टेक गैरेज ऑफ द वर्ल्ड’ यानी एक तकनीकी पॉवरहाउस के रूप में स्थापित करने का अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है। नवीन डिज़िटल और प्रौद्योगिकी समाधानों के विकास के माध्यम से, भारत कई क्षेत्रों में व्यापक एवं दुःसाध्य चुनौतियों का समाधान सफलतापूर्वक प्राप्त कर सकता है।

अवसर

COVID -19 महामारी से अप्रभावित

  • विश्व अभी भी COVID -19 महामारी से जूझ रहा है, फिर भी भारत के तकनीकी उद्योग प्रदर्शनीय स्तर पर हैं, जिसमें 38 बिलियन डॉलर का विशालकाय निवेश है।
  • इन निवेशों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा सॉफ्टवेयर आधारित कंपनियों में गया है, जिसमें  वर्तमान संकट के मध्य डिज़िटल उपकरणों और स्वचालन के लिये बढ़ती माँग के कारण एक बड़ी वृद्धि देखी गई है।

बढ़ता हुआ बाज़ार

  • हाल ही में विकसित और विस्तारित हुई विश्व की 10 सबसे अमीर कंपनियों में से आठ प्रौद्योगिकी कंपनियाँ थीं।
  • लिंक्डइन की वैश्विक स्तर पर उभरती नौकरियों की सूची में सबसे तेज़ी से बढ़ती नौकरियाँ कृत्रिम बुद्धिमत्ता विशेषज्ञ एवं डेटा वैज्ञानिक से संबंधित हैं।
  • COVID-19  महामारी के दौरान भी एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न, फेसबुक और गूगल की बाज़ार पूंजी 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक बढ़ गई।

औद्योगिक तंत्र

  • भारत जनसांख्यिकीय लाभांश एवं एक जीवंत स्टार्टअप तंत्र के साथ विश्व का सर्वाधिक युवा प्रधान देश है।
  • केवल वर्ष 2019 में, 1,300 से अधिक स्टार्टअप जोड़े गये हैं, जिससे भारत की स्थिति विश्व  में तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप तंत्र के रूप में मज़बूत हुई है।
  • वर्ष 2019 में निजी इक्विटी निवेश ने 10-साल के उच्चतम स्तर पर रहा है, इसने 17.3 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ है और 60.5% की वार्षिक वृद्धि दर्ज़ की है।

इस संदर्भ में की गईं पहलें

  • प्रधानमंत्री ने हाल ही में निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में तकनीकी उत्पादों को विकसित करने का काम नीति आयोग को सौंपा है, जो भारत को COVID-19 के बाद वाले दौर में जाने में सक्षम करेगा, यह वर्तमान में विकास के विभिन्न चरणों में हैं।
  • नीति आयोग द्वारा की गई पहलों एवं समाधानों में शामिल हैं:
    • उन्नति: यह एक प्रौद्योगिकी मंच है जो ब्लू एवं ग्रे कॉलर श्रमिकों का कौशल विकास प्रदान करता है।
    • कृषि नींव: मूल्य पूर्वानुमान, उत्पादकता, गुणवत्ता प्रमाणन और पारगम्यता के लिये कृषि मंच। इन परिणामों को प्राप्त करने के लिये यह मंच ब्लॉकचेन तकनीक के साथ-साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग का उपयोग करने का दावा करता है।
    • यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP): यह लॉजिस्टिक्स सेक्टर को संबोधित करने के लिये आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों को डिज़िटल बनाने के लिये एक एकीकृत मल्टी-मोडल प्लेटफॉर्म है।
    • समशिक्षा:  इस प्लेटफार्म को भविष्य के ऑनलाइन विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा के लिये वन-स्टॉप मंच के रूप में अवधारणा दी गई है।
    • केवाईसी सेतु: यह डिज़िटल रूप से नए सेवा प्रदाताओं के साथ केवाईसी-डेटा साझा करने के लिये एक एकीकृत मंच है।
    • काशी: इंटरनेट सेवा के माध्यम से नकदी किसानों और मज़दूरों को उनके प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) खातों पर कम लागत वाले डिज़िटल ऋण समाधान प्रदान करेगी।
    • स्वस्थ: 5000 से अधिक पंजीकृत डॉक्टरों के साथ एक टेलीमेडिसिन ऐप स्वास्थ्य मुद्दों के लिये एकीकृत सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य और अस्पतालों एवं डॉक्टरों का एकीकरण शामिल है।
    • प्रधानमंत्री ने मेड इन इंडिया ऐप्स में विश्व स्तर के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिये आत्मनिर्भर भारत ऐप इनोवेशन चैलेंज भी शुरू किया है और इसके रुझान अच्छे रहे हैं।
  • अटल इनोवेशन मिशन (AIM) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ अटल टिंकरिंग लैब्स चला रहा है, और कक्षा छठी से रोबोटिक्स एवं 3 डी प्रिंटिंग सिखाई जा रही है।
    • एआईएम इनक्यूबेटरों का भी समर्थन करता है और एक रचनात्मक एवं नवाचार की संस्कृति को उत्प्रेरित करता है।
  • नेशनल हैल्थ स्टैक एवं आरोग्य सेतु को सार्वजनिक और निज़ी भागीदारी के साथ भारत में एक हेल्थटेक तंत्र के लिये एक संयोगशील भविष्य की कल्पना करते हुए विकसित किया गया था।
  • भारत के पास डिजिटल वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में UPI प्लेटफॉर्म की सफलता का सबसे बड़ा उदाहरण है।
    • UPI, सिर्फ 4 वर्ष पुराना है, लेकिन एक दशक पुराने अमेरिकन एक्सप्रेस के माध्यम से लेनदेन की तुलना में 10 गुनी अधिक लेनदेन की संख्या रिपोर्ट की गई है। 

