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पैराडाइज़ पेपर्स मामला : एक समग्र विश्लेषण

  • 07 Nov 2017
  • 13 min read

पैराडाइज़ पेपर्स (Paradise Papers) क्या हैं?

  • पैराडाइज़ पेपर्स बरमूडा की फर्म एप्पलबाई (Appleby) और सिंगापुर की एशियासिटी (Asiaciti) ट्रस्ट और 19 गोपनीय कंपनियों में सरकार द्वारा प्रबंधित किये जाने वाले कॉर्पोरेट व्यावसायियों, जिन्हें प्रायः ‘टैक्स पैराडाइज़’ (tax paradises) कहा जाता है, के 13.4 मिलियन कॉर्पोरेट रिकार्ड्स हैं|
  • लीक्स का अर्थ इन रिकार्ड्स में दर्ज़ सूचनाओं का खुलासा हो जाने से है| पैराडाइज़ पेपर्स को जर्मनी के समाचार पत्र सुड्डेट्शू जीटंग (Süddeutsche Zeitung) ने लीक किया था और इसकी जानकारी ‘अंतर्राष्ट्रीय कंसोर्टियम ऑफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (International Consortium of Investigative Journalists -ICIJ) के साथ साझा की| 

‘पैराडाइज़ पेपर्स’, ऑफशोर लीक्स (2013), स्विस लीक्स (2015) और पनामा पेपर्स (2016) से किस प्रकार भिन्न हैं?

  • विगत वर्षों में हुए तीन बड़े वैश्विक पेपर लीक्स के समान ही पैराडाइज़ पेपर्स भी छिपी हुई ऑफशोर वित्तीय गतिविधियों का खुलासा करते हैं| मोसेक फोन्सेका (पनामा पेपर्स, 2016) के समान ही एप्पलबाई (Appleby) भी विदेशी कंपनियों की स्थापना तथा बैंक खाते खुलवाने में सहायता करती है, नॉमिनी व्यक्ति उपलब्ध कराती है और विभिन्न गोपनीय अधिकार क्षेत्रों तक बैंक ऋणों अथवा शेयर के आदान-प्रदान को सुगम बनाती है|
  • परन्तु पहले हुए लीक्स के विपरीत इसमें व्यक्तियों के बजाय बड़े व्यावसायियों की सूचनाओं को सार्वजनिक किया गया है|

पैराडाइज़ पेपर्स क्या दर्शाते हैं?

  • इन पेपर्स के खुलासे में आए भारत के कुछ बड़े व्यवसायियों और व्यक्तियों के नामों के कारण विदेशों में शेल ओवरसीज़ कम्पनियाँ (shell overseas companies ) नहीं खोली जा सकेंगी| ऑफशोर रेजिडेंसी (offshore residency) युक्त कंपनियों का संचालन पूर्णतः भारत द्वारा होता था| 
  • एप्पलबाई का कहना था कि ‘ऑफशोर फंड’ का अर्थ भारत से फंड प्राप्त कर भारत में ही निवेश करना है| इसके कई उदाहरण मौजूद हैं, जहाँ भारतीय कंपनियों की संपत्तियों का उपयोग ऑफशोर कंपनियों द्वारा इनका भारतीय विनियामकों के सामने खुलासा किये बिना भारत में ही किया जाता था| ऑफशोर कंपनियों के स्वामित्व में परिवर्तन का तात्पर्य वास्तव में भारत में करों का भुगतान किये बिना भारतीय कंपनियों में उनके शेयर्स के स्वामित्व में परिवर्तन करना है| 

क्या ऑफशोर कंपनियों की स्थापना करना गैर-क़ानूनी है?

  • यह आवश्यक नहीं है| भारत और निम्न कर दरों(जिनके करों की दर भारत से कम है) वाले अनेक देशों और कंपनियों (ओवरसीज कॉर्पोरेट निकायों) के बीच ‘दोहरा कराधान बचाव समझौता’(double-taxation avoidance agreements –DTAAs) है| ऐसे देशों में स्थापित ओवरसीज कॉर्पोरेट निकाय (overseas corporate bodies (OCBs) ) कानूनी तौर पर उपलब्ध कर लाभों का आनंद लेने के लिये अपने ‘स्थानीय कर प्रमाण पत्रों’ (tax residency certificates -TRC) ) का उपयोग कर सकते हैं| 

