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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

रणनीतिक क्षेत्र के लिये सरकार की नीति

  • 10 Aug 2020
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये 

निजीकरण से तात्पर्य 

मेन्स के लिये 

रणनीतिक व गैर-रणनीतिक क्षेत्र का महत्त्व   

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में सरकार ने यह घोषणा की है कि शीघ्र ही रणनीतिक क्षेत्रों पर एक नीति बनाई जाएगी और  इसके साथ ही गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में कंपनियों के पूर्ण निजीकरण की प्रक्रिया को गति प्रदान की जाएगी। 

प्रमुख बिंदु

  • आर्थिक कार्य विभाग (Department of Economic Affairs) के सचिव के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण के लिये शीघ्र ही दिशा-निर्देश जारी किये जाएँगे।
  • वर्ष 1956 के बाद ऐसा पहली बार होगा जब सरकार के पास रणनीतिक व गैर-रणनीतिक क्षेत्र में राज्य स्वामित्व वाली कंपनियों की सीमित संख्या होगी।
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई माह में आत्मानिभर भारत अभियान के तहत आर्थिक पैकेज की घोषणा करते हुए कहा था कि प्रस्तावित नीति निजी क्षेत्रों के साथ-साथ कम से कम राज्य के स्वामित्व वाली एक कंपनी की उपस्थिति की आवश्यकता वाले रणनीतिक क्षेत्रों की सूची को अधिसूचित करेगी।
  • अन्य सभी क्षेत्रों में सरकार की योजना सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण की है, जो व्यवहार्यता पर निर्भर करेगी।
  • अनावश्यक प्रशासनिक लागतों को कम करने के लिये रणनीतिक क्षेत्रों में सार्वजनिक उद्यमों की संख्या 4 तक निर्धारित की गई है और न्यूनतम एक इकाई का संचालन होगा।

निजीकरण से तात्पर्य 

  • निजीकरण का तात्पर्य ऐसी प्रक्रिया से है जिसमें किसी विशेष सार्वजनिक संपत्ति अथवा कारोबार का स्वामित्व सरकारी संगठन से स्थानांतरित कर किसी निजी संस्था को दे दिया जाता है। अतः यह कहा जा सकता है कि निजीकरण के माध्यम से एक नवीन औद्योगिक संस्कृति का विकास संभव हो पाता है।
  • यह भी संभव है कि सार्वजनिक क्षेत्र से निजी क्षेत्र को संपत्ति के अधिकारों का हस्तांतरण बिना विक्रय के ही हो जाए। तकनीकी दृष्टि से इसे अविनियमन (Deregulation) कहा जाता है। इसका आशय यह है कि जो क्षेत्र अब तक सार्वजनिक क्षेत्र के रूप में आरक्षित थे उनमें अब निजी क्षेत्र के प्रवेश की अनुमति दे दी जाएगी।
  • वर्तमान में यह आवश्यक हो गया है कि सरकार स्वयं को ‘गैर सामरिक उद्यमों’ के नियंत्रण, प्रबंधन और संचालन के बजाय शासन की दक्षता पर केंद्रित करे। इस दृष्टि से निजीकरण का महत्त्व भी बढ़ गया है।

रणनीतिक व गैर-रणनीतिक क्षेत्र से तात्पर्य

  • वर्तमान में रणनीतिक क्षेत्र की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है।
  • रणनीतिक क्षेत्रों को औद्योगिक नीति के आधार पर परिभाषित किया जाता था। 
  • सरकार ने औद्योगिक नीति के आधार पर केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (Central Public Sector Enterprises-CPSE) को 'रणनीतिक' और 'गैर-रणनीतिक' क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया है जो समय-समय पर बदलते रहते हैं। 
  • वित्त मंत्रालय के अंतर्गत काम कर रहे निवेश और सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग ने 18 रणनीतिक क्षेत्रों को तीन व्यापक खंडों- (A) खनन और पर्यवेक्षण, (B) विनिर्माण, प्रसंस्करण एवं निर्माण (C) सेवा क्षेत्र। 
  • रणनीतिक क्षेत्रों के अतिरिक्त अन्य सभी सार्वजनिक उपक्रम गैर-रणनीतिक क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। 

निजीकरण में सहायक 

  • सरकार ने पहले से ही बड़े  सार्वजनिक उद्यमों के लिये निजीकरण की योजना तैयार कर ली है।
  • इनमें बीपीसीएल, एयर इंडिया, कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया शामिल हैं। 
  • यह नीति बड़े पैमाने पर निजीकरण और/या केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के समेकन के लिये  विकल्प प्रदान करती है। 
  • निजीकरण पर जोर देने से रसायन और अवसंरचना विकास के क्षेत्र में कार्य करने वाली कंपनियों का निजीकरण हो सकता है। 
  • सरकार का यह निर्णय परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों के प्रवेश का मार्ग प्रशस्त करेगा। 
  • सरकार ने राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों की संख्या को कम करने की इच्छा भी प्रकृट की है, सरकार का तर्क है कि अब बड़े बैंक ही राज्य स्वामित्व के अंतर्गत कार्य करेंगे।
  • राज्य स्वामित्व वाले छोटे बैंकों का नियत समय में निजीकरण हो सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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