चुनौतियाँ

  • इन विश्व स्तरीय उत्पादों के विकास में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कुशल अनुप्रयोग की आवश्यकता होती है।
    • इसके लिये डेटा माँग वाले उद्यमियों, एआई एल्गोरिथ्म इंजीनियरों, कंप्यूटिंग शक्तियों और एआई-सक्षम नीति वातावरण के प्रवाह जैसे महत्त्वपूर्ण आदानों की आवश्यकता है।
    • हालाँकि मोबाइल और कम डेटा लागत एवं शीर्ष स्तर के स्टार्ट-अप उद्यमियों के कारण भारत में विशालकाय डेटा है लेकिन उत्पाद प्रबंधकों, एआई वैज्ञानिकों, उत्पाद डिज़ाइनरों तथा सॉफ्टवेयर इंजीनियरों का अभाव है।
  • एक और चुनौती इसे समावेशी बनाने की होगी ताकि यह अधिकांश लोगों तक पहुँचे और सुरक्षित भी रहे ताकि किसी भी तरह की गोपनीयता और डेटा चोरी का मुद्दा न उत्पन्न हो।

आगे की राह

  • हमारे इंजीनियरिंग कॉलेजों को एआई इंजीनियर तैयार के के लिये पुनः शुरुआत करनी चाहिये, ऐसे इंजीनियर जो अत्याधुनिक टेक कंपनियों को लॉन्च करने के लिये तकनीकी उद्यमियों के भागीदार हो सकते हैं।
  • भारत को विश्व के टेक गैरेज के रूप में स्थापित करने में सरकार की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इसे एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करना चाहिये और भारत एवं विश्व के लिये नवाचार करने के उद्देश्य से निजी क्षेत्र की सहक्रियाओं को एक साथ लाना चाहिये।
  • इसमें प्रौद्योगिकी उत्पादों के विकास के लिये एक सक्षम वातावरण और एक अनुकूल नियामक पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने और प्रत्येक रोल आउट के लिये आवश्यक आकार एवं पैमाने प्रदान करने की क्षमता है।
    • उत्पाद विकास आदर्श रूप से निजी उद्यमिता के माध्यम से किया जाना चाहिये, सरकार जिसमें एक सुविधा प्रदाता के रूप में कार्य करे।
  • उत्पाद डिज़ाइन के प्रमुख सिद्धांतों में पारदर्शिता, सुरक्षा और पहुँच में आसानी शामिल होनी चाहिये।
  • उत्पादों की बनावट सार्वलौकिक होनी चाहिये, किसी भी होस्टिंग वातावरण के लिये इन्हें पोर्टेबल होना चाहिये और आधिकारिक एवं क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होना चाहिये।

Advantage-India

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न भारत प्रौद्योगिकी की शक्ति का उपयोग करने और विश्व का एक तकनीकी पॉवरहाउस बनने के लिये सर्वोत्तम स्थान पर है। चर्चा करें।

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