पैराडाइज़ पेपर्स लीक्स के लाभ 

  • पैराडाइज़ पेपर्स लीक से प्राप्त हुई जानकारियाँ विनियामकों को ऐसे रिकॉर्ड की गोपनीयता संबंधी बाधा को दूर करने में सहायता कर सकती हैं| उदाहरण के लिये, किसी भी देश के विनियामक मोसेक फोन्सेका के रिकार्ड्स में छिपे वित्तीय कदाचार के कई उदाहरणों की खोज कर सकते थे| पैराडाइज़ पेपर्स निधि का विशाल आकार और उनके द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली कॉर्पोरेट केन्द्रित सूचना इस मार्ग में आगे बढ़ने में मददगार हो सकती है|
  • सामान्यतः एक कंपनी को उसकी वित्तीय गतिविधियों को उनकी इच्छानुसार (जिस भी तरीके से वह कर दायित्व में कमी कर सके) व्यवस्थित करने की छूट दी जाती है| यह तथ्य कि इस प्रकार के लेन-देने का प्रमुख उद्देश्य कर की चोरी करना है, तब तक लेन-देन को अवैध सिद्ध नहीं करता जब तक कि उस देश का कानून उन्हें ऐसा करने की अनुमति न देता हो| 
  • विनियामकों को जिन्हें संदिग्ध अपराधों के प्रमाण उपलब्ध कराने के लिये प्रोत्साहित नहीं किया जाता है। वेस्टमिंस्टर सिद्धांत के अनुसार, यदि कोई दस्तावेज़ या लेन-देन वास्तविक है, तो न्यायालय और नियामक अंतर्निहित जानकारी का पता लगाने के लिये इसके विरुद्ध नहीं जा सकते| 
  • पैराडाइज़ पेपर्स में कई सेवाएँ जैसे-एप्पलबाई टैक्स हेवंस देशों में स्थापित कंपनियों के लिये छद्म निदेशक उपलब्ध कराती है| दरअसल, इन डायरेक्टरों  (व्यक्ति अथवा शेल कम्पनियाँ) के पास अपने ग्राहकों (होल्डिंग कम्पनियाँ अथवा लाभार्थी और उनके प्रतिनिधि) के दिशा-निर्देशों पर  करोड़ों डॉलर का निवेश करने का वास्तविक अधिकार नहीं होता है|
  • अनेक ऑफशोर कम्पनियाँ दिखावटी संस्थाएँ होती हैं, जो कर चोरी/बचाव, बाज़ार में हेराफेरी, धन शोधन, राउंड ट्रिपिंग (चालन के माध्यम से गैर-कर युक्त धन को देश से बाहर ले जाना और तब इसे वापस निवेश के रूप में देश में ही लाना), काले धन को सफ़ेद बनाने और घूस में संलग्न रहती हैं| 

वंचना (fraud) क्या है और भारतीय कानून में इसके लिये क्या समाधान हैं?

  • पैराडाइज़ पेपर्स में प्रमाणित कर वंचना, धन शोधन, राउंड ट्रिपिंग (round tripping), पार्किंग ब्लैक मनी (parking black money), घूस स्पष्ट कदाचार हैं| ट्रीटी शॉपिंग (treaty shopping) भी इसमें शामिल है| इसके द्वारा एक तीसरे देश का निवासी दोहरा कराधान बचाव अधिनियम के प्रावधानों का लाभ उठा सकता है| 
  • यदि वाणिज्यिक या व्यावसायिक आधार (जैसे- एक शेल कंपनी) के बिना किसी संस्था को कर की चोरी करने के लिये धारण संरचना (holding structure) में रखा जाता है तो इस पर ‘राजकोषीय असमानता’ (fiscal nullity) का परीक्षण लागू होगा|
  • अप्रैल 2017 से प्रभाव में आए आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 6(3) कहती है कि कंपनी के ‘प्रभावी प्रबंधन का स्थान’ (the place of effective management) भारत में है तो कंपनी को देश की कंपनी माना जाएगा| प्रभावी प्रबंधन का स्थान ऐसे स्थान को कहा जाता है जहाँ किसी संस्था के कारोबार का संचालन करने के लिये आवश्यक प्रबंधन और वाणिज्य संबंधी निर्णय लिये जाते हैं|

किन-किन देशों का भारत के साथ दोहरा कराधान बचाव समझौता है?

  • दोहरा कराधान बचाव समझौता आईटी विभाग को कर संधियों का लाभ उठाने से इनकार नहीं करता है| 
  • 1 9 गुप्त कंपनियों के कॉरपोरेट पंजीकरण पैराडाइज़ पेपर्स का हिस्सा हैं। ये एंटीगुआ और बारबुडा, अरूबा, बहामास, बारबाडोस, बरमूडा, केमन द्वीप, कुक आइलैंड्स, डोमिनिका, ग्रेनेडा, लाबुआन, लेबनान, माल्टा, मार्शल द्वीप, सेंट किट्स एंड नेविस, सेंट लुसिया, सेंट विन्सेंट, समोआ, त्रिनिडाड एंड टोबैगो और वानुअतु हैं। इनमें से भारत का केवल माल्टा और त्रिनिडाड एवं टोबैगो के साथ दोहरा कराधान बचाव समझौता हैं|

ऑफशोर गोपनीयता किस प्रकार सहायक हो सकती है?

  • अतः आईटी अधिनियम की धारा 9 (1) (i) के अनुसार,"भारत में किसी भी व्यवसाय, सम्पाती और स्रोत,  भारत में स्थित पूंजी परिसंपत्ति के हस्तांतरण के माध्यम से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, अर्जित होने वाली सभी आय पर भारत में अर्जित आय के रूप में कर लगाया जाएगा।

अच्छे कर कानून और वैश्विक कर सुधार होने महत्त्वपूर्ण क्यों हैं?

  • कर चोरी एक वैश्विक समस्या है|
  • हाल ही में वैश्विक संगठन जैसे गूगल, अमेज़न और स्टारबक्स ने कर के भुगतान से बचाव हेतु कुछ विनियामकीय हस्तक्षेपों का सामना किया है| 
  • पनामा पेपर्स का खुलासा होने पर राष्ट्रपति बराक ओबामा का कहना था कि वैश्विक कर बचाव से बचने के लिये अंतर्राष्ट्रीय कर सुधारों की आवश्यकता होगी|
  • वित्त मंत्री अरुण जेटली के शब्दों में, यह हम सभी के लिए एक रिमाइंडर की भाँति है कि जी-20 पहल के साथ ही एफ.ए.टी.सी.ए (विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम 2010, यह अमेरिकी कानून है जिसके तहत विदेशी बैंकों को अमेरिकी नागरिकों की विदेशी संपत्ति की रिपोर्ट करने की आवश्यकता है) द्विपक्षीय लेन-देन भी 2017 से प्रभाव में आ गया है| इस प्रकार विश्व और अधिक पारदर्शी बनने जा रहा है| एफ.ए.टी.सी.ए वर्ष 2010 का अमेरिका का कानून है जिसके तहत विदेशी बैंकों को अमेरिकी नागरिकों की ओवरसीज संपत्तियों का ब्यौरा दर्ज़ कराना आवश्यक होता है|

अब तक इस दिशा में क्या उपलब्धियाँ हासिल हुई हैं?

  • जनरल एंटी अवॉइडेंस नियम को निर्दिष्ट करने वाले कानून ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और हांगकांग जैसे देशों में पहले से ही लागू किया जा चुका है| अमेरिका में एफएटीसीए है| यूरोपीय संघ में एंटी टैक्स बचाव उपायों को बनाया जा रहा है जिनमें ऑफशोर टैक्स हेवंस की ब्लैक लिस्ट और एक सामान्य समेकित कॉर्पोरेट कर आधार शामिल है जिसका तात्पर्य निम्न कर वाले अधिकार क्षेत्रों में लाभ के हस्तान्तरण को अवरुद्ध करना है|
  • इस कानून में स्पष्टता, उपयुक्त प्रावधानों और उन परिस्थितियों के संबंध में संधि का अभाव है जिनमें न्यायिक एंटी बचाव नियम लागू होंगे| भारत के डायरेक्ट टैक्स कोड विधेयक, 2010 में आर्थिक रूप से कुशल और प्रभावी कर प्रणाली की परिकल्पना की गई है तथा गार का प्रस्ताव कर चोरी को रोकने के लिये किया गया है| इसकी शुरुआत तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा वर्ष 2012 में की गई थी और यह 1 अप्रैल 2017 से प्रभाव में आया| भारत ने आई टी अधिनियम में इस पूर्वव्यापी स्पष्टीकरण की शुरुआत यह सुनिश्चित करने के लिये की थी कि संपत्तियों का सीमापारीय लेन-देन यदि कर योग्य होगा तो उनमें निश्चित रूप से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष कर लगेगा|
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